Saturday, June 30, 2012

" आज 45. नक्सली मारे गए , मैं खुश हौऊं या रौऊँ "....?????

" प्रिय मित्रो , नमस्कार !! आज समाचार कि छतीसगढ़ के राजनांनन्द जिले से 40.किलोमीटर दूर डोंगरगढ़ तहसील में पुलिस और नक्सलियों में एक जबर्दस्त मुठभेड़ हुई जिसमे 45. नक्सली मारे गए और 20. भागने में सफल रहे !! जाते - जाते वो अपना सामान वन्ही छोड़ गए जिसमे आधुनिक तकनीक वाला प्रिंटर लैपटॉप टेंट बोर्ड और बोतलें आदि थीं , यानी वंहा पर वो अपनी सभा कर रहे थे और आगामी योजनायें बना रहे थे !!
                               इससे पहले इन नक्सलियों ने और पुलिस ने ना जाने कितनी बार ऐसे ही नर संघार किया है !! ये एक बदले की भावना से भरी कोई कड़ी सी लगता है जैसे कभी भी ख़तम नहीं होगी !! इससे पहले 1983 से 1999 तक ऐसा ही पंजाब में चला , पूर्वी भारत में भी ऐसे ही देशवासी मरते रहे और काश्मीर में तो आज तक चल ही रहा है !! स्थान बदल जाते हैं , मरने वाले और मारने वाले के नाम बदल जाते हैं इसके साथ - साथ मारने वालों के उद्देश्य भी बदल जाते हैं , नहीं बदलता तो वो ये की चाहे जान का नुक्सान हो या माल का वो सिर्फ और सिर्फ " भारत " का ही हो रहा है 1945 से लेकर आज तक !! मरने वालों की संख्या लाखों में है और धन का तो कोई हिसाब भी किसी के पास नहीं है !!
                            ना जाने किस - किस नेता ने इस देश पर राज करलिया ,और न जाने कौन - कौन से नाम की पार्टियां बनी , लेकिन इस समस्या की तरफ किसी भी नेता और राजनितिक दल ने गंभीरता से नहीं देखा और सोचा , क्रियान्यवन तो बड़ी दूर की बात है !! बस , जब आग लगती है तभी कुआं खोदने के प्रयास करती सरकार अपने आपको दिखाती है !! चाँद दिनों बाद फिर ऐसी ही घटना फिर हो जाती है और फिर सरकार का मुखिया कहता है की " हम देख रहे हैं और हम देखेंगे " .....!!किसी भी समस्या को कभी भी जड़ से समाप्त करने और देश को जोड़ने की बात कभी की ही नहीं गयी !! क्यों ?? 
                          एक आम आदमी जो साधारण पढ़ा - लिखा है वो साड़ी समस्याओं का हल निकालने की क्षमता रखता है , वो कहता भी है की अगर कोई मुझे चंद  महीनो खातिर सभी अधिकारों वाली " कुर्सी " ( वो कौन से पद वाली कुर्सी है ये वो भी नहीं जानता )दे - दे तो मैं सब कुछ ठीक करदूं और सबको सुधार दूं !! मैं यंहा मानने को तैयार हूँ की ये उस नादाँ का भोला पण होगा ! लेकिन कई विद्वान लोग भी ऐसा कहते हैं !! तो फिर हमारे देश के नेता सारी  समस्याए  नहीं तो आधी भी समस्याएं हल क्यों नहीं कर पाए ????????
                                     क्या किसी समस्या को लम्बे समय तक लटकाना , उसका हल हो सकता है ????दुश्मन अगर अपनी सोच और रण - निति को बदल कर बड़ी और खर्चीली लड़ाई को छोड़ आतंक वादियों की कम खर्चे वाली लड़ाई लड़ सकता है तो हम सिर्फ अपने आपको बचाने ये बड़े देशों की आड़ में क्यों छिपाए बैठे हैं ???? हमारी व्यापार - निति , हमारी विदेश निति सब दूसरों पर क्यों निर्भर है ??हम अपने लिए अपना निर्णय क्यों नहीं कर पाते हैं ??? क्या हमारे नेता बता पायेंगे ??? क्या हमारे युवा ये प्रश्न पूछ पायेंगे ????
                                 तो मित्रो आप अपने अनमोल विचार हमारे ब्लॉग और ग्रुप में जाकर अवश्य टाईप करें , और इनमे छपे लेखों को अपने फेस - बुक मित्रों संग शेयर भी करें !! आप चाहे तो हमारे ब्लॉग को ज्वाइन भी कर सकते हैं !! जिसका नाम है " फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर " जिसे खोलने हेतु लिंक ये है :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. 
                                   मित्रो अगर आप किसी भी विषय पर पढना चाहते हैं तो हमें बताइए हम उसी विषय पर अपने लेख लिखेंगे !! 
          जोर से मेरे साथ कहिये ... बोले सो निहाल , सत  श्री अकाल !!  आपका अपना मित्र , 
                               पीताम्बर दत्त शर्मा , +919414657511. 

