"भारतीय लोकतंत्र" में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में "कार्ड"अपना एक विशेष महत्त्व रखते हैं !ये कई प्रकार के होते हैं !जैसे राशन-कार्ड,ग्रीन-कार्ड,विज़टिंग-कार्ड,इन्विटेशन-कार्ड,एंट्री-कार्ड,ए.टी.एम.-कार्ड और भामाशाह व आधार-कार्ड आदि-आदि ! व्यक्ति के जीवन की शुरुआत से ही उसका पाला इन कार्डों से पड़ना शुरू हो जाता है ! अगर किसी का कोई प्रकार का कार्ड नहीं बन पाया हो, या उसे किसी प्रकार का कोई कार्ड नहीं मिला हो तो, उसके जीवन में एक प्रकार का अधूरापन छा जाता है !
हमारा सबसे पहला कार्ड एक "कुंडली"के रूप में "पंडित" जी बनाते हैं ! फिर नगरपालिका या ग्राम पंचायत हम सबका नाम परिवार-कार्ड में जोड़ती है ! जैसे-जैसे इन्सान बड़ा होता जाता है , वैसे-वैसे उसका वास्ता इन तरह-तरह के कार्डों से पड़ता जाता है ! हर कार्ड को बनाने से पहले उस कार्ड से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तार से और बढ़ा -चढ़ा कर बताया जाता है !हर व्यक्ति को लगता है जैसे ये कार्ड बना लेने से उसका जीवन बड़े आराम से बीतेगा ! लेकिन जब वास्तविकता से मनुष्य का मिलन होता है तो उसे वो निम्न-स्तर की सुविधा प्राप्त करने में भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ! पहले राशन-कार्ड पर 10 से पंद्रह वस्तुएं जनता को मिला करतीं थीं लेकिन आज केवल गेहूं,चीनी और केरोसिन के तेल तक ये सीमित हो गया है !
इसीलिए हम आज हमारे जीवन के महत्वपूर्ण दस्तावेज "राशन-कार्ड" पर ही फ़ोकस कर रहे हैं ! ग्रामीण हो या शहरी, डिपो-होल्डर हो या फिर रसद-विभाग से जुड़े कर्मचारी-अफसर सब परेशान से नज़र आते हैं !क्योंकि सरकारें समय-समय पर इनमे बदलाव लातीं रहतीं हैं !पुराने कार्डों की बजाये नए कार्डों को लागू करने में ही अनेकों प्रकार की परेशानियां का सामना करना पड़ता है ! क्योंकि राशन कार्ड बनाना और उनका प्रबंधन तो नगर-पालिकाओं और पंचायतों के पास है और राशन वितरण का काम फ़ूड-सप्लाई विभाग के पास है !डिपो होलडरों को भी बहाने बनाने में आसानी हो जाती है !नए राशन-कार्ड बनवाने हेतु कोई ई - मित्रा पर जाता है तो उससे मन माफिक पैसे मांग लिए जाते हैं ! आज भी 20 %परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं ! कोई पूछने वाला नहीं है !लेकिन जनता की तरफ से हम तो पूछेंगे कि.……जनता को राशन - कार्ड समस्याएं क्यों हैं ??
