सभी बुद्धिजीवियों को मेरा सादर नमन श्रद्धा के साथ !!
श्राद्ध - पक्ष नजदीक आ रहे हैं इसलिए श्रद्धा के साथ अभिवादन किया है , कृपया अन्यथा ही लेवें !! क्योंकि आजकल न्याय टीवी चेनलों पर होने वाली बहस में होता है !! सर्टिफिकेट भी सब प्रकार के वंहा बंटते हैं !! जब सब कुछ उलट-पुलट हो गया है तो अभिवादन में भी गड़बड़ी होना स्वभाविक है ना !!
आजतक चेनेल पर मेरे मित्र दीपक शर्मा जी और प्रसुन्न कुमार वाजपेयी जी ने उत्तर प्रदेश के दंगों पर एक स्टिंग ओपरेशन किया पार्ट वन और पार्ट टू !! जिसे देखकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आना स्वभाविक था , सो आयीं भी !! लेकिन दीपक जी को भारी दुःख पंहुचा कि लोग उनकी बातों पर विश्वास क्यों नहीं कर पा रहे , जबकि उन्होंने इतनी मेहनत से ये काम किया !! इस हेतु उन्होंने फेसबुक पर ये पोस्ट डाली और सब मित्रों से पूछा की आपके क्या विचार हैं !!
तो मित्रो मेरा तो ये मानना है की टीवी चेनलों ने कुछ ज्यादा ही देश का भार अपने ऊपर उठा रख्खा है !! या उन्हें कोई गधे की तरह प्रयोग कर रहा है !! चाहे वो उनका चेनेल मालिक हो या फिर भारत की सरकार !! प्रदेश की सरकारों को तो वो कुछ समझते नहीं क्योंकि सारे प्रशस्ति-पत्र और पुरुस्कार केंद्र सरकार ही देती है या उसके इशारे पर ही कोई दूसरा ये काम करता है !! किसी भी आदमी या संस्था की इज्ज़त एक दिन में नहीं बनती , सेंकडों साल लग जाते हैं लेकि मिट्टी-पलीत एक घंटे में हो जाती है !! मैंने तो उनकी पोस्ट पर कोमेन्ट लिखा कि " अगर आपको आपके चेनेल वाले इतनी आजादी से काम करने की इजाजत दे देते हैं तो आप और आपके मालिक बधाई के पात्र हैं !!
अब सवाल ये उठता है ये कि " मुम्बई , आसाम ,84 के दिल्ली दंगों पर स्टिंग क्यों नहीं बनते ?? क्या कारण हैं ??? और जन्हाँ बने भी तो वंहा केवल हिन्दू ही मरते हैं क्या ??? मुसलमान और इसाई नहीं मरते क्या ?? उनका ज़िक्र क्यों नहीं किया जाता ??? मस्जिदों का धन हिन्दुओं की योजनाओं में क्यों लगाया जा रहा है !! ?? तरह-तरह के आरक्षण देकर हिन्दुओं को क्यों अतिरिक्त फायदा दिया जा रहा है ???? क्या कहा मैं गलत लिख रहा हूँ !! हाँ मैं जान बूझ कर उलटा लिख रहा हूँ !! वो इसलिए कि इन तथाकथित सेकुलर नेताओं और पत्रकारों को समझ में आता है !! न्यायालय किसी को दोषी ठहराने में दसियों साल लगाते हैं तो ये लोग एक इस्तगासे को ही अंतिम मानते हुए फैसले सूना देते हैं क्यों ?? शायद इसीलिए लोग भी इन्हें तुरंत बिकाऊ माल घोषित कर देते हैं !!
कम से कम इतना तो अंतर करो कि " क्रिया " दोषी होती है या फिर " प्रतिक्रया " !! या फिर दोनों !! सरकार तो दोनों पर दोषी होती है !! क्रिया होने देना भी सरकार का दोष है और प्रतिक्रया होने देना भी सरकार का ही दोष होता है !! क्योंकि मरते तो दोनों घटनाओं में " बेचारे - निर्दोष " लोग ही हैं ना !! ये नेता लोग तो साफ़ बाख ही जाते हैं !!
पत्रकारों से सम्बन्धित सभी संस्थाओं से मेरा अनुरोध है की वो समाचार बनाने और वाचन करने वाले लोगों हेतु विस्तृत आचार-सन्हिता बनाए !! अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब लोग पत्रकारों पर भी विश्वान करना छोड़ देंगे !!
सच तो जैसे कोई बोलना ही नहीं चाहता !! पता नहीं क्यों डरने लगा है इन्सान इतना ??? जिसने पहले षड्यंत्र रचकर सभाएं की हैं और कत्लेआम हेतु भड़काया है वो भी दोषी हैं और जिन्होंने बचाव हेतु दूरे समुदाय के कत्लेआम को जायज़ ठहराया है वो भी उतना ही दोषी है !! दोषी वो भी हैं जो केवल एक समुदाय से मिलकर फोटो खिंचाकर ,मुआवजा घोषित करके अकेले-अकेले वापिस आ जाते हैं बाकी के राजनितिक दलों के नेताओं को साथ लेकर नहीं जाते !! दुसरे समुदाय हेतु वो " दिलासा " के दो शब्द भी नहीं बोलते !!
अंत में मैं तो यही कन्हुंगा कि - धर्म की जय हो !! अधर्म का नाश हो !! प्राणियों में सद्भावना हो !! विश्व का कल्याण हो !!!! हर - हर - हर - महादेव !!!!!!!!!