Thursday, June 28, 2012

" ई लोग कार्यकर्त्ता हैं , तो का हम नेता हैं ,ससुर का नाती " ???

" सभी कार्यकर्ता मित्रों को मेरा सादर प्रणाम !! कल संसदीय कार्य मंत्री श्री मान पवन जी बंसल साहिब फ़रमा रहे थे कि प्रणब डा जैसा छोटा सा कार्यकर्त्ता भारत का राष्ट्रपति बन रहा है , ये सिर्फ कोंग्रेस में ही संभव है !! इस से पहले श्री मान नितिन जी गडकरी साहिब जोर से भाषण देते हुए कह रहे थे की ये कोई सुषमा जेटली और अटल जी की पार्टी नहीं है ये " मुझ " जैसे साधारण कार्यकर्त्ता की पार्टी है जो नीचे से चल कर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक आ सकता है !! उस से भी पहले श्री मति वसुंधरा जी जब जयपुर में एक मीटिंग से रूठ कर बाहर निकलीं थीं तो उन्हों ने भी अपनी और इशारा करते हुए कहा था की " कार्यकर्ताओं " का अपमान हम बिल कुल नहीं सहेंगे !!
                                  दोस्तों ऐसे बयां सभी दलों के नेता देते रहते हैं जब भी उनको अपना " उल्लू सीधा करना होता है " !! लेकिन क्या किसी भी पार्टी के किसी भी नेता को अपने कार्यकर्ता की कभी भी कोई चिंता रही है ????? मुझे तो नहीं लगता की हमारे नेता सचमुच में इतने संवेदन शील हैं ??? 40 साल से मैं भी राजनीती में हूँ लगभग सभी राजनितिक दलों को बेहद करीब से देखा है लेकिन कंही भी किसी नेता को एकांत मैं कार्यकर्त्ता की चिंता करते कभी भी न देखा ना सुना !! आपने कभी देखा या सुना हो तो मुझे अवश्य बताये !! 
                                 मेरा अनुभव तो यही कहता है की जब म्हणत का कोई काम होता है तब तो कार्यकर्त्ता की मालिश की जाती है और जब शासन करने का समय आता है तो सिर्फ अपने चहेते या चमचे ही उन्हें याद रहते हैं !! जिनके काम उसी नेता की मिटटी पालित कर देते हैं ???हम लोग तो इन्हें अपना नेता मान कर चलते हैं , लेकिन जब यही किसी के सामने गिडगिडाते नज़र आते हैं तो हमें एक तरह की ग्लानी का आभास होता है की जब हमारे इतने समर्थन के बावजूद ये कुछ नहीं बन सके तो हम क्यों इन " लल्लुओं - पंज्जुओं " के पीछे - पीछे घुमते रहते हैं ??? इनका अपना कोई भी सिध्धांत नहीं और न ही कोई नियम हमारे ऊपर " अनुशासन की तलवार लटकाए रहते हैं की ऐसा मत बोलो ऐसा मत करो आदि - आदि !! क्यों ...??? 
                             आप क्या सोचते हैं मित्रो ???
आप के साथ कभी कोई ऐसा अनुभव हुआ है की आपका किसी पार्टी के पद पर बैठने का हक बनता हो और अचानक कोई दूसरा मनोनीत कर दिया गया हो !! या ऐसे ही कोई और अनुभव आपकी जिंदगी में हुए हों तो अवश्य हमारे साथ बाँटें !! ताकि और पाठकों को भी पता चल सके की किस प्रकार से कार्यकर्ताओं के साथ कैसा कैसा अन्याय हो रहा है !! हम क्या इन घिसे पिटे नेताओप्न के कोई बंधुआ मजदूर या अंधी भेड़ें हैं जो आँखें मूँद कर इनके पीछे चले ???? इनका खुद का कोई पता नहीं होता की ये किस संय अपना रंग बदल कर किस दल के किस नेता के साथ कौन से लालच की वजह से मिल जाए लेकिन हमसे ये आश रखते हैं की हम रात दिन इनके नाम की ही भक्ति करें , गुण गान करें क्यों ?????
                                तो भाइयो इस बार सब सचेत हो जाओ !! छोड़ो अपनी जाती , धर्म , इलाके और पार्टियों का चक्कर , और ढूंढो कोई नया शरीफ ,  इमानदार , पढालिखा और अनुभवी नेता , उसे अपना भरोसा दिलाकर आने वाले विधान सभा और संसदीय चुनावों में खडा करें और उसे ही जी जान लगाकर जिताए , ताकि एक नयी सुबह आ सके इस भारत में !! और हमारी आने वाली पीढियां हमें आलसी, चोर , और निक्कमा ना कह सके ! 
                                आइये हम सब प्राण करते हैं की हम रोज़ अपने आपकी जनता को जगायेंगे और इक नया भारत का निर्माण करेंगे !! आप भी रोजाना हमारे इस ब्लॉग और ग्रुप में प्रकाशित होने वाले लेखों को पढ़ें , फेसबुक मित्रों को शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी इन पर जाकर लिखें !! हमारे ब्लॉग और ग्रुप का नाम है " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " और इसे खोलने हेतु लोगआन करें रोजाना " www.pitamberduttsharma.blogspot.com. 
                      पूरे जोर से मेरे साथ बोलिए जी !! 
 धर्म की ----------------- जय हो !
अधर्म का ------------------नाश हो !! 
प्राणियों में ------------------सद्भावना हो !!!
विश्व का ----------------------कल्याण हो !!!!