राशन-कार्ड की समस्याओं को जानने हेतु हमने सबसे पहले आम जनता से पूछा !सूरतगढ़ के वार्ड पार्षद वेद प्रकाश , चेतन सोनगरा , श्रीमती सुनीता टण्डन और पूर्व पार्षद चरणजीत सिंह से मिलकर पुछा कि जनता राशन-कार्ड को लेकर परेशान क्यों है ! तो लोगों ने हमें बताया कि पहले तो राशन समय पर मिलता ही नहीं है ! और अगर मिलता भी है तो उसमें से आधा डिपो-होल्डर और अफसर लोग खा जाते हैं !इस तरह के समाचार समय-समय पर पढ़ने को मिल ही जाते हैं !वैसे भी ऐ.पी.एल.श्रेणी के राशन-कार्ड धारकों को राज्य सरकार खाद्य-सुरक्षा के तहत कोई विशेष सुविधा प्रदान नहीं करती है ! केवल मात्र चार मसाले जैसे नमक 7 /-रु.किलो ,मिर्च29/- रु. की 200 ग्राम ,धनिया30/-रु. का 200 ग्राम ,हल्दी 27/-रु. की 200 ग्राम और चाय 40/-रु. की 250 ग्राम आदि ,जिनकी क्वालिटी तो निम्न स्तर की और मूल्य बाजार भाव के इतने नजदीक होते हैं कि कोई ये वस्तुएं लेने ही नहीं आता, जो ये वसुन्धरा सरकार देती है ! जिन ए. पी. एल. कार्डों पर खाद्य-सुरक्षा की मोहर लगी हुई है , उनको राज्य सरकार केवल 5 किलोग्राम गेहूं, प्रति व्यक्ति ,और जिनके पास गैस का कनेक्शन नहीं हो उसको 4 लीटर केरोसिन का तेल प्रति परिवार देती है ! जो ऊँट के मुंह में जीरे जैसा ही है !
बी. पी. एल. राशन कार्डों पर राज्य-सरकार 13/50 पैसे के हिसाब से प्रतिमाह-प्रतिव्यक्ति केवल 500 ग्राम चीनी देती है !प्रतिमाह 2/-रु. किलो के हिसाब से प्रति व्यक्ति को 5 किलोग्राम गेहूं देती है !अगर गैस कनेक्शन ना हो तो उस परिवार को प्रतिमाह 4 लीटर केरोसिन 17/50 पैसे में मिलता है ! तो हम केंद्र और राज्य सरकार से पूछेंगे ही ना कि क्या "इतना" राशन उचित मूल्य पर देने से ,मुख्यमंत्री जी ,आपकी जिम्मेदारी निभाना मान लिया जाए ??
फिर हम डिपो-होलडरों की यूनियन "राजस्थान अधिकृत राशन संघ सूरतगढ़ " के अध्यक्ष रमन मोदी एवं सचिव युवराज उप्पल से मिले !उनसे हमने पूछा कि आप सब डिपो होलडरों पर चोर होने का ठप्पा कैसे लग गया ?? तो उन्होंने हमें बताया कि सरकार हमें नाम मात्र का कमीशन देती है , बदले में काम ज्यादा करवाती है !उदाहरण के लिए चीनी पर हमें मात्र 12/-रु. कमीशन मिलता है जबकि 20/-रु. रेहड़ी भाड़ा देना पड़ता है !हर माह की 10 तारीख से 24 तारीख तक प्रातः 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और फिर दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक हम डिपो खोलते हैं !दुकान किराया भी हमें ही भुगतना पड़ता है , हमें बहुत कम बचत होती है , वो भी बारदाने को बेचकर ! गेहूं तो सरकार हमारी दुकानों तक पंहुचा देती है लेकिन चीनी हमें स्वयं जाकर लानी पड़ती है , जो कई कारणों से ज्यादातर देरी से वितरित की जाती है !इस वजह से हमारे ऊपर ये आरोप लगते रहते हैं ! सरकार हमसे कई तरह के दुसरे कार्य भी करवाती रहती है ! जैसे ग्राहक का बैंक खाता नंबर , आधार कार्ड नंबर और मोबाईल नंबर नोट करके रजिस्टर में दर्ज करना आदि आदि !सभी डिपो होल्डर चाहते हैं कि उनको कमीशन की बजाये "मानदेय " तय कर दिया जाये ताकि उनके परिवार इज्जत से पल सकें !हमने उनसे पूछा कि - लेकिन कोई डिपो होल्डर "गरीब"तो नज़र नहीं आता ?? तो वो बस मुस्कुरा भर दिए !हमने फिर पूछा कि इतने कम कमीशन मिलने के बाद भी लोग डिपो-होलडर क्यों बनना चाहते हैं ?? तो वो बोले कि बढ़ती बेरोज़गारी इसकी वजह है !ये सुनकर एक रहस्य्मयी मुस्कान सबके चेहरों पर फ़ैल गयी !
