पाठक मित्रो ! बहुत वर्षों पहले शत्रुघ्न सिन्हा साहेब की एक फिल्म आई थी , जिसका नाम था " आदमी सड़क का " ! इस फिल्म में उन्होंने निम्न स्तर के लोगों की समस्याएं दिखायीं थीं और ये भी दिखाया था की चाहे वो गरीब हैं लेकिन उनमे ईमानदारी संस्कार और उपकार की भावना बहुत होती है ! श्री देवेन्द्र गोयल की इस फिल्म में पैसों वालों के चरित्र की सच्चाई को बड़ी खूबी के साथ दिखाया गया था !
आज दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री " विष्णु के पन्द्रवें अवतार "केजरीवाल जी को भी सड़क के आदमियों की इतनी याद आई कि उन्होंने भावावेश में बहकर सड़क नियमों का पालन करवाने वाले ट्रेफिक , होमगार्ड्स और आम पोलिस वालों को " ठुल्ला " शब्द बोल दिया ! भावावेश में बह गए मैं इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि बाद में उन्होंने माफ़ी भी मांग ली , लेकिन सिर्फ ईमानदार पोलिस वालों से ! याद रहे !
अब सवाल ये पैदा हो गया कि क्या ये भाषा हमें मान्य है ??तो इसके लिए मेरा कहना ये है कि भाषा का स्तर सबसे पहले हमारे सिनेमा और प्रचार एजेंसियों ने बिगाड़ा ! जब उनको किसी ने नहीं रोका तो नेता लोग भी वैसा ही बोलने लगे ! आजके फ़िल्मी डायलॉग,गाने और कहानियाँ सब इतनी बिगड़ चुकी हैं की पूछिए मत ! जब ऐसी फिल्मे और अड्वर्टइज़्मेंट बनाने वाले लोगों से कोई पूछता भी है तो वो ही घिसा-पिटा तर्क सामने रख्खा जाता है कि हम तो वो ही दिखाते हैं जो समाज में हो रहा है !गंदगी- अच्छाई दोनों समाज में शुरू से हैं और रहेंगी लेकिन अंतर सिर्फ इतना है कि पहले गंदगी छिपायी जाती थी और अच्छाई को उबारा जाता था लेकिन आज गंदगी दिखाई ही नहीं उछाली जा रही है और अच्छाई को छिपाया जा रहा है ! निश्चय ही ये कार्य देश द्रोह में आता है !
भारत में कोई भी कार्य और राजनीती करने वाले अगर देश के दुश्मन देशों से किसी भी प्रकार के पैसे को पाकर ,उसका का प्रयोग समाज को बिगाड़ने का काम करते हैं तो वे भी देश द्रोही हैं ! सज़ा के पात्र हैं ! ऐसे लोगों में से एक माननीय नहीं-नहीं श्री -- नहीं-नहीं ये भी उचित नहीं उनके लिए मिस्टर केजरीवाल भी यही काम कर रहे हैं ! भारत की व्यवस्था में कोई ना कोई कमी निकाल के अनुचित मांगे रख कर देश का ध्यान तरक्की करने से हटाना ही उनका काम हो गया है ! कोई उनसे पूछे कि आज से पहले जो दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे , वो कोई काम नहीं करते थे ??उन्होंने महिलाओं या सड़क के आदमियों हेतु कोई योजनाएं नहीं बनायीं ??
अब कुछ बातें सड़क के लोगों की भी कर लेते हैं जी ! सबसे पहले रेहड़ी वाले , खोमचे वाले , रिक्शा-टेम्पो-गाड़े वाले इनकी बात करते हैं !इनकी गलती ये होती है की ये कहीं भी खड़े हो जाते हैं और कहीं से भी निकल लेते हैं !इनको कोई हटाना चाहे तो ये हट्टे नहीं जहां ये एक बार खड़े हो गए उस जगह को ये अपनी पत्ते-शुदा जगह मान लेते हैं !
सरकार सड़क की व्यवस्था हेतु होमगार्ड्स और ट्रेफिक पोलिस वालों की ड्यूटी लगाती है बस यहीं से भ्रष्टाचार शुरू हो जाता है ! ये तरकीब कौन सूझता है और उसे अपनी सहमति कौन देता है ये हर केस में अलग-अलग लोग होते हैं किसी में पोलिस वाला और किसी में रेहड़ी खोमचे वाला ! " ठुल्ला " कौन हुआ ?? सुझाव मानने वाला या सुझाव बताने वाला ?? हमारा क़ानून तो दोनों को दोषी मानता है ! लेकिन केजरी वाल जी ने सिर्फ पोलिस वालों को ही " ठुल्ला " क्यों कहा ?? ये सोचने की बात है ! वोट तो सबके होते हैं भाई !