हर -------हर ------हर -------महादेव .....!!!!!!!!!!   

Tuesday, June 26, 2012

" माननीय सांसदों ! राष्ट्रपति चुनने में स्वविवेक से काम लोगे या .. भेड़े बनोगे "????

" स्वविवेकी मित्रों को मेरा आदर सहित प्यार , कृपया स्वीकार करें !!
                               जब भी हम अपना सांसद चुनते हैं तो यही सोचकर ज्यादातर लोग अपना वोट देते हैं की यह सज्जन हमारी आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा और अपनी बुध्धि और विवेक से लोक सभा में जनहित के प्रस्ताव आने पर निर्णय करेगा !!! लेकिन देखने में भी और वास्तव में भी लगभग सारे सांसद अपनी पार्टी के अनुशासन के नाम पर या अपने दल के नेता की बुध्धि को अपनी बुध्धि से बड़ा मान कर ( सीधी भाषा में कंहूँ तो चमचागिरी के कारन ) सारे महत्वपूर्ण फैसले उसी पर छोड़ देते हैं .. 
क्यों ??? 
                     अब जैसे हमारे राष्ट्र - पति का चुनाव नजदीक आ गया है , सभी राजनितिक दलों ने अपने सांसदों और विधायकों से कोई राय नहीं की बल्कि सबने अपने अधिकार अपने नेताओं को ही सौंप दिए क्यों ??? क्या ये जनता के साथ धोखा नहीं ???हाँ पार्टी के अन्दर का कोई निर्णय करना हो और उसमे सांसद - विधायक निर्णय का फैसला अपने नेता को  सौंपें तो कोई बात समझ में आती है लेकिन जो मुद्दा सीधे - सीधे जनता से जुदा हुआ हो भला उसे जनता कैसे स्वीकार करले की हमारे सांसदों का ये निर्णय सही है की राष्ट्र पति किसे बनाना है प्रत्याशी का चुनाव भी उस दल विशेष का नेता ही करे और फिर भेड़ों की तरह आँखें बंद करके सब उसे अपना वोट भी देदें क्यों ......????????
                                     ऐसा व्यवहार किसी राजनितिक दल का नहीं बल्कि डाकुओं के दल का होता है !! मुझे डाकुओं की पुरानी फिल्मों की कहानियाँ याद आ रही हैं की कोई छोटा - मोटा चोर किसी गाँव में चोरी करते समय कोई कतल भी करके वंहा से भाग कर शहर में आ जाता है और फिर बड़ा डाकू - स्मगलर और सेठ बनजाता है किसी नेता की मदद से जिसकी लड़की से वो बाद में अपने लड़के की शादी करके उस नेता की सारी जायदाद हडपना चाहता है लेकिन उसी गाँव का लड़का उसी शर में आकर उसी नेता की लड़की से प्यार भी करता है फिर उसी नेता की किसी फेक्ट्री में नौकरी भी करता है अंत में डाकू मरजाता है और नेता जी अपने जँवाई - राजा के साथ मज़े से रहता है !! लेकिन आजकल तो वो डाकू ही नेता बनगए हैं इसी लिए " पान सिंह तोमर " नामक फिल्म में डाकू को डाकू नहीं बल्कि बागी कहा गया और डाकू शब्द का प्रयोग हमारे देश के  सन्मानित नेताओं हेतु प्रयोग किया गया ...!!! लेकिन अफ़सोस हमारे नेता चाहते हुए कुछ भी नहीं बोल पाए !! 
                       इस देश की जनता में से बहुत से लोगों ने तो हद ही करदी जब संसद पर आतंक वादियों ने हमला किया था तो वो बोले की काहे को देश के सिपाहियों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर इन आधुनिक डाकुओं को बचाया ??? ये कुछ मरते तो कोई दुसरे का नबर आता ??? 
                          आप ही बताइए मित्रो ...की अब मैं क्या करून ?? और आपका क्या विचार है इस बारे में क्यों की मेरी लेखनी तो यंहा आकर एकबार रुक सी गयी है अब हमारे नेताओं को तो " इज्ज़त " भी जबरदस्ती मांगनी पड़ रही है ???
                              आप अपने विचार विस्तार से मेरे ब्लॉग और ग्रुप में लिखा करें जिसे आप बहुत प्यार से पढ़ते हैं  , जिसका नाम है " 5थ पिल्लर कोराप्शन किल्लर " जिसे पढने हेतु आप रोजाना लोग आन कर सकते हैं :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com. 
                            आप चाहें तो आप इस ब्लॉग के लेखों को अपने फेस - बुक मित्रों संग बाँट भी सकते हैं ! आपके विचारों को हम अपनी प्रकाशित होने वाली पुस्तक में अवश्य प्रकाशित भी करेंगे !!
                          सधन्यवाद !!
                     जय श्री राम !! 
                                             आपका मित्र 
                                     पीताम्बर दत्त शर्मा 
                              मो . न . +919414657511


