राजनीतिक पलटास
-अशोक मिश्र
-अशोक मिश्र
पिछले कुछ महीने से काफी ऊहापोह में था। आखिर एक दिन दिल को कड़ा करके दिल्ली के आलीशान होटल में राजनीतिक पलटासन शिविर का आयोजन कर ही डाला। इसके लिए सबसे पहले कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सपा और आप से लेकर ‘बाप’ तक के सुप्रीमो को पत्र लिखकर उनसे अपने नौसिखिया नेताओं को शिविर में भेजने का आग्रह किया। सबने इस पत्र को गंभीरता से लेते हुए अपने भावी नेताओं को शिविर में भेजने का आश्वासन दिया। कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के अध्यक्षों ने शिविर की सफलता की कामना करते हुए संदेश भी भेजा। शिविर में भाग लेने की फीस बस मामूली रखी गई थी, पच्चीस हजार रुपये प्रति व्यक्ति। शिविर में लगभग दस हजार नवांकुर नेताओं और नेत्रियों ने भाग लिया। राजनीतिक पलटासन सिखाने आए विश्व प्रसिद्ध पाकेटमार उस्ताद गुनाहगार। शिविर का उद्घाटन करते हुए उस्ताद गुनाहगार ने कहा, ‘आप लोग जिस पार्टी के कार्यकर्ता हैं, नेता हैं, वे सभी पार्टियां चोर हैं, अपनी मां की बहन के बेटे के भाई हैं। अगर साफ-साफ शब्दों में कहूं, तो सारे के सारे कसाई हैं। देश की सभी पार्टियां उचक्की हैं, अमीरों की तरफदार, विदेशी कंपनियों की वफादार और देश की जनता की हकमार हैं।’
उस्ताद गुनाहगार के इतना कहते ही वहां हंगामा खड़ा हो गया। कुछ नए नेता ज्यादा ही भाव खाने लगे। उन्होंने कुर्सियां उठाकर पटकनी शुरू की। उस्ताद गुनाहगार चुपचाप खड़े तोड़फोड़ होता देखते रहे। फिर बोले, ‘आप लोग यह तोड़फोड़ क्यों कर रहे हैं?’ एक युवा नेता ने अपने कुर्ते की बांह समेटते हुए कहा, ‘आप मुझे और मेरी पार्टी को चोट्टा बताएंगे और हम सुनते रहेंगे? ऐसा नहीं होगा। अभी आपने हमारी पार्टी को गाली दी है और गाली का जवाब हम गाली से ही देने के आदी हैं। चूंकि आपसे हम कुछ सीखने आए हैं, ऐसे में आप हमारे गुरु के समान हैं। हमारी सभ्यता-संस्कृति इस बात की इजाजत नहीं देती कि हम आप पर हाथ उठाएं। इसलिए हम अपने गुस्से का इजहार कुर्सियों को तोड़कर कर रहे हैं।’ गुनाहगार मुस्कुराए और बोले, ‘मैंने आपकी पार्टियों को चोट्टा कब कहा?’ खूबसूरत-सी नेत्री ने अपनी आंखें चमकाते हुए कहा, ‘अभी थोड़ी देर पहले कहा। हम लोगों के सामने कहा। आपने देश की सभी पार्टियों को चोर कहा, चोर-चोर मौसेरे भाई कहा।’ उस्ताद गुनाहगार मुस्कुरा रहे थे और मेरी जान निकली जा रही थी।
गुनाहगार के शानदार और जोरदार उद्घाटन भाषण के चलते अब तक पैंतालीस कुर्सियां शहीद हो चुकी थीं, कुछ कुर्सियां और मेजें घायलावस्था में पड़ी कराह रही थीं। मैंने मन ही मन हिसाब लगाया, पचास हजार रुपये का चूना।
अपने मुनाफे में कमी आने की आशंका के चलते गमगीन हो गया। गुनाहगार शांत भाव से बोले, ‘मैंने ऐसा कब कहा? मैंने तो आपकी पार्टियों को इस देश का भाग्य विधाता कहा, उन्हें भारत जैसे देश के लिए अनिवार्य बताया है। मैंने इस देश की किसी भी पार्टी की बुराई नहीं की है।’ गुनाहगार की बात सुनकर मैं अवाक रह गया। कितनी खूबसूरती से उस्ताद गुनाहगार पलटी मार गए थे। कुछ युवाओं ने अपनी बात कहने के लिए मुंह खोला ही था कि उस्ताद बोले, ‘देखो..यही है पलटासन। भविष्य में तुम में से कोई नेता बनेगा, कोई मंत्री, सांसद, विधायक होगा। अगर कभी भूल से कोई गलत बात निकल जाए और गलती समझ में आ जाए, तो तुरंत पलटी मार जाओ।