आखिर में हम रसद विभाग और नगर पालिका के अधिकारीयों से पूछने उनके कार्यालयों में गए तो बड़े अधिकारी कार्यालय में मिले ही नहीं फोन करने पर फोन उठाया ही नहीं गया !शायद कहीं व्यस्त होंगे ?? रसद विभाग के रजनीश कुमार मिले और नगरपालिका में रसद-शाखा के संतराम भार्गव मिले !उनसे हमने जनता की तरफ से पूछा कि आप के होते हुए ,जनता राशन-कार्ड की समस्या में क्यों उलझी हुई है ?? तो उन्होंने बताया कि डिपुओं पर रसद की पूरी खेप पंहुचायी जा रही है ! हमने जब राशन-कार्डों की वास्तविक स्थिति के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि नगर पालिका में सभी वार्डों के कुल 21430 . कार्ड बनने योग्य थे ! जिसमे से 19578 बनकर हमें प्राप्त हुए , जिन्हें शहर में बंटवा दिया गया ! केवल 1852 राशन-कार्ड बनने बाकी हैं जिनको अब ई - मित्रा वाले 50/-शुल्क लेकर बना रहे हैं !
हमने जब जांच की तो पाया कि
राशन के डिपुओं पर शिकायत-पुस्तिका तक नहीं है ! नगरपालिका वाले तो 2 - 4 दिनों में ही कार्ड बना दिया करते थे , लेकिन ई-मित्रा वाले लोगों से पैसे भी ज्यादा ले रहे हैं और उनको चक्कर भी ज्यादा कटवा रहे हैं !जनता तो परेशान है ! सुना है कि वसुन्धरा सरकार राजस्थान में एक मशीन हर डीपो पर लगाने वाली है जिससे जनता की परेशानियां कम होने वाली हैं ! लेकिन " विपक्ष ", जिसकी जिम्मेदारी है कि जनता की समस्याओं को सरकार के समक्ष रख्खे , वो "कुम्भकर्ण"की नींद सो रहा है ! सोचता है कि जनता अगले चुनावों में उसे ही चुनेगी ! जायेगी कहाँ ???? लेकिन सीमान्त रक्षक तो है ना !! ये तो आपकी समस्याएं उठाता ही रहेगा रोज़ाना !! हर शुक्रवार को कोई नयी समस्या पर "हम तो पूछेंगे कि ........??"हमारी जनता इतने सेवकों के रहते परेशान क्यों है ??अगले शुक्रवार को हम शहर की सड़कों के बारे में आपको पूछकर बताएँगे कि हमारे शहर की सड़कें ऐसी क्यों हैं ??
हमारा सबसे पहला कार्ड एक "कुंडली"के रूप में "पंडित" जी बनाते हैं ! फिर नगरपालिका या ग्राम पंचायत हम सबका नाम परिवार-कार्ड में जोड़ती है ! जैसे-जैसे इन्सान बड़ा होता जाता है , वैसे-वैसे उसका वास्ता इन तरह-तरह के कार्डों से पड़ता जाता है ! हर कार्ड को बनाने से पहले उस कार्ड से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तार से और बढ़ा -चढ़ा कर बताया जाता है !हर व्यक्ति को लगता है जैसे ये कार्ड बना लेने से उसका जीवन बड़े आराम से बीतेगा ! लेकिन जब वास्तविकता से मनुष्य का मिलन होता है तो उसे वो निम्न-स्तर की सुविधा प्राप्त करने में भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ! पहले राशन-कार्ड पर 10 से पंद्रह वस्तुएं जनता को मिला करतीं थीं लेकिन आज केवल गेहूं,चीनी और केरोसिन के तेल तक ये सीमित हो गया है !