नोट :- जोमित्र मेरे बारे में और अधिक जानना चाहते है वो मेरी प्रोफाइल पढ़ें !!       

Sunday, June 24, 2012

" सीखो भारतीय नेताओं !! सोनिया जी से कुछ सीखो " !! ???

" सीखने - सिखाते रहने " वाले मित्रो और देवियों , मास्टर जी वाला बहुत सारा प्यार और नमस्कार स्वीकार कीजिये !! 
                             ये मास्टर जी का प्यार भी बहुत गज़ब का प्यार होता है जी , मुझे ये तो नहीं पता की आपके जीवन में कब - कब , कितना - कितना और किस - किस मास्टर जी ने कैसे - कैसे प्यार प्रकट किया है ??? उससे आपको आनंद मिला हो या दुःख , लेकिन मेरा दावा है की आपको वो प्यार याद अवश्य होगा ??? इसलिए मैं ही अपना तुज़ुरबा बताता हूँ !! मेरे पिता श्री भी अध्यापक रहे हैं , पूरे शहर के अध्यापक - अध्यापिकाएं उनका सन्मान करते थे और हैं , बचपन में वो मुझे जिस - जिस विद्यालय में दाखिल करने जाते वन्ही वो उन मास्टर जी को ये अवश्य कहते की गुरु जी इसका थोडा "ध्यान " रखना जी , सामने वाले गुरु जी कहते की अवश्य ये मेरे ही बच्चों जैसा है इसका तो मैं विशेष ध्यान रखूँगा आप निश्चिन्त हो जाइए !! लेकिन दुसरे ही दिन से मेरा ऐसा ध्यान रख्खा जाता की बस पूछो मत !! सबसे पहले मुझे ही सारे प्रश्नों के उत्तर देने हेतु कहा जाता , सबसे पहले मुझे ही होम वर्क दिखने हेतु कहा जाता !! ओरों को तो हर गलती की मामूली सी दांत या सजा मिलती लेकिन मेरी तो हर बात पर " विशेष पिटाई " होती वो भी विशेष हथियारों से !!मुझे याद है की जब मैं आठवीं कक्षा में पढता था तो मुझे भरी करंट लगा था , जो भी पता करने आये यही बोले की इसका तो दूसरा जनम हुआ है , लड़का मरते - मरते बचा है !! तो मैंने अपनी माता श्री से पूछ ही लिया की माता जी ज़रा मुझे बताइये की अगर मैं मर जाता तो क्या होता , माता डपट कर बोली की बेटा ऐसा नहीं बोलते मारें तेरे दुश्मन !! मैंने फिर पूछा की माता चलो ये तो बताओ की अगर मैं दोबारा जनम लेता तो क्या मुझे दोबारा से पढना पड़ता ??? माँ  बोली हाँ बेटा आदमी को तो साड़ी उम्र कुछ न कुछ सीखना ही होता है !! बल्कि बड़े बुज़ुर्ग तो यंहा तलक कह गए हैं की अगर कोई ज्ञान की बात दुश्मन से भी मिले तो उस से भी हाथ जोड़ कर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए !! फिर वो मुझे रोज़ महाभारत की कोई न कोई इस विषय से सम्बंधित रात को सोते समय कहानी सुनाती !! कभी एकलव्य की तो कभी अर्जुन की , कभी कर्ण की तो कभी अभिमन्यु की उन्होंने कैसे और किससे शिक्षा प्राप्त की !! 
                          इसीलिए आज मैं भारत के सभी राजनितिक दलों के नेताओं से ये सादर अपील करना चाहता हूँ की निसंदेह आप सब में बहुत साड़ी खूबियाँ हैं तभी आप देवताओं जैसी जिंदगी व्यतीत कर रहे हो , लेकिन आप श्री मति सोनिया गाँधी के काम करने के तरीके से काफी पीछे हो !!जब से वो राजीव जी से शादी करके भारत में आई हैं तभी से उन्होंने हम जैसे विरोधी लोगों का प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष रूप से विरोध सहा है ....लेकिन कभी बोली कुछ नहीं हैं ...!!
और जब से वो राजनीती में आयीं हैं तबसे उनके काम करने का एक विशेष तरीका है !! उनकी पार्टी के नेता ही नहीं लेकिन दुसरे सारे दलों के नेता उनके काम के आगे फीके पद जाते हैं !! क्यों ...?????क्या किसी ने सोचा ???
                                     मैं एक छोटा सा उद्धरण देता हूँ आपको उत्तर प्रदेश के चुनावों के बाद उन्होंने दुसरे नेताओं के साथ साथ अपने सुपुत्र राहुल गाँधी को चुप रहने को कहा है और जिस अनुशासन से वो सरे नेता इतनी देर तलक चुप बैठे हैं और बैठे रहेंगे ..वो अपने आप में एक मिसाल है ! जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते !! हमारे नेताओं को तो बस बोलने का मौका मिलना चाहिए , चाहे उन्हें हार मिली हो या जीत , ना उन्हें कोई शर्म महसूस होती है  
बस बोलते चले जाते हैं ....बोलते चले जाते हैं क्यों .?
                    क्यों दोस्तों आपका क्या कहना है इस बारे मैं ....जल्दी से हमारे ब्लॉग को ज्वाईन कीजिये आज ही लोग ओं करके अपने अनमोल विचारों से हमें अवगत अवश्य कर्वैयेगा , जिसका नाम है :- " 5थ पिल्लर करप्शन किल्लर " लिंक है :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. 


