परमप्रिय माननीय पाठक मित्रो ! सादर नमन !आज मैं आपसे एक विशेष चर्चा करना चाहता हूँ !क्योंकि आज कुछ ख़ास किस्म की घटनाएं घटित हुई हैं !जिनमे से कुछ का ज़िक्र मैं आपके साथ करना चाहूंगा !ये घटनाएं आपको बतलायेंगी कि भारतीय राजनितिक दल ,उनके नेता और वामपंथी सोच वाला एवम कोंग्रेस द्वारा पोषित मीडिया हम भारत वासियों के बारे में क्या-क्या सोचता है !ये किस प्रकार से हम भारतवासियों पर षड्यन्त्र रचकर हम पर शासन करना चाहते हैं !ये हमारे रीती-रिवाजों,त्योहारों और परम्पराओं को तोडना चाहते हैं !ये हमारी न्याय-संगत बात को भी गलत साबित करना चाहते हैं !देखिये इन घटनाओं को फिर विचार कीजिये !
1. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह दिखने के साथ साथ "चतुर"पत्रकारों द्वारा "वाम"सोच को सही साबित करना,वहां के "सात्विक-विरोध"प्रदर्शन को भारत के "तोड़-फोड़-प्रदर्शन"जैसा ही बताना जैसे कुत्सित प्रयास हुए हैं !कुछ मीडिया घराने आजकल स्वयं को "खुदा"समझने लगे हैं !उनको ये लगने लगा है कि हम जनता और कर्णधारों को जैसा चाहें वैसे चला सकते हैं !
2. आरएसएस प्रचार-प्रमुख जी का सवाल पूछने पर उत्तर स्वरूप ,कही गयी एक न्यायसंगत बात को ऐसे प्रदर्शित करना और साथ-साथ विरोधी नेताओं के घर जाकर उनसे ऐसे ऐसे ब्यान दिलवाना, जिससे लगे कि पता नहीं "आरक्षण-प्राप्त"लोगों पर कोई पहाड़ टूट पड़ा हो !पत्रकारिता की क्या ये कोई नयी मिसाल है ?
3. बहन मायावती जी द्वारा नोटबन्दी के कारण ,महँगी चुनावी रैली नहीं कर पाने के कारण ,इस चालाक मीडिया ने ,उनकी "प्रेस-कांफ्रेंस"के नाम पर न केवल चुनावी सभा करवादी बल्कि चुनाव आयोग की आँखों में मीडिया ने धूल झोंक दी ,और चुनाव आचार संहिता की भी धज्जियां उड़ा दीं !सर्वोच्च-न्यायालय को इस विषय पर अवश्य संज्ञान लेना चाहिए !
4. कुछ समय पहले तलक "राजस्थान-पत्रिका का वसुंधरा जी के साथ विज्ञापन देने-ना देने पर झगड़ा चल रहा था ,ये सर्वविदित है !लगता है जैसे अब समझौता हो गया हो !आज पूरे पेज विज्ञापनों से भरे हुए थे !क्या अब इस अखबार की दृष्टि में सब सही हो गया ?जबकि विज्ञापनों में बताई गयी योजनाओं का लाभ जनता के पास पहुँच ही नहीं रहा !ये हमने सर्वे में पाया है !
इन सब अलग अलग घटनाओं का सार ये समझने के लिए काफी है कि भारतीय मीडिया के एक पक्ष की चली "तो पांच राज्यों के चुनावों में भाजपा हारेगी" और भाजपा के नेताओं और आरएसएस ने अपने कार्यकर्ताओं एवम अपनी योजनाओं पर "नज़र"नहीं रख्खी "तो भाजपा हारेगी"! "और अगर भाजपा हारी तो"भारत के सभी "नरभक्षी"इकठ्ठे हो जाएंगे !जनता को नोच-नोच कर खा जाएंगे !इसलिए मित्रो !हमें हमेशां सजग रहने की आवश्यकता है !हमारा दुश्मन हमारे बीच में ही छिपा हुआ है !आज हमीं को ये हौसला दिखाना पड़ेगा !जो भ्रष्टाचार के पक्ष में अपने विचार रख्खे उसे चिन्हित कर समाज से बाहर करें !चोर को चोर बड़े ही जोर से कहना होगा !नहीं तो ये छिपे हुए भेड़िये हमारी आनेवाली पीढ़ियों को जीने नहीं देंगे ! भाजपा के नेताओं से भी मेरी एक अपील है कि विज्ञापनों में लगने वाला धन अपने कार्यकर्ताओं को दो , वो प्रभावित तरीके से आपकी योजनाओं का ना केवल प्रचार करेंगे बल्कि आपकी योजनाएं कितनी कार्यन्वित हो रही हैं ये भी बताएँगे !अगर भाजपा ने अपने जमीनी कार्यकर्ताओं की "सार-संभाल"नहीं की "तो भाजपा हारेगी","और अगर भाजपा हारी तो"..... !!! दोबारा सत्ता में नहीं आ पायेगी !आखिर क्यों चाहिए उसे वर्षों तलक सत्ता?????क्या चन्द महीनों में एकमुश्त बदलाव लाकर नयी व्यवस्थाएं लागू नहीं की सकतीं?????आखिर किस बात से डरते हैं भाजपाई नेता ??जनता जवाब चाहती है ! जनता बदलाव चाहती है !!निकम्मे सांसदों,विधायको और मंत्रियो .. !समय का सदुपयोग करो !बाकी बचे 2 -3 वर्षों में दशकों जितना काम करो !मुख्य - धारा को बदलो !ताकि जनता कहे कि इनको ही जिताना है !लाओ कोई ऐसी व्यवस्था ,जो भुलादे पुराने "आरक्षण-सिस्टम" को !बनाओ कुछ ऐसे नए क़ानून जो ला दें इस देश में वही प्रेम-प्यार !बढादे सदाचार !पनपा दें भारतीय संस्कार !