बात दिल्ली की हो या फिर आपके और हमारे शहर की ये समस्याएं ससुरी एक जैसी ही होतीं हैं !हमारे सूरतगढ़ में भी अगर किसी ने हेलमेट ना पहना हो तो चालान काटने से पहले कुछ लेने-देने की चर्चा अवश्य होती है ! हमारे सूरतगढ़ में भी रेहड़ी वाले अनशन पर बैठे हैं वो चाहते हैं कि उन्हें शहर के उस हिस्से में रेहड़ी लगाने की"मुफ्त" अनुमति प्रदान की जाए जहां दुकानों का रेट करोड़ों में है !लेकिन वो लोग ये गारंटी देने को तैयार नहीं हैं कि उसके बाद में कोई नयी रेहड़ी इस शहर में नहीं लगेगी ! भिखारी,मजमे वाले और पार्किंगवाले भी इसीतरह की समस्याएं कड़ी करते रहते हैं जिस से जनता परेशान हो जाती है ! छोेटे शहरों को बड़ा बनाने हेतु इस तरह के लोगों को एक साथ कंही एडजस्ट करना चाहिए !
केजरीवाल जी और उन जैसी सोच रखने वाले नेताओं से विनती है कि वो देश की चाल को रोकने का काम नहीं करें बल्कि चाल कैसे दौड़ में बदले ऐसे काम करें ! दिल्ली पोलिस का और अन्य महकमें बाद में केंद्र से मांगें पहले जो महकमे उनके पास हैं उनमे बढ़िया काम करके दिखाएँ ! अगर उनमे वो बढ़िया सिद्ध हो जायेंगे तो जनता उन्हें महकमे नहीं बल्कि प्रधानमंत्री का पद भी दे सकती है लेकिन बड़े पद हेतु उन्हें अपनी सोच भी बड़ी करनी होगी जी !!
मित्रो !!"5TH PILLAR CORRUPTION KILLER",नामक ब्लॉग रोज़ाना अवश्य पढ़ें,जिसका लिंक -www.pitamberduttsharma.blogspot.com. है !इसे अपने मित्रों संग शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी हमें अवश्य लिख कर भेजें !इसकी सामग्री आपको फेसबुक,गूगल+,पेज और कई ग्रुप्स में भी मिल जाएगी !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल ईद ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
आज दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री " विष्णु के पन्द्रवें अवतार "केजरीवाल जी को भी सड़क के आदमियों की इतनी याद आई कि उन्होंने भावावेश में बहकर सड़क नियमों का पालन करवाने वाले ट्रेफिक , होमगार्ड्स और आम पोलिस वालों को " ठुल्ला " शब्द बोल दिया ! भावावेश में बह गए मैं इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि बाद में उन्होंने माफ़ी भी मांग ली , लेकिन सिर्फ ईमानदार पोलिस वालों से ! याद रहे !
अब सवाल ये पैदा हो गया कि क्या ये भाषा हमें मान्य है ??तो इसके लिए मेरा कहना ये है कि भाषा का स्तर सबसे पहले हमारे सिनेमा और प्रचार एजेंसियों ने बिगाड़ा ! जब उनको किसी ने नहीं रोका तो नेता लोग भी वैसा ही बोलने लगे ! आजके फ़िल्मी डायलॉग,गाने और कहानियाँ सब इतनी बिगड़ चुकी हैं की पूछिए मत ! जब ऐसी फिल्मे और अड्वर्टइज़्मेंट बनाने वाले लोगों से कोई पूछता भी है तो वो ही घिसा-पिटा तर्क सामने रख्खा जाता है कि हम तो वो ही दिखाते हैं जो समाज में हो रहा है !गंदगी- अच्छाई दोनों समाज में शुरू से हैं और रहेंगी लेकिन अंतर सिर्फ इतना है कि पहले गंदगी छिपायी जाती थी और अच्छाई को उबारा जाता था लेकिन आज गंदगी दिखाई ही नहीं उछाली जा रही है और अच्छाई को छिपाया जा रहा है ! निश्चय ही ये कार्य देश द्रोह में आता है !