                 तो बोलिए जय श्री राम !! आपका अपना दोस्त !! पीताम्बर दत्त शर्मा , मोबाईल नंबर -- +919414657511.   

Friday, June 22, 2012

" ससुरा भी कभी जँवाई था , बकरा भी कभी कसाई था " !!!!????

" रिश्तों की इज्ज़त करने वाले मित्रो ", लाड भरा नमस्कार स्वीकारें !!
                                वैसे तो भारत में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जिनसे विश्व आश्चर्य चकित हो कर दांतों तले उंगलियाँ दबा ले जैसे भारतियों का खान - पान , पहनावा , बोल - चाल आदि आदि । लेकिन मैं आपको भारत के एक प्यारे से रिश्ते के बारे में आज बताना चाहता हूँ ! हालाँकि " मुन्नी - एकता कपूर " जी ने मेरे इस रिश्ते की बराबरी वाले रिश्ते पर एक लम्बा सारा नाटक भी बना डाला और उसने भी भारत में एक नया रिकार्ड कायम कर दिया , प्यार से मैं उसे भी आशीर्वचन देता हूँ !!  तो चलिए और ज्यादा आपको इंतजार नहीं करवाता हूँ आपको बता ही देता हूँ , वो रिश्ता है " ससुर व्  जंवाई का और बकरे एवं  कसाई का " !! 
                                      जी हाँ इन दोनों रिश्तों के बारे में जितना कहा और लिखा जाये वो कम ही होगा क्योंकि जब भी ये दोनों एक दुसरे के सामने होते हैं , तभी एक नया वाकया घट जाता है जो की ऐतिहासिक ही होता है !!?? यही एक रिश्ता है जो हर दिन अपनी नयी उचाईयां स्थापित करता है !! क्योंकि ये रोज़ गिरता भी है बिलकुल अपने शेयर - मार्किट की तरह !! इसका भी ग्राफ चाहे नीचे जाए या ऊपर पर इसका क्रेज़ हमेशां कायम रहता है !! दूसरा रिश्ता है , बकरे और कसाई का ये रिश्ता भी सात जन्मों तक अपना हिसाब किताब बारी बारी से बराबर करता है इसी लिए कोई भी बकरा काटने से पहले ज्यादा शोर नहीं करता बस उसी समय जो दर्द होता है उसे ही रोकर बयान करता है !!
                            आप कहेंगे की आज क्या लेकर बैठ गए पीताम्बर जी !! तो मित्रो मैं बिना मतलब के कोई बात नहीं करता हूँ , आज जो भाजपा में माननीय अडवानी जी की हालत है उसे देख करही मुझे उपरोक्त उदहारण याद आ रहे हैं !! और कोई नहीं भाजपा के ही पुराने महामंत्री श्री श्री गोविंदा चार्य जी ने जो सच ब्यान किया है वो माननीय अडवानी जी पर तो लागू होता ही है , लेकिन मज़ा तो इस बात का है की वो मुझे अपने पर भी लागू होता दिखाई दे रहा है ??? 
                              अयोध्या के प्राचीन राम मंदिर के विध्वंस से पहले अडवानी जी को बड़ा ही महत्त्व दिया जाता था !!घटिया भाषा में कान्हें तो एक जंवाई जैसा ??? लेकिन आज देखो तो ..........??? आप सब जानते हो मुझे कुछ ज्यादा लिखने की आवश्यकता नहीं है !!तीस - चालीस साल तक उनका पार्टी ने खूब जूस निकाल कर पिया , अब जब कुछ कार्यकर्त्ता उनके ज्यूस से मोटे - ताज़ा और बलवान बन गए हैं तो अब उनकी किसी को आवश्यकता ही नहीं ??? जिस प्रकार से ज्यूस वाली मशीन के साथ निकले हुए ज्यूस वाला गुद्दा लटक रहा होता है वैसे ही माननीय अडवानी जी और मुझ जैसे कई कार्यकर्त्ता लटक रहे हैं !! मैं भी जब तक पार्टी के आदर्शों को देख कर उसके स्थानीय नेताओं को पार्षद , डायरेक्टर , विधायक , सांसद या मंडल अध्यक्ष या जिलाध्यक्ष बनाता रहा उनका समर्थन करके तो मैं सबको भाता था लेकिन जैसे ही उनके कर्मों को देख कर  मुझ जैसे कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध शुरू किया तो वो सब ऐसे इकठ्ठे हो गए जैसे अन्ना जी के विरुद्ध अपनी भारत सरकार ???
                          लग - भग ऐसा ही हाल सब जगह है !! सच हमेशां कड़वा होता है इसी लिए ज्यादातर लोगों को अच्छा नहीं लगता लेकिन फिर भी मुझ जैसे लोग सत्य के बल पर कुछ भी ताकत नहीं होने के बावजूद उन " बाहुबलियों " से भिड जाते हैं नतीजे की परवाह किये बिना !!आपका क्या विचार है ???
                  आज ही लिखिए हमारे ब्लॉग पर जिसका नाम है " 5थ पिल्लर करप्शन किल्लर " इसे खोलने हेतु रोजाना लाग आन करें और उसपर अपने विचार भी लिखें  -: www.pitamberduttsharma.blogspot.com. 
            आज ही ज्वाईन कीजिये !! 
आपका अपना मित्र , पीताम्बर दत्त शर्मा 