तुरंत कहो, मैंने ऐसा कब कहा? अगर कोई सवाल पूछने आए, तो उसी पर गिर पड़ो। सारा आरोप उसी पर मढ़कर चैन की नींद सो जाओ। लोग बतकूचन करते हैं, करते रहें। तुम्हारा क्या बिगाड़ लेंगे?’ ‘मान लो, तुम्हारी पार्टी की सरकार किसी सूबे में है। अगर सूबे की मुख्यमंत्री, मंत्री या पार्टी के पदाधिकारी के मुंह से कोई गलत बात निकल भी जाए, तो सार्वजनिक मंच पर कभी उसकी निंदा मत करो। उसे जायज ठहराने के जितने भी तर्क तुम्हारी तरकश में हों, उनका इस्तेमाल करो। यदि इस पर भी बात न बने, तो आज का सबसे अजेय ब्रह्मास्त्र ‘फलां की बात को गलत संदर्भ में लिया गया’ या ‘आदरणीय मंत्री जी की बात को मीडिया में तोड़ मरोड़कर पेश किया गया’ कहकर ढिठाई से आगे बढ़ जाओ। तुम्हारी सबसे पहली प्राथमिकता विरोधी का मुंह बंद करने की होनी चाहिए। इसके लिए तुम्हें अगर एक ही दिन पहले दिए गए बयान से पलटना भी पड़े, तो एक भी क्षण नहीं लगना चाहिए। तुरंत कहो, मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। अगर मीडिया वाले पिछले बयान की क्लिपिंग दिखाएं, तो तुरंत बयान जारी करो, यह क्लिपिंग फेक (फर्जी) है, इसकी सच्चाई की जांच सीबीआई से करानी चाहिए। अच्छा हो कि तुम खुद आगे बढ़कर प्रदेश या
कें द्र सरकार से सीबीआई जांच की मांग करो।’ उस्ताद गुनाहगार अपने राजनीतिक नवसाक्षरों को पलटासन के गुर सिखा रहे थे। उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा, ‘पहले सत्र में मुझे आपको सिर्फ इतना ही बताना था। आप लोग खाली समय में पलटासन का अभ्यास करें। और हां..जिसने भी इन कुर्सियों को शहीद किया है, वह पांच-पांच हजार रुपये प्रति कुर्सी के हिसाब से लूटानंद मिश्र के पास जमा करवा दे। नहीं तो, टूटी कुर्सी-मेजों का खर्च आपकी पार्टियों से ब्याज सहित वसूला जाएगा।’ इतना कहकर उन्होंने मेरी ओर देखा और अपने विश्राम कक्ष में चले गए।
उस्ताद गुनाहगार के इतना कहते ही वहां हंगामा खड़ा हो गया। कुछ नए नेता ज्यादा ही भाव खाने लगे। उन्होंने कुर्सियां उठाकर पटकनी शुरू की। उस्ताद गुनाहगार चुपचाप खड़े तोड़फोड़ होता देखते रहे। फिर बोले, ‘आप लोग यह तोड़फोड़ क्यों कर रहे हैं?’ एक युवा नेता ने अपने कुर्ते की बांह समेटते हुए कहा, ‘आप मुझे और मेरी पार्टी को चोट्टा बताएंगे और हम सुनते रहेंगे? ऐसा नहीं होगा। अभी आपने हमारी पार्टी को गाली दी है और गाली का जवाब हम गाली से ही देने के आदी हैं। चूंकि आपसे हम कुछ सीखने आए हैं, ऐसे में आप हमारे गुरु के समान हैं। हमारी सभ्यता-संस्कृति इस बात की इजाजत नहीं देती कि हम आप पर हाथ उठाएं। इसलिए हम अपने गुस्से का इजहार कुर्सियों को तोड़कर कर रहे हैं।’ गुनाहगार मुस्कुराए और बोले, ‘मैंने आपकी पार्टियों को चोट्टा कब कहा?’ खूबसूरत-सी नेत्री ने अपनी आंखें चमकाते हुए कहा, ‘अभी थोड़ी देर पहले कहा। हम लोगों के सामने कहा। आपने देश की सभी पार्टियों को चोर कहा, चोर-चोर मौसेरे भाई कहा।’ उस्ताद गुनाहगार मुस्कुरा रहे थे और मेरी जान निकली जा रही थी।
