Monday, April 4, 2016

भारतीय सनातन धर्म में नववर्ष का शुभारंभ सोमवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (गुड़ी पड़वा) से हो रहा है।

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा कहते हैं। यहीं से हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। उन्होंने इस प्रतिपदा तिथि को 'प्रवरा' अथवा 'सर्वोत्तम' तिथि कहा था। यही वजह है कि इसे सृष्टि का प्रथम दिन कहा जाता है।
इस दिन ब्रह्माजी सहित उनके द्वारा निर्मित सृष्टि के समस्त तत्वों का पूजन भी किया जाता है। चैत्र के महीने में प्रकृति में नवीनता का संचार होता है। नए जीवन के संकेत चारों ओर से मिलते हैं। शुक्ल प्रतिपदा को चंद्रमा की कला का प्रथम दिन माना जाता है और चूंकि वनस्पतियों को सोमरस चंद्रमा ही प्रदान करता है तो इसलिए इस दिन को वर्षारंभ माना जाता है।
इस वर्ष का राजा शुक्र: चूंकि इस वर्ष 8 अप्रैल से नव विक्रम संवत्सर 2073 का प्रारंभ हो रहा है और यह दिन शुक्रवार है तो इस वर्ष का राजा शुक्र ग्रह होगा। ज्योतिषीय गणना में जिस दिन को नव संवत्सर आरंभ होता है उस दिन का स्वामी ग्रह ही वर्ष का राजा होता है। इस संवत्सर का नाम होगा 'सौम्य।
इस वर्ष का मंत्री बुध है। जब वर्ष का राजा शुक्र होता है तो यह खाद्यान्ना के मामले में आत्मनिर्भरता का सूचक है। तब अनाज और मौसमी फल वगैरह पर्याप्त मात्रा में होंगे। गाय-भैंस और पशुओं की वृद्धि होगी। शासक और प्रजा दोनों सुखी रहेंगे। शुक्र वैभव, विलासिता व भौतिक सुख देने वाले देव हैं तो इस स्थितियां अच्छी रहेंगी। फैशल के क्षेत्र में नए ट्रेंड देखने को मिलेंगे। आध्यात्मिक प्रवृत्तियों का विकास होगा। हर क्षेत्र में स्त्रियों का दखल और दक्षता बढ़ेगी।
8 अप्रैल, शुक्रवार से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत्सर 2073 प्रारंभ हो रहा है। इस संवत्सर का नाम सौम्य है। इस संवत्सर के राजा शुक्र व मंत्री बुध हैं। ज्योतिषियों की मानें तो इस हिंदू नव वर्ष में शनिदेव का विशेष प्रभाव सभी राशियों पर अलग-अलग देखने को मिलेगा।
वर्तमान में शनि वृश्चिक राशि में वक्रीय स्थिति में है, जो 13 अगस्त को पुन: मार्गी हो जाएगा। इस समय तुला, वृश्चिक व धनु राशि शनि की साढेसाती की पीड़ित है, वहीं सिंह व मेष पर शनि की ढय्या का प्रभाव है।
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016 से हिन्दी नववर्ष शुरू हो रहा है। इसी दिन से चैत्र माह की नवरात्रि भी प्रारंभ होगी। शास्त्रों के अनुसार हिन्दी नववर्ष का विशेष महत्व बताया गया है। पूजा-पाठ के लिए ये सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में से एक है। इस मुहूर्त में किए गए उपायों से अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति हो सकती है, घर की गरीबी दूर हो सकती है और मान-सम्मान मिल सकता है।

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पीताम्बर दत्त शर्मा,
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1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (06-04-2016) को "गुज़र रही है ज़िन्दगी" (चर्चा अंक-2304) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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