भारत में कोई भी कार्य और राजनीती करने वाले अगर देश के दुश्मन देशों से किसी भी प्रकार के पैसे को पाकर ,उसका का प्रयोग समाज को बिगाड़ने का काम करते हैं तो वे भी देश द्रोही हैं ! सज़ा के पात्र हैं ! ऐसे लोगों में से एक माननीय नहीं-नहीं श्री -- नहीं-नहीं ये भी उचित नहीं उनके लिए मिस्टर केजरीवाल भी यही काम कर रहे हैं ! भारत की व्यवस्था में कोई ना कोई कमी निकाल के अनुचित मांगे रख कर देश का ध्यान तरक्की करने से हटाना ही उनका काम हो गया है ! कोई उनसे पूछे कि आज से पहले जो दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे , वो कोई काम नहीं करते थे ??उन्होंने महिलाओं या सड़क के आदमियों हेतु कोई योजनाएं नहीं बनायीं ??
अब कुछ बातें सड़क के लोगों की भी कर लेते हैं जी ! सबसे पहले रेहड़ी वाले , खोमचे वाले , रिक्शा-टेम्पो-गाड़े वाले इनकी बात करते हैं !इनकी गलती ये होती है की ये कहीं भी खड़े हो जाते हैं और कहीं से भी निकल लेते हैं !इनको कोई हटाना चाहे तो ये हट्टे नहीं जहां ये एक बार खड़े हो गए उस जगह को ये अपनी पत्ते-शुदा जगह मान लेते हैं !
सरकार सड़क की व्यवस्था हेतु होमगार्ड्स और ट्रेफिक पोलिस वालों की ड्यूटी लगाती है बस यहीं से भ्रष्टाचार शुरू हो जाता है ! ये तरकीब कौन सूझता है और उसे अपनी सहमति कौन देता है ये हर केस में अलग-अलग लोग होते हैं किसी में पोलिस वाला और किसी में रेहड़ी खोमचे वाला ! " ठुल्ला " कौन हुआ ?? सुझाव मानने वाला या सुझाव बताने वाला ?? हमारा क़ानून तो दोनों को दोषी मानता है ! लेकिन केजरी वाल जी ने सिर्फ पोलिस वालों को ही " ठुल्ला " क्यों कहा ?? ये सोचने की बात है ! वोट तो सबके होते हैं भाई !
बात दिल्ली की हो या फिर आपके और हमारे शहर की ये समस्याएं ससुरी एक जैसी ही होतीं हैं !हमारे सूरतगढ़ में भी अगर किसी ने हेलमेट ना पहना हो तो चालान काटने से पहले कुछ लेने-देने की चर्चा अवश्य होती है ! हमारे सूरतगढ़ में भी रेहड़ी वाले अनशन पर बैठे हैं वो चाहते हैं कि उन्हें शहर के उस हिस्से में रेहड़ी लगाने की"मुफ्त" अनुमति प्रदान की जाए जहां दुकानों का रेट करोड़ों में है !लेकिन वो लोग ये गारंटी देने को तैयार नहीं हैं कि उसके बाद में कोई नयी रेहड़ी इस शहर में नहीं लगेगी ! भिखारी,मजमे वाले और पार्किंगवाले भी इसीतरह की समस्याएं कड़ी करते रहते हैं जिस से जनता परेशान हो जाती है ! छोेटे शहरों को बड़ा बनाने हेतु इस तरह के लोगों को एक साथ कंही एडजस्ट करना चाहिए !
केजरीवाल जी और उन जैसी सोच रखने वाले नेताओं से विनती है कि वो देश की चाल को रोकने का काम नहीं करें बल्कि चाल कैसे दौड़ में बदले ऐसे काम करें ! दिल्ली पोलिस का और अन्य महकमें बाद में केंद्र से मांगें पहले जो महकमे उनके पास हैं उनमे बढ़िया काम करके दिखाएँ ! अगर उनमे वो बढ़िया सिद्ध हो जायेंगे तो जनता उन्हें महकमे नहीं बल्कि प्रधानमंत्री का पद भी दे सकती है लेकिन बड़े पद हेतु उन्हें अपनी सोच भी बड़ी करनी होगी जी !!
मित्रो !!"5TH PILLAR CORRUPTION KILLER",नामक ब्लॉग रोज़ाना अवश्य पढ़ें,जिसका लिंक -www.pitamberduttsharma.blogspot.com. है !इसे अपने मित्रों संग शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी हमें अवश्य लिख कर भेजें !इसकी सामग्री आपको फेसबुक,गूगल+,पेज और कई ग्रुप्स में भी मिल जाएगी !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल ईद ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत !
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