" सभी कार्यकर्ता मित्रों को मेरा सादर प्रणाम !! कल संसदीय कार्य मंत्री श्री मान पवन जी बंसल साहिब फ़रमा रहे थे कि प्रणब डा जैसा छोटा सा कार्यकर्त्ता भारत का राष्ट्रपति बन रहा है , ये सिर्फ कोंग्रेस में ही संभव है !! इस से पहले श्री मान नितिन जी गडकरी साहिब जोर से भाषण देते हुए कह रहे थे की ये कोई सुषमा जेटली और अटल जी की पार्टी नहीं है ये " मुझ " जैसे साधारण कार्यकर्त्ता की पार्टी है जो नीचे से चल कर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक आ सकता है !! उस से भी पहले श्री मति वसुंधरा जी जब जयपुर में एक मीटिंग से रूठ कर बाहर निकलीं थीं तो उन्हों ने भी अपनी और इशारा करते हुए कहा था की " कार्यकर्ताओं " का अपमान हम बिल कुल नहीं सहेंगे !!
दोस्तों ऐसे बयां सभी दलों के नेता देते रहते हैं जब भी उनको अपना " उल्लू सीधा करना होता है " !! लेकिन क्या किसी भी पार्टी के किसी भी नेता को अपने कार्यकर्ता की कभी भी कोई चिंता रही है ????? मुझे तो नहीं लगता की हमारे नेता सचमुच में इतने संवेदन शील हैं ??? 40 साल से मैं भी राजनीती में हूँ लगभग सभी राजनितिक दलों को बेहद करीब से देखा है लेकिन कंही भी किसी नेता को एकांत मैं कार्यकर्त्ता की चिंता करते कभी भी न देखा ना सुना !! आपने कभी देखा या सुना हो तो मुझे अवश्य बताये !!
मेरा अनुभव तो यही कहता है की जब म्हणत का कोई काम होता है तब तो कार्यकर्त्ता की मालिश की जाती है और जब शासन करने का समय आता है तो सिर्फ अपने चहेते या चमचे ही उन्हें याद रहते हैं !! जिनके काम उसी नेता की मिटटी पालित कर देते हैं ???हम लोग तो इन्हें अपना नेता मान कर चलते हैं , लेकिन जब यही किसी के सामने गिडगिडाते नज़र आते हैं तो हमें एक तरह की ग्लानी का आभास होता है की जब हमारे इतने समर्थन के बावजूद ये कुछ नहीं बन सके तो हम क्यों इन " लल्लुओं - पंज्जुओं " के पीछे - पीछे घुमते रहते हैं ??? इनका अपना कोई भी सिध्धांत नहीं और न ही कोई नियम हमारे ऊपर " अनुशासन की तलवार लटकाए रहते हैं की ऐसा मत बोलो ऐसा मत करो आदि - आदि !! क्यों ...???
आप क्या सोचते हैं मित्रो ???
आप के साथ कभी कोई ऐसा अनुभव हुआ है की आपका किसी पार्टी के पद पर बैठने का हक बनता हो और अचानक कोई दूसरा मनोनीत कर दिया गया हो !! या ऐसे ही कोई और अनुभव आपकी जिंदगी में हुए हों तो अवश्य हमारे साथ बाँटें !! ताकि और पाठकों को भी पता चल सके की किस प्रकार से कार्यकर्ताओं के साथ कैसा कैसा अन्याय हो रहा है !! हम क्या इन घिसे पिटे नेताओप्न के कोई बंधुआ मजदूर या अंधी भेड़ें हैं जो आँखें मूँद कर इनके पीछे चले ???? इनका खुद का कोई पता नहीं होता की ये किस संय अपना रंग बदल कर किस दल के किस नेता के साथ कौन से लालच की वजह से मिल जाए लेकिन हमसे ये आश रखते हैं की हम रात दिन इनके नाम की ही भक्ति करें , गुण गान करें क्यों ?????
तो भाइयो इस बार सब सचेत हो जाओ !! छोड़ो अपनी जाती , धर्म , इलाके और पार्टियों का चक्कर , और ढूंढो कोई नया शरीफ , इमानदार , पढालिखा और अनुभवी नेता , उसे अपना भरोसा दिलाकर आने वाले विधान सभा और संसदीय चुनावों में खडा करें और उसे ही जी जान लगाकर जिताए , ताकि एक नयी सुबह आ सके इस भारत में !! और हमारी आने वाली पीढियां हमें आलसी, चोर , और निक्कमा ना कह सके !
आइये हम सब प्राण करते हैं की हम रोज़ अपने आपकी जनता को जगायेंगे और इक नया भारत का निर्माण करेंगे !! आप भी रोजाना हमारे इस ब्लॉग और ग्रुप में प्रकाशित होने वाले लेखों को पढ़ें , फेसबुक मित्रों को शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी इन पर जाकर लिखें !! हमारे ब्लॉग और ग्रुप का नाम है " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " और इसे खोलने हेतु लोगआन करें रोजाना " www.pitamberduttsharma.blogspot.com.
