Tuesday, December 6, 2011

" जिसका - भय था.......वोही - बात हो गयी "....? ? ?

मर्यादा में रहने वाले समझदार मित्रो , नमस्कार !! ग्यानी जन बड़े दिनों से सोच रहे थे , कईयों ने तो फेसबुक पर लिख भी दिया था की अश्लील चित्र और भद्दी भाषा का उपयोग उचित नहीं है परन्तु एक बड़ी गिनती वाले लोग भावना मैं बह कर अनाप - शनाप लिखते भी रहते थे और दिखाते भी रहते थे | मैंने स्वयं भी एक या दो बार कड़े शब्दों का और कुछ ऐसे चित्रों का उपयोग किया जो सभ्य नहीं कहे जा सकते , लेकिन मैंने स्वयं उन चित्रों को नहीं बनाया, फिर भी अगले दिन मैंने सब मित्रों से माफ़ी मांगी !!सरकार या किसी नेता के किसी निर्णय या उसके किसी काम पर किसी को आपत्ति है तो उसे सभ्य शब्दों मैं भी जाहिर किया जा सकता है !! लेकिन  जब कोई हद पार कर जाए तो सख्त शब्द तो जायज़ हैं लेकिन अभद्र फिर भी जायज़ नहीं ?? कई लोग तो किसी चित्र पर बाबा राम देव , सोनिया , राहुल गाँधी , कपिल सिब्बल , आदि जैसे व्यक्तियों के चेहरे लगा देते थे लीन्हे देख कर हंसी भी आती थी और बुरा भी लगता था ??? लेकिन सवाल ये भी पैदा होता है की क्यों किसी को जरूरत पड़ी ऐसे शब्द बोलने की ??? या ऐसे घटिया स्तर  के चित्र बनाने की ???? इसका जवाब भी तो ये उपरोक्त लोग अपने गिरेबान में झाँक कर ढूंढें ..???? कुछ दिन पहले मेरी एक महिला मित्र ने बहुत ही बढ़िया प्रश्न फेसबुक पर उठाया था ! वो ये की मर्द लोग गालियाँ देते समय सामने वाले की " माता , बहन और पत्नी को ही टार्गेट कर के क्यों निकलते हैं ज्यादातर ??? ये बंद होना चाहिए !! मैंने उनसे वडा किया था की मैं जल्द अपने ब्लॉग में इस बारे में लिखूंगा और सचमुच ये मौका आज इतनी जल्दी आ ही गया !! ये तो सब को पता ही है की गलियाँ देने वाला व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति के किसी कार्य से इतनी हद तक क्रोधित होता है की वो उसके अहम् को ज्यादा से ज्यादा तोडना चाहता है और जब वो शारीरिक रूपसे उससे निपट नहीं पाता तब वो ऐसी गलियाँ निकलता है जिससे उसको मानसिक रूपसे गहरी चोट पंहुचे !! इसीलिए वो उसकी माता , पत्नी ,और बहन को निशाना बनाता है क्योंकि इन सबकी इज्जत का रखवाला भी वो सामने वाला व्यक्ति ही होता है !! इन्गालियों को सुन कर उसका अहम् जाग उठता है और वो शारीरिक रूप से लड़ने को बाहर निकल आता है !! ये एक पुराना तरीका था !! आज के इस युग में ऐसे अपशब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि हम सब ज्यादातर पढ़े - लिखे लोग हैं आखिर !! प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग जी ने बहुत ही खूब सूरत तरीके से कल एक t.v. चेनल में बताया की ये गुस्सा अगर " कुछ गलत शब्दों और कुछ गलत चित्रों " तक ही निकलता है तो इसे निकलने देना चाहिए , क्योंकि अगर इस तरह के गुस्से को बंदिश लगाकर रोका गया तो ज्वाला मुखी बन कर फूटने का खतरा बना रहेगा, जो आगे जाकर बम फूटने या उग्रवादी बनकर सामने आ सकता है | ऐसी समस्या का बस एक ही हल है , वो ये की जन्हा तलक हो सके वंहा तलक स्वयं को ही नियंत्रण में रहना चाहिए !! इसी में सब का भला है !! जिनको जनता ने 5. साल  के लिए संसद में भेजा है सरकार बनाकर वोभी ऐसे कार्य न करें जिसे जनता ऐसे व्यक्त करे !! ताली तो दोनों हाथों से ही बजती है न ....?????? सन्मान कोई देता नहीं --- बल्कि कमाया जाता है ....क्या ये नेता इतना भी नहीं जानते ....??? चलो आज हम ये कसम खाते हैं की जो मौजूदा संसद या विधायक हैं उनमे से ज्यादातर को अब हम चुनकर नहीं भेजेंगे .....???? अब चुनावों में ही इन्हें बताया जायेगा की राजा कौन है ??? ये जो हमें चेलेंज कर रहे हैं की चुनावों में जीतकर आ जाओ और अपनी मनमर्जी के क़ानून बनाओ ?? वो ये सब इसी भरोसे पर कह रहे हैं , की इनको पता है हमने वोटरों को जातियों , धर्मों , इलाकों और पार्टियों में इस तरह बाँट दिया है की जनता के सामने इन नेताओं को जितने के इलावा कोई विकल्प ही नहीं रह जायेगा ....?? वोटर तो भुलक्कड़ है , वोटर कोतो ये नेता खरीद लेंगे , वोटर को तो शराब पिलाकर कंही भी वोट डलवा लेंगे ????  लेकिन जनता को अब इन सब बातों को याद रखना होगा ??? उपचुनावों में जो कांग्रेस की जीत हुई है उसीसे इनका ये होसला हुआ है जो ये सोशल वेब साइटों के अफसरों को बुला कर डांटने लगे हैं !! लेकिन " सीमा " में रहना हम सबके लिए फिर भी जरूरी है !!  

3 comments:

  1. उम्र भर यू ही गलतिया करता रहा
    धूल चेहरे पर पड़ी थी और आईने साफ़ करता रहा .
    ----- कपिल जी पहले अपने चेहरे साफ़ करे
    अपने पार्टी के करतूतों को देखे ..फिर सबको चुप कराये |

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  2. Gaaliyan kuchh aur bhi ho sakti hain yadi gussa nikalna hi hai dhyeya hai to .....kyon maa,bahan,beti ko hi target kiya jata hai?....kam se kam padhe likhe logon se to ye ummeed ki hi ja sakti hai......

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  3. मुझे आपके विचार आपका लेख बहुत पसंद आया इसमें आपने हर मुद्दे को उठाया है और उसको परिभाषित भी किया है मैं आपकी हर बात से सहमत हूँ हाँ आपका कहना सही है की गली देने का असल मकसद दूसरे के प्रति अपने रोष को जाहिर करना ही है और वो अगर बहार नहीं निकलेगा तो ज्वालामुखी का रूप जरुर लेगा ये बात बिलकुल सच है क्युकी हमारे अंदर इस तरह का सैलाब बहता रहता है और उसे बहार निकलना बहुत जरूरी है वर्ना वो कब सुनामी का रूप धारण कर ले कोई नहीं कह सकता | और आपकी ये बात भी सही है की जब कोई बात किसी को बुरी लगती है तो उसे बनाया क्यु जाता है ये भी सच है की वो इंसान ने ही बनाया है इसका मतलब वह बात उसकी नज़र में गलत नहीं क्युकी संसार विचारों के समुंदर से भरा पढ़ा है तो क्या बात सही और क्या गलत इसका कोई निश्चित पैमाना नहीं ए मेरा सोचना है |

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