GOOD WISHES AND GOOD - LUCK !!
श्राद्ध - पक्ष नजदीक आ रहे हैं इसलिए श्रद्धा के साथ अभिवादन किया है , कृपया अन्यथा ही लेवें !! क्योंकि आजकल न्याय टीवी चेनलों पर होने वाली बहस में होता है !! सर्टिफिकेट भी सब प्रकार के वंहा बंटते हैं !! जब सब कुछ उलट-पुलट हो गया है तो अभिवादन में भी गड़बड़ी होना स्वभाविक है ना !!
आजतक चेनेल पर मेरे मित्र दीपक शर्मा जी और प्रसुन्न कुमार वाजपेयी जी ने उत्तर प्रदेश के दंगों पर एक स्टिंग ओपरेशन किया पार्ट वन और पार्ट टू !! जिसे देखकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आना स्वभाविक था , सो आयीं भी !! लेकिन दीपक जी को भारी दुःख पंहुचा कि लोग उनकी बातों पर विश्वास क्यों नहीं कर पा रहे , जबकि उन्होंने इतनी मेहनत से ये काम किया !! इस हेतु उन्होंने फेसबुक पर ये पोस्ट डाली और सब मित्रों से पूछा की आपके क्या विचार हैं !!
तो मित्रो मेरा तो ये मानना है की टीवी चेनलों ने कुछ ज्यादा ही देश का भार अपने ऊपर उठा रख्खा है !! या उन्हें कोई गधे की तरह प्रयोग कर रहा है !! चाहे वो उनका चेनेल मालिक हो या फिर भारत की सरकार !! प्रदेश की सरकारों को तो वो कुछ समझते नहीं क्योंकि सारे प्रशस्ति-पत्र और पुरुस्कार केंद्र सरकार ही देती है या उसके इशारे पर ही कोई दूसरा ये काम करता है !! किसी भी आदमी या संस्था की इज्ज़त एक दिन में नहीं बनती , सेंकडों साल लग जाते हैं लेकि मिट्टी-पलीत एक घंटे में हो जाती है !! मैंने तो उनकी पोस्ट पर कोमेन्ट लिखा कि " अगर आपको आपके चेनेल वाले इतनी आजादी से काम करने की इजाजत दे देते हैं तो आप और आपके मालिक बधाई के पात्र हैं !!
अब सवाल ये उठता है ये कि " मुम्बई , आसाम ,84 के दिल्ली दंगों पर स्टिंग क्यों नहीं बनते ?? क्या कारण हैं ??? और जन्हाँ बने भी तो वंहा केवल हिन्दू ही मरते हैं क्या ??? मुसलमान और इसाई नहीं मरते क्या ?? उनका ज़िक्र क्यों नहीं किया जाता ??? मस्जिदों का धन हिन्दुओं की योजनाओं में क्यों लगाया जा रहा है !! ?? तरह-तरह के आरक्षण देकर हिन्दुओं को क्यों अतिरिक्त फायदा दिया जा रहा है ???? क्या कहा मैं गलत लिख रहा हूँ !! हाँ मैं जान बूझ कर उलटा लिख रहा हूँ !! वो इसलिए कि इन तथाकथित सेकुलर नेताओं और पत्रकारों को समझ में आता है !! न्यायालय किसी को दोषी ठहराने में दसियों साल लगाते हैं तो ये लोग एक इस्तगासे को ही अंतिम मानते हुए फैसले सूना देते हैं क्यों ?? शायद इसीलिए लोग भी इन्हें तुरंत बिकाऊ माल घोषित कर देते हैं !!
कम से कम इतना तो अंतर करो कि " क्रिया " दोषी होती है या फिर " प्रतिक्रया " !! या फिर दोनों !! सरकार तो दोनों पर दोषी होती है !! क्रिया होने देना भी सरकार का दोष है और प्रतिक्रया होने देना भी सरकार का ही दोष होता है !! क्योंकि मरते तो दोनों घटनाओं में " बेचारे - निर्दोष " लोग ही हैं ना !! ये नेता लोग तो साफ़ बाख ही जाते हैं !!
पत्रकारों से सम्बन्धित सभी संस्थाओं से मेरा अनुरोध है की वो समाचार बनाने और वाचन करने वाले लोगों हेतु विस्तृत आचार-सन्हिता बनाए !! अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब लोग पत्रकारों पर भी विश्वान करना छोड़ देंगे !!
सच तो जैसे कोई बोलना ही नहीं चाहता !! पता नहीं क्यों डरने लगा है इन्सान इतना ??? जिसने पहले षड्यंत्र रचकर सभाएं की हैं और कत्लेआम हेतु भड़काया है वो भी दोषी हैं और जिन्होंने बचाव हेतु दूरे समुदाय के कत्लेआम को जायज़ ठहराया है वो भी उतना ही दोषी है !! दोषी वो भी हैं जो केवल एक समुदाय से मिलकर फोटो खिंचाकर ,मुआवजा घोषित करके अकेले-अकेले वापिस आ जाते हैं बाकी के राजनितिक दलों के नेताओं को साथ लेकर नहीं जाते !! दुसरे समुदाय हेतु वो " दिलासा " के दो शब्द भी नहीं बोलते !!
अंत में मैं तो यही कन्हुंगा कि - धर्म की जय हो !! अधर्म का नाश हो !! प्राणियों में सद्भावना हो !! विश्व का कल्याण हो !!!! हर - हर - हर - महादेव !!!!!!!!!
GOOD WISHES AND GOOD - LUCK !!
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