पूरे जोर से मेरे साथ बोलिए जी !!
धर्म की ----------------- जय हो !
अधर्म का ------------------नाश हो !!
प्राणियों में ------------------सद्भावना हो !!!
विश्व का ----------------------कल्याण हो !!!!
हर -------हर ------हर -------महादेव .....!!!!!!!!!!
दोस्तों ऐसे बयां सभी दलों के नेता देते रहते हैं जब भी उनको अपना " उल्लू सीधा करना होता है " !! लेकिन क्या किसी भी पार्टी के किसी भी नेता को अपने कार्यकर्ता की कभी भी कोई चिंता रही है ????? मुझे तो नहीं लगता की हमारे नेता सचमुच में इतने संवेदन शील हैं ??? 40 साल से मैं भी राजनीती में हूँ लगभग सभी राजनितिक दलों को बेहद करीब से देखा है लेकिन कंही भी किसी नेता को एकांत मैं कार्यकर्त्ता की चिंता करते कभी भी न देखा ना सुना !! आपने कभी देखा या सुना हो तो मुझे अवश्य बताये !!
मेरा अनुभव तो यही कहता है की जब म्हणत का कोई काम होता है तब तो कार्यकर्त्ता की मालिश की जाती है और जब शासन करने का समय आता है तो सिर्फ अपने चहेते या चमचे ही उन्हें याद रहते हैं !! जिनके काम उसी नेता की मिटटी पालित कर देते हैं ???हम लोग तो इन्हें अपना नेता मान कर चलते हैं , लेकिन जब यही किसी के सामने गिडगिडाते नज़र आते हैं तो हमें एक तरह की ग्लानी का आभास होता है की जब हमारे इतने समर्थन के बावजूद ये कुछ नहीं बन सके तो हम क्यों इन " लल्लुओं - पंज्जुओं " के पीछे - पीछे घुमते रहते हैं ??? इनका अपना कोई भी सिध्धांत नहीं और न ही कोई नियम हमारे ऊपर " अनुशासन की तलवार लटकाए रहते हैं की ऐसा मत बोलो ऐसा मत करो आदि - आदि !! क्यों ...???
आप क्या सोचते हैं मित्रो ???
आप के साथ कभी कोई ऐसा अनुभव हुआ है की आपका किसी पार्टी के पद पर बैठने का हक बनता हो और अचानक कोई दूसरा मनोनीत कर दिया गया हो !! या ऐसे ही कोई और अनुभव आपकी जिंदगी में हुए हों तो अवश्य हमारे साथ बाँटें !! ताकि और पाठकों को भी पता चल सके की किस प्रकार से कार्यकर्ताओं के साथ कैसा कैसा अन्याय हो रहा है !! हम क्या इन घिसे पिटे नेताओप्न के कोई बंधुआ मजदूर या अंधी भेड़ें हैं जो आँखें मूँद कर इनके पीछे चले ???? इनका खुद का कोई पता नहीं होता की ये किस संय अपना रंग बदल कर किस दल के किस नेता के साथ कौन से लालच की वजह से मिल जाए लेकिन हमसे ये आश रखते हैं की हम रात दिन इनके नाम की ही भक्ति करें , गुण गान करें क्यों ?????
तो भाइयो इस बार सब सचेत हो जाओ !! छोड़ो अपनी जाती , धर्म , इलाके और पार्टियों का चक्कर , और ढूंढो कोई नया शरीफ , इमानदार , पढालिखा और अनुभवी नेता , उसे अपना भरोसा दिलाकर आने वाले विधान सभा और संसदीय चुनावों में खडा करें और उसे ही जी जान लगाकर जिताए , ताकि एक नयी सुबह आ सके इस भारत में !! और हमारी आने वाली पीढियां हमें आलसी, चोर , और निक्कमा ना कह सके !
आइये हम सब प्राण करते हैं की हम रोज़ अपने आपकी जनता को जगायेंगे और इक नया भारत का निर्माण करेंगे !! आप भी रोजाना हमारे इस ब्लॉग और ग्रुप में प्रकाशित होने वाले लेखों को पढ़ें , फेसबुक मित्रों को शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी इन पर जाकर लिखें !! हमारे ब्लॉग और ग्रुप का नाम है " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " और इसे खोलने हेतु लोगआन करें रोजाना " www.pitamberduttsharma.blogspot.com.
पूरे जोर से मेरे साथ बोलिए जी !!
धर्म की ----------------- जय हो !
अधर्म का ------------------नाश हो !!
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हर -------हर ------हर -------महादेव .....!!!!!!!!!!
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