इसीलिए हम आज हमारे जीवन के महत्वपूर्ण दस्तावेज "राशन-कार्ड" पर ही फ़ोकस कर रहे हैं ! ग्रामीण हो या शहरी, डिपो-होल्डर हो या फिर रसद-विभाग से जुड़े कर्मचारी-अफसर सब परेशान से नज़र आते हैं !क्योंकि सरकारें समय-समय पर इनमे बदलाव लातीं रहतीं हैं !पुराने कार्डों की बजाये नए कार्डों को लागू करने में ही अनेकों प्रकार की परेशानियां का सामना करना पड़ता है ! क्योंकि राशन कार्ड बनाना और उनका प्रबंधन तो नगर-पालिकाओं और पंचायतों के पास है और राशन वितरण का काम फ़ूड-सप्लाई विभाग के पास है !डिपो होलडरों को भी बहाने बनाने में आसानी हो जाती है !नए राशन-कार्ड बनवाने हेतु कोई ई - मित्रा पर जाता है तो उससे मन माफिक पैसे मांग लिए जाते हैं ! आज भी 20 %परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं ! कोई पूछने वाला नहीं है !लेकिन जनता की तरफ से हम तो पूछेंगे कि.……जनता को राशन - कार्ड समस्याएं क्यों हैं ??
राशन-कार्ड की समस्याओं को जानने हेतु हमने सबसे पहले आम जनता से पूछा !सूरतगढ़ के वार्ड पार्षद वेद प्रकाश , चेतन सोनगरा , श्रीमती सुनीता टण्डन और पूर्व पार्षद चरणजीत सिंह से मिलकर पुछा कि जनता राशन-कार्ड को लेकर परेशान क्यों है ! तो लोगों ने हमें बताया कि पहले तो राशन समय पर मिलता ही नहीं है ! और अगर मिलता भी है तो उसमें से आधा डिपो-होल्डर और अफसर लोग खा जाते हैं !इस तरह के समाचार समय-समय पर पढ़ने को मिल ही जाते हैं !वैसे भी ऐ.पी.एल.श्रेणी के राशन-कार्ड धारकों को राज्य सरकार खाद्य-सुरक्षा के तहत कोई विशेष सुविधा प्रदान नहीं करती है ! केवल मात्र चार मसाले जैसे नमक 7 /-रु.किलो ,मिर्च29/- रु. की 200 ग्राम ,धनिया30/-रु. का 200 ग्राम ,हल्दी 27/-रु. की 200 ग्राम और चाय 40/-रु. की 250 ग्राम आदि ,जिनकी क्वालिटी तो निम्न स्तर की और मूल्य बाजार भाव के इतने नजदीक होते हैं कि कोई ये वस्तुएं लेने ही नहीं आता, जो ये वसुन्धरा सरकार देती है ! जिन ए. पी. एल. कार्डों पर खाद्य-सुरक्षा की मोहर लगी हुई है , उनको राज्य सरकार केवल 5 किलोग्राम गेहूं, प्रति व्यक्ति ,और जिनके पास गैस का कनेक्शन नहीं हो उसको 4 लीटर केरोसिन का तेल प्रति परिवार देती है ! जो ऊँट के मुंह में जीरे जैसा ही है !
बी. पी. एल. राशन कार्डों पर राज्य-सरकार 13/50 पैसे के हिसाब से प्रतिमाह-प्रतिव्यक्ति केवल 500 ग्राम चीनी देती है !प्रतिमाह 2/-रु. किलो के हिसाब से प्रति व्यक्ति को 5 किलोग्राम गेहूं देती है !अगर गैस कनेक्शन ना हो तो उस परिवार को प्रतिमाह 4 लीटर केरोसिन 17/50 पैसे में मिलता है ! तो हम केंद्र और राज्य सरकार से पूछेंगे ही ना कि क्या "इतना" राशन उचित मूल्य पर देने से ,मुख्यमंत्री जी ,आपकी जिम्मेदारी निभाना मान लिया जाए ??