जय श्री राम .....! 
                                    

Thursday, June 21, 2012

" राजनितिक थाली के बेन्गुन " लुढकने को बैचेन..???

" बेन्गुनों की पहचान रखने वाले प्रिय मित्रो ", " भरते और तंदूरी रोटी - रोटी सहित मीठी लस्सी " वाला नमस्कार कबूल फरमाएं !! 
                अब इसमें बेचारे बेन्गुनों का क्या कसूर जो उन पर किसी विद्वान ने कहावत बना दी , गोल तो बहुत सारी  चीजें होती है मसलन कोलकते का रस - गुल्ला , वो तो कब मुंह से पेट के अन्दर चला जाता है की पता ही नहीं चलता । बिलकुल अपने प्रणब दा की तरह ?? चार दिन पहले तक तो कह रहे थे की मैं राष्ट्रपति बनना ही नहीं चाहता , मेरा नाम मत उछालो प्लीज वगेरह वगेरह ??? और अब जोर शोर से दोस्तों और दुश्मनों से समर्थन भी मांग रहे हैं !!? क्योंकि रसगुल्ला पेट में जाने के बाद वापिस नहीं आ सकता बेन्गुन घूम कर वापिस वंही आ सकता है इस लिए कहावत में बेन्गुन लिखा गया है !!
                         जब भी देश में चुनाव होने का समय नज़दीक आता है तब - तब ऐसी प्रकृति के लोग देखना - जांचना और परखना शुरू कर देते हैं की आने वाला कल कौन से दल के पक्ष में जाने वाला है ...बस उसी और जाने को मन ललचाने लगता है !! अगर सामने वाला दल भी स्वागत करता दिखाई देता है तो ऐसे लोग कोई बहाना बनाकर निकल लेते हैं , अगर सामने वाला दल इन लोगों का स्वागत  नहीं करता दिखाई देता तो तो ऐसे " बेन्गुन - लोग " अपना " तीसरा - मोर्चा " बना लेते हैं !! 
                          अब क्योंकि सयाने और अनुभवी तीन - चार बेन्गुनों ने कोंग्रेस नीत यु . पी . ऐ . के साथ अपना " डिब्बा " जोड़ लिया है और उनको आश्वासन भी मिल गया है तो उन्होंने बड़ी चालाकी से " तीसरे - मोर्चे " की सम्भावना को ही कबर खोद के दबा दिया है !! अब तीसरे मोर्चे हेतु वांछित दल ही नहीं बचे हैं तो बेचारे नितीश जी , शरद यादव जी और उनकी सेना को अभी से घबराहट होनी शुरू हो गयी है ! इसी लिए जब देश में राष्ट्रपति चुनावों हेतु कोई उम्मीदवार इनको भाजपा से मिलकर ढूंढना है , वो तो इनको कोई मिल नहीं रहा है , इनको साफ़ दिखाई देने लगा है की सोनिया द्वारा घोषित व्यक्ति ही राष्ट्रपति बनेगा और पूरे पांच साल प्रतिभा पाटिल जी की तरह अपना मुंह बंद करके बैठेगा !! तो इनका हाजमा खराब होने लगा है ?? कंही जाने की फिराक में हैं ये " थाली के बेन्गुन " ?????
                         जनता होशियार - खबरदार !!!! अपने आपको तैयार कर लो आने वाले चुनावों में हम सबने मिलकर ऐसे बैगुनों को और नकली सेकुलरों को ऐसा सबक सिखाना है की इन बे - इमान नेताओं को नानी याद आ जाए चाहे वो किसी भी दल के क्यों ना हो ??? अपने आस - पास कोई नया , अनुभवी , मेहनती और पढालिखा समाजसेवी देखिये और उसे प्रोत्साहित कीजिये और सपोर्ट कीजिये ताकि वो आपका नया विधायक या सांसद चुना जाए !! अपना जाती - धरम , इलाका और पार्टी सब भुलाकर केवल इमानदार व्यक्ति को ही अपना अनमोल वोट देवें तब कंही जाकर हम देश का कोई जुम्मेदार नेता चुन पायेंगे !! इसके साथ - साथ हमें उस समय किसी भी लालच में भी नहीं आना है जैसे पैसा - शराब आदि आदि !! अगर हम इस बार भी इन लोगों के नाटकों में फंस गए तो फिर इसी तरह रोते रहने के सिवाय हमारे पास कोई चारा नहीं बचेगा और ये " राक्षस " हमारा ऐसे ही भक्षण करेंगे !!