जय हिन्द !!जय भारत !! "अच्छे दिन आएंगे !
आपके अनमोल कॉमेंट्स का स्वागत है !
5th पिल्लर करप्शन किल्लर" "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा " वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे ! link -www.pitamberduttsharma.blogspot.com मोबाईल न. + 9414657511
1. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह दिखने के साथ साथ "चतुर"पत्रकारों द्वारा "वाम"सोच को सही साबित करना,वहां के "सात्विक-विरोध"प्रदर्शन को भारत के "तोड़-फोड़-प्रदर्शन"जैसा ही बताना जैसे कुत्सित प्रयास हुए हैं !कुछ मीडिया घराने आजकल स्वयं को "खुदा"समझने लगे हैं !उनको ये लगने लगा है कि हम जनता और कर्णधारों को जैसा चाहें वैसे चला सकते हैं !
2. आरएसएस प्रचार-प्रमुख जी का सवाल पूछने पर उत्तर स्वरूप ,कही गयी एक न्यायसंगत बात को ऐसे प्रदर्शित करना और साथ-साथ विरोधी नेताओं के घर जाकर उनसे ऐसे ऐसे ब्यान दिलवाना, जिससे लगे कि पता नहीं "आरक्षण-प्राप्त"लोगों पर कोई पहाड़ टूट पड़ा हो !पत्रकारिता की क्या ये कोई नयी मिसाल है ?
3. बहन मायावती जी द्वारा नोटबन्दी के कारण ,महँगी चुनावी रैली नहीं कर पाने के कारण ,इस चालाक मीडिया ने ,उनकी "प्रेस-कांफ्रेंस"के नाम पर न केवल चुनावी सभा करवादी बल्कि चुनाव आयोग की आँखों में मीडिया ने धूल झोंक दी ,और चुनाव आचार संहिता की भी धज्जियां उड़ा दीं !सर्वोच्च-न्यायालय को इस विषय पर अवश्य संज्ञान लेना चाहिए !
4. कुछ समय पहले तलक "राजस्थान-पत्रिका का वसुंधरा जी के साथ विज्ञापन देने-ना देने पर झगड़ा चल रहा था ,ये सर्वविदित है !लगता है जैसे अब समझौता हो गया हो !आज पूरे पेज विज्ञापनों से भरे हुए थे !क्या अब इस अखबार की दृष्टि में सब सही हो गया ?जबकि विज्ञापनों में बताई गयी योजनाओं का लाभ जनता के पास पहुँच ही नहीं रहा !ये हमने सर्वे में पाया है !
इन सब अलग अलग घटनाओं का सार ये समझने के लिए काफी है कि भारतीय मीडिया के एक पक्ष की चली "तो पांच राज्यों के चुनावों में भाजपा हारेगी" और भाजपा के नेताओं और आरएसएस ने अपने कार्यकर्ताओं एवम अपनी योजनाओं पर "नज़र"नहीं रख्खी "तो भाजपा हारेगी"! "और अगर भाजपा हारी तो"भारत के सभी "नरभक्षी"इकठ्ठे हो जाएंगे !जनता को नोच-नोच कर खा जाएंगे !इसलिए मित्रो !हमें हमेशां सजग रहने की आवश्यकता है !हमारा दुश्मन हमारे बीच में ही छिपा हुआ है !आज हमीं को ये हौसला दिखाना पड़ेगा !जो भ्रष्टाचार के पक्ष में अपने विचार रख्खे उसे चिन्हित कर समाज से बाहर करें !चोर को चोर बड़े ही जोर से कहना होगा !नहीं तो ये छिपे हुए भेड़िये हमारी आनेवाली पीढ़ियों को जीने नहीं देंगे ! भाजपा के नेताओं से भी मेरी एक अपील है कि विज्ञापनों में लगने वाला धन अपने कार्यकर्ताओं को दो , वो प्रभावित तरीके से आपकी योजनाओं का ना केवल प्रचार करेंगे बल्कि आपकी योजनाएं कितनी कार्यन्वित हो रही हैं ये भी बताएँगे !अगर भाजपा ने अपने जमीनी कार्यकर्ताओं की "सार-संभाल"नहीं की "तो भाजपा हारेगी","और अगर भाजपा हारी तो"..... !!! दोबारा सत्ता में नहीं आ पायेगी !आखिर क्यों चाहिए उसे वर्षों तलक सत्ता?????क्या चन्द महीनों में एकमुश्त बदलाव लाकर नयी व्यवस्थाएं लागू नहीं की सकतीं?????आखिर किस बात से डरते हैं भाजपाई नेता ??जनता जवाब चाहती है ! जनता बदलाव चाहती है !!निकम्मे सांसदों,विधायको और मंत्रियो .. !समय का सदुपयोग करो !बाकी बचे 2 -3 वर्षों में दशकों जितना काम करो !मुख्य - धारा को बदलो !ताकि जनता कहे कि इनको ही जिताना है !लाओ कोई ऐसी व्यवस्था ,जो भुलादे पुराने "आरक्षण-सिस्टम" को !बनाओ कुछ ऐसे नए क़ानून जो ला दें इस देश में वही प्रेम-प्यार !बढादे सदाचार !पनपा दें भारतीय संस्कार !
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