भारत देश में अपना जीवन जैसे - तैसे व्यतीत करने वाले माध्यम दर्जे और स्वरण जाती का ठप्पा लगवाकर घिस - घिस कर जीने वाले दोस्तों !! " घिसा - पिटा " नमस्कार स्वीकार करें !!हम चाहे कितना भी सोच समझ कर चुनाव में अपनी पसंद का या किसी भी पार्टी के हाई - कमांड की पसंद का प्रत्याशी क्यों न चुन लें , पत्रकार और नेता हमें कितनी ही " समझदार - जनता" क्यों न घोषित करदे ...परन्तु देखने में यही आया है की हम अपने निर्णय पर पांच साल बाद पछताए ही हैं !!दो साल बाद ही हम सोचने लग जाते हैं की ये ससुरी सरकार का " आखरी - टाइम " कब आएगा ??? परन्तु सरकार के मंत्री और बाकी सभी नेता " एक चोरी - ऊपर से सीना जोरी " वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए कहते हैं की हमें पूरे पांच साल तक राज करने हेतु " जनादेश " मिला है , इसलिए हम अपने पांच साल पूरे करके रहेंगे !! जब जनता ने किसी भी पार्टी को बहुमत देना बंद कर दिया तो हमारे चतुर नेताओं ने एक नया तरीका अपना लिया देश की सारी पार्टियों को तीन भागों में बाँट दिया । एक ग्रुप का नाम " साम्प्रदायिक शक्तियां " रख दिया , दुसरे ग्रुप का नाम " कम साम्प्रदायिक पार्टियां " और तीसरे ग्रुप का नाम " तीसरा - मोर्चा " नाम ही रख दिया !! कुछ सालों तक तो देश की जनता को इस तरह से बेवकूफ बनाया की जिस तरफ बहुमत की कमी होती थी उसका समर्थन तथाकथित तीसरा - मोर्चा कर देता था ! फिर जैसे जैसे देश की जनता के सामने इन पार्टियों के बने ग्रुपों के भेद खुलते गए वैसे - वैसे तीन ग्रुपों से कम हो कर अब सिर्फ देश में सिर्फ दो ही ग्रुप रह गए हैं , जो देश को बारी - बारी से चलाने की कोशिश कर रहे हैं ???जिनका नाम देश को चलाने वालीं - " साम्प्रदायिक " और " सेकुलर " शक्तियां है ।। आज एक ग्रुप की पार्टियां केंद्र में तो अपने ग्रुप का साथ देती हैं लेकिन प्रदेश में वो चुनावों के समय में दुश्मन होने का नाटक करती हैं !! जब देश की किसी भी पार्टी को बहुमत से नहीं जिताती है तो सभी को यही कहना चाहिए की " क्योंकि किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला है इस लिए देश में आज से " राष्ट्रपति - शासन " लागू होगा ।। लेकिन नहीं --- क्योंकि सभी संविधानिक पद " सत्ता रुढ " पार्टियों द्वारा ही भरे गए होते हैं इस लिए वो सब " मिटटी के माधो " बन जाते हैं और बोलते हैं की " दुबारा चुनाव नहीं हो सकते हैं क्योंकि देश पर खरबों रूपये का " बोझ " पड जाएगा ???? उनके चमचे पत्रकार भी यही भाषा बोलने लग जाते हैं !! समझ दार जनता एक बार फिर बेवकूफ बन जाती है और इसी आशा में जीने लगती है की शायद अगली बार सब ठीक हो जाए लेकिन हाय री किस्मत !! बासठ साल हो गए आज तक नहीं किस्मत सुधरी तो आगे भी जल्दी सुधरने की कोई उमीद भी नहीं है ????? इन नेताओं को जब अपनी कोई तनख्वाह बढाने या कोई और अपने हित का प्रस्ताव पास कराना होता है तो न तो इनको कोई साम्प्रदायिक नज़र आता है और न ही किसी को " झूठा सेकुलर नज़र आता है ??? सब एक हो कर अपना " उल्लू " सीधा कर लेते हैं !! जन - हित का कोई काम करना हो तो इन्हें सारे क़ानून याद आ जाते हैं और सभी भेद नज़र आने लग जाते हैं ???? भोली जनता आज भी ......पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के नतीजों की तरफ इक आस लगाये बैठी है ........बोलो जय श्री राम !! सभी मित्रों से मेरा अनुरोध है की सब मेरे ब्लॉग और ग्रुप , जिसका नाम है " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " को खोल कर पढ़ें या LOG ON करें www.pitamberduttsharma.blogspot.com. आपके जो भी इस पर विचार हो वो अवश्य प्रकट करें क्योंकि वो हमारे लिए " च्यवन प्राश " का काम करेंगे !! ज्यादा से ज्यादा लोग हमारे ब्लॉग और ग्रुप से जुड़ें ताकि हम सब मिल कर देश की जनता को जागृत कर सकें !! संपर्क हेतु डायल करें 09414657511
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