                               हमेशां की तरह आप हमारे ब्लॉग और ग्रुप पर विजिट कीजिये जिसका नाम है :- " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " और इसे पढने हेतु लोग आन करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. आप चाहें तो इसे ज्वाईन भी कर सकते है !! आपके अनमोल कमेंट्स का स्वगत तो हम हमेशा ही करते है !! ............आपका प्रिय मित्र _- पीताम्बर दत्त शर्मा , जोर से बोलिए जय ...श्री ...राम ...!!   

Wednesday, June 20, 2012

" मोरे सैयां - भये .....डाकू तो , अब चोरी - डकैती कानूनी है " ! ! ? ?

" सैयां " रखने वाले सभी मित्रों को मेरा प्रणाम !! आप कहोगे हमेशा तो प्यार भरा नमस्कार और न जाने कैसे - कैसे नमस्कार करता रहता है आज " प्रणाम " याद आ रहा है, तो मित्रो जो " सैयां को रख सकते हैं वो ताकत वर ही होते हैं चाहे फिर वो स्त्री लिंग हों या पुलिंग !! ऐसे महानुभावों के तो चरण ही स्पर्श करने से जान छूटती है जी नहीं तो इनकी नज़र " वक्र ' हो जाए तो " अल्लाह " भी हाथ जोड़ कर खडा हो जाता है और कहता है की यार अपना घर का मामला खुद ही सुलट  लो , मुझे बीच मैं कंहाँ घसीट रहे हो यार ??? आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी की " मोरे सैयां भये कोतवाल , तो अब डर  काहे का " ! और जिसका सैंयाँ  " डाकू " बन जाए तो चार चाँद लग जाते हैं जी छोटे - मोटे थानेदार तो डाकुओं के चरणों में रोज़ हाजरी लगाते हैं !! है की नहीं ...? अब वो डाकू चाहे पुराने हों या चल - चित्र पान सिंह वाले वाक्यानुसार आजकल के " नेता रुपी मोद्रण डाकू हों ...बेचारे दरोगा जी को तो " हाजरी और प्रबंधन " करना ही पड़ता है न ...????
                        आज मुझे  राजेश खन्ना जी द्वारा अभिनीत एक पुराणी किशोर दा  की गायी एक ग़ज़ल भी याद आ रही है जो आजकल के हालात पर बहुत फिट बैठती है ...." चिंगारी कोई भड़के ...तो सावन बुझाए , सावन जो अगन लगाये उसे कौन बचाए ...??? इसी में आगे गज़लकार लिखते हैं की माझी जो नाव डुबोये उसे कौन बचाए ...?? इसी तरह हमारे " मांझी " तो हमारे " पार्षद , विधायक , सांसद , मंत्री , मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री जी ही हैं कानूनी रूप से तो " लेकिन अंदरूनी तौर पर तो ना जाने कंहाँ  - कंहाँ  के व्यापारी , और वभिन्न भेषों  में छिपे बीते भेड़िये ही तो हैं ????
                       ये जैसा निर्णय करते हैं अपने फायदे हेतु हमारी सरकार भी वैसे ही क़ानून बनाती और मिटाती है ना जाने क्यों .....???? मुझे तो वोभी लूट में हिस्सेदार लगती है और आपको क्या महसूस होता है ...??? पहले वाली सरकारें भी ऐसा करती थीं , लेकिन थोडा छिप कर और कम मात्रा में !! आजकल की सरकार तो सोचती ही नहीं की जनता पर इसका क्या असर हो रहा है !! ऐसा लगता है की हमारे द्वारा चुनी हुई सरकार हमें अपना मालिक ना समझ कर उन ठगों को ही अपना हितेषी समझे बैठी है जो ठग चुनावों में अप्रत्यक्ष रूप से उनकी मदद करते है " साम - दाम - दंड और भेद से " ???
