Sunday, March 24, 2013

" होली के रंग दिल में उतरने लगे हैं… मस्ती छाने सी लगी है "……!!!!

     प्रिय सखियों और सखाओं , हाथ जोड़कर-आँख मारकर नमस्कार !! 
                              मेरे एक मित्र हैं , वो जब भी आते हैं तो जिससे हाथ मिलाते हैं उसकी तरफ ना देखकर दुसरे की तरफ आँख मारकर हँसते हुए कहते हैं कि भई ये बड़े आदमी हैं , इनसे तो पहले हाथ मिलाना ही पडेगा !!! उसे मजबूरन उनकी हां में हाँ मिलानी पड़ती थी !! कल वोही मित्र मेरे घर आ धमके ! मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला,मेरी और आँख मारते हुए मेरी पत्नी को नमस्कार करते हुए बोले, भाई !! होली आ रही है पहले भाभी जी को तो नमस्कार करलें अन्यथा होली के दिन गरमागरम पकोड़े और मीठी-मीठी चाय नहीं मिलेगी !! मैं बोला भागवान इस खाऊ यार को आज कुछ खाने को मत देना !! होली वाले दिन ही इसका पकोड़ों से पेट भरना !! मेरी पत्नी बोली नहीं जी मैं तो अपने भाई साहिब को आज भी चाय पिलाऊंगी !! मैंने कहा चीनी कम डालना नहीं तो ये मीठा हो जाएगा तो हमारी भाभी जी को कंही शूगर ना हो जाए …। मैंने भी आँख मारदी अपने मित्र की ओर देखकर , और सब हंस पड़े !!!!!!!
                         चाय शाय के बाद मैंने पूछा कहिये मित्र कैसे आना हुआ तो वो फिर आँख मार कर बोले , होली का क्या प्रोग्राम है ?? मैंने इधर-उधर देखते हुए पहले ये पक्का किया की अबकी बार इन्होने आँख मुझे देखकर ही मारी है या…। सन्तुष्ट होने के बाद प्रोग्राम काहेका ?? घर पर ही रहेंगे यार !! देश -प्रांत  - जिला - नगर और मोहल्ले में ऐसा कोई घटनाक्रम नहीं घटा , जिससे हमें प्रसन्नता हो , और                                                                                  तो और तुम्हारी बहन और हमारी पत्नी भी अब हमें कभी खुश नहीं करती !! बस ….खाना-पूर्ती ही करती है !! बस जी ,मेरा इतना कहना था कि नाजाने कंहा से हमारी होम-मिनिस्टर फुंफकारते हुए आ धमकी और हमें धकियाते हुए बोली 4-4 बच्चों के बाप हो, सारा दिन काम करती रहती हूँ , अभी भी खुश नहीं हो तो जाओ कोई दूसरी ले आओ !! मुझे पता है आजकल फेसबुक पर बड़ी सहेलियां बना रख्खीं हैं !! सारा दिन चेटिंग करते रहते हो और मेरे साथ चीटिंग करते हो तुमने मुझे कौन सी ख़ुशी दी है ???

                         इतनी देर में मेरे पिता जी ने आवाज़ दी , बोले सब इधर आओ !! हम सबको जैसे सांप सूंघ गया हो !! हम सब डरते हुए बाहर पंहुचे कि आज डांट पड़ेगी कंही पिताजी ने सब सुन तो नहीं लिया……। पिताजी रौब से बोले सब नीचे चौकड़ी मार कर बैठ जाओ…और हम बैठ गए !! पिताजी फिर गरजे … अपनी आँखें बंद करो…!! हमने फ़ौरन अपनी आँखें मूँद लीं !! तभी ठन्डे पानी की बोछार हमारे सर पर गिरी और पिताजी जोरसे हँसते हुए बोले ….होली है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!
                          फिर बोले , इन्सान बड़ी ख़ुशी के इंतज़ार में छोटी खुशियाँ मनाना भूलता जा रहा है !! इसीलिए बीमार होता जा रहा है !! झूमकर छोटी ख़ुशी को भी जो बड़ा बनाये वो ही सच्चा इन्सान है !! जाओ नाचो-गाओ और कल धूम-धाम से सब होली मनाओ !! सदा खुश रहो…।HAPPY HOLIY ............ !!
जो तेरा है - वो मेरा…और जो मेरा है वो तेरा….!!
क्यों मित्रो !! आपका क्या कहना है ,इस विषय पर...??
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1 comment:

  1. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !

    ले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
    यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.

    मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
    चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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