गुनाहगार के शानदार और जोरदार उद्घाटन भाषण के चलते अब तक पैंतालीस कुर्सियां शहीद हो चुकी थीं, कुछ कुर्सियां और मेजें घायलावस्था में पड़ी कराह रही थीं। मैंने मन ही मन हिसाब लगाया, पचास हजार रुपये का चूना।
अपने मुनाफे में कमी आने की आशंका के चलते गमगीन हो गया। गुनाहगार शांत भाव से बोले, ‘मैंने ऐसा कब कहा? मैंने तो आपकी पार्टियों को इस देश का भाग्य विधाता कहा, उन्हें भारत जैसे देश के लिए अनिवार्य बताया है। मैंने इस देश की किसी भी पार्टी की बुराई नहीं की है।’ गुनाहगार की बात सुनकर मैं अवाक रह गया। कितनी खूबसूरती से उस्ताद गुनाहगार पलटी मार गए थे। कुछ युवाओं ने अपनी बात कहने के लिए मुंह खोला ही था कि उस्ताद बोले, ‘देखो..यही है पलटासन। भविष्य में तुम में से कोई नेता बनेगा, कोई मंत्री, सांसद, विधायक होगा। अगर कभी भूल से कोई गलत बात निकल जाए और गलती समझ में आ जाए, तो तुरंत पलटी मार जाओ।
तुरंत कहो, मैंने ऐसा कब कहा? अगर कोई सवाल पूछने आए, तो उसी पर गिर पड़ो। सारा आरोप उसी पर मढ़कर चैन की नींद सो जाओ। लोग बतकूचन करते हैं, करते रहें। तुम्हारा क्या बिगाड़ लेंगे?’ ‘मान लो, तुम्हारी पार्टी की सरकार किसी सूबे में है। अगर सूबे की मुख्यमंत्री, मंत्री या पार्टी के पदाधिकारी के मुंह से कोई गलत बात निकल भी जाए, तो सार्वजनिक मंच पर कभी उसकी निंदा मत करो। उसे जायज ठहराने के जितने भी तर्क तुम्हारी तरकश में हों, उनका इस्तेमाल करो। यदि इस पर भी बात न बने, तो आज का सबसे अजेय ब्रह्मास्त्र ‘फलां की बात को गलत संदर्भ में लिया गया’ या ‘आदरणीय मंत्री जी की बात को मीडिया में तोड़ मरोड़कर पेश किया गया’ कहकर ढिठाई से आगे बढ़ जाओ। तुम्हारी सबसे पहली प्राथमिकता विरोधी का मुंह बंद करने की होनी चाहिए। इसके लिए तुम्हें अगर एक ही दिन पहले दिए गए बयान से पलटना भी पड़े, तो एक भी क्षण नहीं लगना चाहिए। तुरंत कहो, मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। अगर मीडिया वाले पिछले बयान की क्लिपिंग दिखाएं, तो तुरंत बयान जारी करो, यह क्लिपिंग फेक (फर्जी) है, इसकी सच्चाई की जांच सीबीआई से करानी चाहिए। अच्छा हो कि तुम खुद आगे बढ़कर प्रदेश या
कें द्र सरकार से सीबीआई जांच की मांग करो।’ उस्ताद गुनाहगार अपने राजनीतिक नवसाक्षरों को पलटासन के गुर सिखा रहे थे। उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा, ‘पहले सत्र में मुझे आपको सिर्फ इतना ही बताना था। आप लोग खाली समय में पलटासन का अभ्यास करें। और हां..जिसने भी इन कुर्सियों को शहीद किया है, वह पांच-पांच हजार रुपये प्रति कुर्सी के हिसाब से लूटानंद मिश्र के पास जमा करवा दे। नहीं तो, टूटी कुर्सी-मेजों का खर्च आपकी पार्टियों से ब्याज सहित वसूला जाएगा।’ इतना कहकर उन्होंने मेरी ओर देखा और अपने विश्राम कक्ष में चले गए।
प्रिय मित्रो , आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग पर " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " the blog . read, share and comment on it daily plz. the link is - www.pitamberduttsharma.blogspo
thanks sharma ji
ReplyDelete