Thursday, June 27, 2013

" टेलिविज़न चेनलों पर भद्दी बहस करते ,ये एङ्क़र और बेवकूफ विशेषग्य गण " क़ानून कंहा है ????

प्रिय मित्रो , सादर नमस्कार स्वीकार करें !! 
                      आम जनता तक वोही समाचार "पोलिश " होकर पंहुचता है जो सरकार और पत्रकार लोग "बना " कर हमारे आगे परोसते हैं ! जब से इंटरनेट पर " सोशियल-मीडिया " आया है तब से प्रिन्ट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया हेतु ऐसा कर पाना अब मुश्किल काम हो गया है !! अब वो लोग कोई समाचार छिपा और तोड़ -मरोड़ नहीं पा रहे !! इसीलिए यदा-कदा  सरकार और ये बिकाऊ मिडिया वाले इंटरनेट की कई साईटों को बंद करने का प्रयास करते ही रहते हैं !!
                          सरकार के झूठ को सच में बदलने हेतु ये लोग न जाने कंहा - कंहा से विशेषग्य पकड़ कर ले आते हैं जो उस विशेष प्रवक्ता को बोलने ही नहीं देते जो वो बोलना चाहता है !! वैसे भी ये प्रवक्ता लोग तैयारी करके भी नहीं आते !! सो वो उस " बदमाश " पैनेल के जाल में फंस जाते हैं !! मेरे प्रिय मित्र मुकुल श्रीवास्तव जी ने भी अपना दर्द इस तरह से बयान किया है ...रविश जी, कल प्राइम टाइम में ऐसा लग रहा था की इस देश में हिन्दू मुस्लिम. सेक्युलर कम्युनल के अलावा और कोई मुद्दा ही नहीं है ? आजकल बहुत सी फ़ालतू सी प्रायोजित ख़बरों, बहसों, बातों से अब लोगों को उब होने लगी है...! 

1. बिहार यूपी में बिजली क्यों नहीं है...एक सौ बीस से ज्यादा सांसद क्या कर रहे है वहां के लोगों के लिए...?

2. देश के ज्यादातर राज्यों में भी ऐसा ही है...कारखाने बंद पड़े हैं...रोजगार नहीं है ! बीमारी गरीबी भूख शिक्षा सुरक्षा...बहुत सारे मुद्दे हैं उन पे बात ही नहीं हो रही है !

3. कांग्रेस के बड़े बड़े घोटालों की रिपोर्टिंग करते करते अचानक कई महीनो का बड़ा सा ब्रेक क्यों ले लेता है मीडिया..? क्या हुआ आगे उन सब घोटालों का ?

4. हसन अली के हवाला के ज़रिये विदेशों में पैसा भेजने के बड़े भारी मुद्दे पर मीडिया ने क्यों मुह मोड़ रखा है ? कभी 40 -50 मिनट के टाक शो इस पे भी रखा जाए !

5 सरकार की नीतियों और निकम्मेपन के चलते युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहे...युवा मानसिक रोगी हो रहे हैं..? देश के उद्योग अर्थव्यवस्था व्यापार डूबने की कगार पर हैं !

इतिहास को छोड़ के देश अब आगे बढना चाहता है...लोगों को हिन्दू मुस्लिम के मुद्दे पर उलझाने वाले सब पत्रकार और नेता ध्यान से सुने...देश सिर्फ विकास और व्यवस्था चाहता है...और उस में अपनी भागीदारी...यदि इतिहास की बातें कर के लोगों में आपसी तनाव पैदा करना है तो 12 साल पहले अपने घरों में पैदा हुए बच्चों और अपना डीएनए टेस्ट करवा के शुरुआत कर लें सब से पहले...! इतना भी बेशर्म मत बनो की लोग तुम सब जैसे नंगों को.....अब और क्या कहें....! हद हो चुकी है बेशर्मी की !!!
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                       क्यों होता है ऐसा ......?????? क्यों हिन्दुस्तान के सभी दुश्मन है बन गए हैं ??????
क्यों भारत मैं पैदा हुए लोग ही भारतीय संस्कृति का विरोध करने लगते हैं ??? क्यों असली मुद्दों को ये नहीं उठाते ??? क्यों नाकारात्मक पत्रकारिता ही करते हैं ये लोग ???? क्या ये लोग भी एक प्रकार के " माफिया " बनचुके  हैं ?????
                     कौन निजात दिलाएगा हमें इनसे ??? वैसे तो एक संस्था का नाम सभी चेनलों पर चल रही पट्टी पर घूमता रहता है कि जिसको कोई प्रोग्राम पसंद नहीं हो वो हमारे यंहा शिकायत करे !! आज तक किसी भी कार्यक्रम या विज्ञापन को बैन हुआ मैंने तो नहीं देखा !! तो क्या सरकार अपने आप कोई संज्ञान नहीं ले सकती ???? या फिर जनता को फूहड़ विज्ञापन और नकली चर्चाएँ ही पसंद आती हैं ???और हम जैसे लेखक ही " फूहड़ " हैं ???? मुझे तो अब कुछ समझ में ही नहीं आ रहा मित्रो !! दिमाग का दलीय बन गया है !! 
                    आप ही बताइए मित्रो !!
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                                            आपका मित्र ,
         पीताम्बर दत्त शर्मा (राजनितिक -समीक्षक ),
          हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार ,
            पंचायत समिति कार्यालय के सामने ,
               सूरतगढ़ ,राजस्थान ,09414657511

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