पाठक मित्रो ! हमारे लोकतंत्र ने केवल हमारे नेताओं को ही "बुद्धिमान" नहीं बनाया है , बल्कि हमारे अफसरों को भी "स्मार्ट" बना दिया है ! अब हमारे बिजली और पानी सप्लाई विभाग के अफसर भली-भाँति से ये जानते हैं कि मोहल्ले से लेकर मंत्री तक से कैसे "निबटना"है ! चाहे ये नेता लोग कितने भी बड़े जन-समूह के साथ आएं , या फिर किसी मंत्री जी की कोई सिफारिश के साथ आएं , ये ऐसा "मायाजाल" बुनते हैं कि प्रार्थी अफसर की समस्या को भली-भाँति समझकर और संतुष्ट हो कर अपने घर को लौट जाता है ! काम तभी होता है जब अफसर चाहता है !
हालात तो यहां तलक पंहुच चुके हैं कि किसी भी सरकारी दफ्तर में चले जाएँ , देखने में यही मिलेगा कि कर्मचारी जो भी कार्य कर रहा है , वो ऐसे काम कर रहा है जैसे किसी पर कोई एहसान कर रहा है ! शायद इसीलिए मोदी जी ने शपथ लेने के बाद आज की अफसर शाही को "शाबाश" दे कर और उनमें अपना विश्वास जताकर ही कार्यकाल शुरू किया !आज जिस भी युवा को देख लीजिये , वो सिर्फ अच्छी नौकरी ही चाहता है !जबकि पहले किसी भी प्रकार की नौकरी को "दोयम"दर्जे का कार्य माना जाता था !अपने "हुनर" और "कला"पर उसे "विश्वास" ही नहीं है !अपना व्यपार चलाने हेतु आज के युवा के पास अपनी "पूंजी"की भी भारी कमी है !इसीलिए सभी माता-पिता अपनी संतान को पढ़ा-लिखा कर सरकारी नौकर बनाना चाहते हैं ! क्योंकि वो देख रहे हैं कि एकबार अगर नौकरी मिल गयी तो उसे कोई हटा नहीं सकता !लेकिन नौकरी करने वाला जनहित के काम कम और आराम ज्यादा करना चाहता है !
मैं गया एक सरकारी दफ्तर में देखा कि "बाबू"जी ,नए बने सरपंच,सरपंच पति और डाइरेक्टर को भी नहीं छोड़ते ! उनसे भी नकद रिश्वत नहीं तो "चाय-पानी"के नाम पर दारु पार्टी जितने पैसे लेकर उनका कहना मानते दिखाई दिए ! छोटे जनप्रतिनिधि केवल इसलिए ये लालच देते हैं कि जनता को लगे कि सरकारी कार्यालय में उनकी बहुत चलती है ! एक "इशारे" से ही उनके सरपंच - डाइरेक्टर का काम हो जाता है ! दफ्तर के सभी बाबू हमारे सरपंच - डाइरेक्टर को "नमस्कार"करते हैं !
जब छोटे दफ्तरों का ये हाल है तो बड़े दफ्तरों में तो निश्चय ही "बड़े खेल एवं कलाकारियां"होती होंगी ???क्योंकि भ्रष्टाचार की सभी "कलाएं"तो "ऊपर से नीचे" ही आती हैं जी !पिछले 67 सालों में सरकार चाहे किसी की भी रही हो , भ्रष्टाचार रोकने का काम किसी ने नहीं किया है जी !देखना ये भी है कि मोदी जी के "एजेंडे"में भ्रष्टाचार को मिटाना कितने नंबर पर है ???? या फिर ये भी पूर्व प्रधानमंत्रियों की तरह "मैनेज" हो जाएंगे ??
आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !! भगवन आपको आशीर्वाद दे !!"5TH PILLAR CORRUPTION KILLER",नामक ब्लॉग रोज़ाना अवश्य पढ़ें,जिसका लिंक -www.pitamberduttsharma.blogspot.com. है !इसे अपने मित्रों संग शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी हमें अवश्य लिख कर भेजें !इसकी सामग्री आपको फेसबुक,गूगल+,पेज और कई ग्रुप्स में भी मिल जाएगी !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल ईद ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत !
हालात तो यहां तलक पंहुच चुके हैं कि किसी भी सरकारी दफ्तर में चले जाएँ , देखने में यही मिलेगा कि कर्मचारी जो भी कार्य कर रहा है , वो ऐसे काम कर रहा है जैसे किसी पर कोई एहसान कर रहा है ! शायद इसीलिए मोदी जी ने शपथ लेने के बाद आज की अफसर शाही को "शाबाश" दे कर और उनमें अपना विश्वास जताकर ही कार्यकाल शुरू किया !आज जिस भी युवा को देख लीजिये , वो सिर्फ अच्छी नौकरी ही चाहता है !जबकि पहले किसी भी प्रकार की नौकरी को "दोयम"दर्जे का कार्य माना जाता था !अपने "हुनर" और "कला"पर उसे "विश्वास" ही नहीं है !अपना व्यपार चलाने हेतु आज के युवा के पास अपनी "पूंजी"की भी भारी कमी है !इसीलिए सभी माता-पिता अपनी संतान को पढ़ा-लिखा कर सरकारी नौकर बनाना चाहते हैं ! क्योंकि वो देख रहे हैं कि एकबार अगर नौकरी मिल गयी तो उसे कोई हटा नहीं सकता !लेकिन नौकरी करने वाला जनहित के काम कम और आराम ज्यादा करना चाहता है !
मैं गया एक सरकारी दफ्तर में देखा कि "बाबू"जी ,नए बने सरपंच,सरपंच पति और डाइरेक्टर को भी नहीं छोड़ते ! उनसे भी नकद रिश्वत नहीं तो "चाय-पानी"के नाम पर दारु पार्टी जितने पैसे लेकर उनका कहना मानते दिखाई दिए ! छोटे जनप्रतिनिधि केवल इसलिए ये लालच देते हैं कि जनता को लगे कि सरकारी कार्यालय में उनकी बहुत चलती है ! एक "इशारे" से ही उनके सरपंच - डाइरेक्टर का काम हो जाता है ! दफ्तर के सभी बाबू हमारे सरपंच - डाइरेक्टर को "नमस्कार"करते हैं !
जब छोटे दफ्तरों का ये हाल है तो बड़े दफ्तरों में तो निश्चय ही "बड़े खेल एवं कलाकारियां"होती होंगी ???क्योंकि भ्रष्टाचार की सभी "कलाएं"तो "ऊपर से नीचे" ही आती हैं जी !पिछले 67 सालों में सरकार चाहे किसी की भी रही हो , भ्रष्टाचार रोकने का काम किसी ने नहीं किया है जी !देखना ये भी है कि मोदी जी के "एजेंडे"में भ्रष्टाचार को मिटाना कितने नंबर पर है ???? या फिर ये भी पूर्व प्रधानमंत्रियों की तरह "मैनेज" हो जाएंगे ??
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आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत !
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