फिर हम डिपो-होलडरों की यूनियन "राजस्थान अधिकृत राशन संघ सूरतगढ़ " के अध्यक्ष रमन मोदी एवं सचिव युवराज उप्पल से मिले !उनसे हमने पूछा कि आप सब डिपो होलडरों पर चोर होने का ठप्पा कैसे लग गया ?? तो उन्होंने हमें बताया कि सरकार हमें नाम मात्र का कमीशन देती है , बदले में काम ज्यादा करवाती है !उदाहरण के लिए चीनी पर हमें मात्र 12/-रु. कमीशन मिलता है जबकि 20/-रु. रेहड़ी भाड़ा देना पड़ता है !हर माह की 10 तारीख से 24 तारीख तक प्रातः 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और फिर दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक हम डिपो खोलते हैं !दुकान किराया भी हमें ही भुगतना पड़ता है , हमें बहुत कम बचत होती है , वो भी बारदाने को बेचकर ! गेहूं तो सरकार हमारी दुकानों तक पंहुचा देती है लेकिन चीनी हमें स्वयं जाकर लानी पड़ती है , जो कई कारणों से ज्यादातर देरी से वितरित की जाती है !इस वजह से हमारे ऊपर ये आरोप लगते रहते हैं ! सरकार हमसे कई तरह के दुसरे कार्य भी करवाती रहती है ! जैसे ग्राहक का बैंक खाता नंबर , आधार कार्ड नंबर और मोबाईल नंबर नोट करके रजिस्टर में दर्ज करना आदि आदि !सभी डिपो होल्डर चाहते हैं कि उनको कमीशन की बजाये "मानदेय " तय कर दिया जाये ताकि उनके परिवार इज्जत से पल सकें !हमने उनसे पूछा कि - लेकिन कोई डिपो होल्डर "गरीब"तो नज़र नहीं आता ?? तो वो बस मुस्कुरा भर दिए !हमने फिर पूछा कि इतने कम कमीशन मिलने के बाद भी लोग डिपो-होलडर क्यों बनना चाहते हैं ?? तो वो बोले कि बढ़ती बेरोज़गारी इसकी वजह है !ये सुनकर एक रहस्य्मयी मुस्कान सबके चेहरों पर फ़ैल गयी !
आखिर में हम रसद विभाग और नगर पालिका के अधिकारीयों से पूछने उनके कार्यालयों में गए तो बड़े अधिकारी कार्यालय में मिले ही नहीं फोन करने पर फोन उठाया ही नहीं गया !शायद कहीं व्यस्त होंगे ?? रसद विभाग के रजनीश कुमार मिले और नगरपालिका में रसद-शाखा के संतराम भार्गव मिले !उनसे हमने जनता की तरफ से पूछा कि आप के होते हुए ,जनता राशन-कार्ड की समस्या में क्यों उलझी हुई है ?? तो उन्होंने बताया कि डिपुओं पर रसद की पूरी खेप पंहुचायी जा रही है ! हमने जब राशन-कार्डों की वास्तविक स्थिति के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि नगर पालिका में सभी वार्डों के कुल 21430 . कार्ड बनने योग्य थे ! जिसमे से 19578 बनकर हमें प्राप्त हुए , जिन्हें शहर में बंटवा दिया गया ! केवल 1852 राशन-कार्ड बनने बाकी हैं जिनको अब ई - मित्रा वाले 50/-शुल्क लेकर बना रहे हैं !
हमने जब जांच की तो पाया कि
राशन के डिपुओं पर शिकायत-पुस्तिका तक नहीं है ! नगरपालिका वाले तो 2 - 4 दिनों में ही कार्ड बना दिया करते थे , लेकिन ई-मित्रा वाले लोगों से पैसे भी ज्यादा ले रहे हैं और उनको चक्कर भी ज्यादा कटवा रहे हैं !जनता तो परेशान है ! सुना है कि वसुन्धरा सरकार राजस्थान में एक मशीन हर डीपो पर लगाने वाली है जिससे जनता की परेशानियां कम होने वाली हैं ! लेकिन " विपक्ष ", जिसकी जिम्मेदारी है कि जनता की समस्याओं को सरकार के समक्ष रख्खे , वो "कुम्भकर्ण"की नींद सो रहा है ! सोचता है कि जनता अगले चुनावों में उसे ही चुनेगी ! जायेगी कहाँ ???? लेकिन सीमान्त रक्षक तो है ना !! ये तो आपकी समस्याएं उठाता ही रहेगा रोज़ाना !! हर शुक्रवार को कोई नयी समस्या पर "हम तो पूछेंगे कि ........??"हमारी जनता इतने सेवकों के रहते परेशान क्यों है ??अगले शुक्रवार को हम शहर की सड़कों के बारे में आपको पूछकर बताएँगे कि हमारे शहर की सड़कें ऐसी क्यों हैं ??
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