                              अभी कल मैं अपनी बेटी सुकृति शर्मा को नोएडा में जी न्यूज़ के कर्यालय में ट्रेनिंग हेतु छोड़ने गया तो रास्ते में जगह - जगह टोल नाके आये जिन पर बैठे करम चारियों ने अपने मालिकों द्वारा निर्धारित राशि हमसे वसूली !! अभी तो चार या पांच ही टोल नाके आये अगर हमारे शहर सूरतगढ़ से देल्ही के रस्ते में आने वाले सभी शहरों के बीच में ऐसे ही टोल - नाके बन गए तो वो रोजाना कितने पैसे ऍम आदमी से लूट लेंगे आप अंदाज़ा लगायेंगे तो ये राशी अरबों में पंहुच जाएगी !! ??? कोल ब्लोक्स आवंटन की तरह ये मुद्दा भी जांच के अधीन आना चाहिए !! 
                                इसी तरह से और बहुत सारी चीज़ें हैं जिनके ऊपर सरकार का कंट्रोल होना आवश्यक है जैसे " पोस्त , तम्बाकू - उत्पादन ,शराब , पानी -बिजली और गैस !! वैसे तो हर वस्तु  के बारे में सरकार को ज्ञान होना आवश्यक  की वो कितने रूपये मैं पैदा हो रही है और कितने रूपये में कँहा जाकर बिक रही है ???? है की नहीं लेकिन ऐसा लगता है हमारी सरकार तो ये निर्णय करती है की हमें इतना हिस्सा दे जाओ और जाकर प्रेम से गर्दन काटो और जितना चाहो उसका खून पियो !! तभी तो मुझे कहना पड़ा की मेरे सैयां यानी हमारी सरकार ही डाकू बन गयी है तो हमें अब लुटने से कौन बचा सकता है !! अभी दो दिन पहले वाले लेख में भी मैंने ज़िक्र किया था की किस प्रकार से हमारी केंद्रीय सरकार ने विदेशी कम्पनियों के कहने पर ही " सराय - क़ानून वापिस लेलिया है जिसमे एक ये भी प्रावधान था की हर भारतीय किसी को भी मुफ्त खाना और पानी खिला - पिला सकते हैं , अब जबकि वो वापिस लेलिया गया ही तो अब कोई भी किसी को मुफ्त में भोजन और पानी नहीं पिला सकते , यानी अब हर आदमी को मोल खरीद कर ही पानी पीना पड़ेगा !! इसी तरह आने वाले समय में ना जाने कितने कानूनों को लुटेरों की मर्ज़ी के मुताबिक ढाला जाएगा ?????
                         हमारे नेता , पत्रकार , अफसर , समाजसेवी और पक्षी - विपक्षी दल जो विदेशी सहायता से पलते हैं सब ना केवल मदद कर रहे हैं बल्कि प्रत्यक्ष - परोक्ष रूप से उनके हिस्से दार भी हैं !! इसलिए हे जनता अब आपको लुटने - पुटने से कोई भी नहीं बचा सकता !! यानी ...राम नाम ....सत्य है .....!! हमेशा की तरह व्यंगात्मक तरीके से लिखी हुईं त्वरित घटनाओं पर आधारित , रचनाएँ पढने हेतु हमारा ये ब्लॉग और ग्रुप ज्वाइन करके पढ़िए , जिसका नाम है " 5th pillar corrouption killer " इसे खोलने हेतु लोग आन करें www.pitamberduttsharma.blogspot.com. अपने विचार भी ब्लॉग पर जाकर अवश्य लिखें !! जोर से मेरे साथ बोलिए ... धर्म की जय हो ! अधर्म का नाश हो !! प्राणियों में सद्भावना हो !!! विश्व का कल्याण हो !!!! हर ...हर .....हर .....महादेव ....!!!!


                 आपका अपना ... पीताम्बर दत्त शर्मा           

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...