प्यारे - प्यारे मित्रों को, प्यारा - प्यारा नमस्कार ! !
प्यार प्रेम यानि प्रेम,प्रेम का बंधन " अटूट " होता है, चाहे वो माता का हो या पिता का, भाई का हो या बहन का,पत्नी का हो या प्रेमिका का , इन्सान जीवन भर किसी ना किसी के "प्यारे बंधन " में बंधा हुआ रहता है ! और यही बंधन आदमी को जीवन में " अनुशासन " से रहना सिखाता है !!
यही" अनुशासन " हमें कर्त्तव्य बोध सिखाता है ! इसी कर्त्तव्य - बोध के कारन हम अपना काम ईमानदारी से करते हैं ! जिसका फिर हमें फल प्राप्त होता है, वेतन के रूप या किसी अन्य रूप में !!!
जब भी इस क्रम में कंही दोष उत्पन्न होता है तभी " भ्रष्टाचार " रुपी दानव पैदा होता है । यही दानव आज भारत की " जड़ों " को खोखला कर रहा है !!
जब से इस देश में नया" त्रिफला - चूरण " चला है, तभी से कई नयी समस्याएँ पैदा हो
चली हैं ! जी हाँ, भारत के सबसे निचले स्तर की संस्था " नगर- पालिका , पंचायत " से लेकर " संसद " तक ये त्रिफला-चूरन बन चुका है !!!!!! " नेता+कर्मचारी+व्यापारी " ये तीन जने जब मिलकर " हम प्याला - हम निवाला " बन जाते हैं तो " चपडासियों और बाबुओं " तक के घरों से" करोड़ों " मिलने लगते हैं !!
इसकाअसर ये हुआ कि रूपये तो सबके पास बढे ही, लेकिन उससे बड़ा नुक्सान ये हुआ कि सब एक दुसरे के सामने " नंगे " भी हो गए ! इसके असर से अब कोई किसी से डरना तो दूर की बात,कहना भी नहीं मानते !! बस कोई न कोई बहाना बना टरकाते चले जाते हैं!! सामने चाहे फिर कोई मंत्री हो या आम - आदमी, नतीजा " सिफ़र " ही आता है !!??????
अब तो हालात ये हो गए हैं कि " रक्षा-बंधन " में जकड़ कर," मुंह-मीठा " करवाकर और " दक्षिणा " लेकर नहीं, बल्कि देकर कोई काम करवालो तो करवालो अन्यथा आपका क्या अगर हमारे मनमोहन सिंह जी भी क्यों ना किसी कार्यालय पंहुच कर कितने ही जायज़ काम हेतु प्रार्थना पत्र देकर देखलें, आज्मालें , उनका भी काम नहीं होगा , चाहो तो " शर्त " लगालो !! आम- आदमी को तो कई बार इतनी बुरी तरह से धमकाते हैं कि वो बेचारा अपना काम ही भूल जाता है ?????
तो प्यारे मित्रो, प्यार बांटो, रक्षा-बंधन का त्यौहार मनाओ , मिठाइयाँ खाओऔर दक्षिणा देकर अपना काम कराओ, जब तलक यंहां " गठबंधन " की सरकारें हैं और कार्यालयों में " त्रिफला-चूरण" की व्यवस्थाएं हैं !!! भ्रष्टाचार को मारने हेतु हमसे जुड़ें या स्वयं खड़े हो जाएँ इस राक्षस को मारने हेतु !! लिंक :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com.
प्यार प्रेम यानि प्रेम,प्रेम का बंधन " अटूट " होता है, चाहे वो माता का हो या पिता का, भाई का हो या बहन का,पत्नी का हो या प्रेमिका का , इन्सान जीवन भर किसी ना किसी के "प्यारे बंधन " में बंधा हुआ रहता है ! और यही बंधन आदमी को जीवन में " अनुशासन " से रहना सिखाता है !!
यही" अनुशासन " हमें कर्त्तव्य बोध सिखाता है ! इसी कर्त्तव्य - बोध के कारन हम अपना काम ईमानदारी से करते हैं ! जिसका फिर हमें फल प्राप्त होता है, वेतन के रूप या किसी अन्य रूप में !!!
जब भी इस क्रम में कंही दोष उत्पन्न होता है तभी " भ्रष्टाचार " रुपी दानव पैदा होता है । यही दानव आज भारत की " जड़ों " को खोखला कर रहा है !!
जब से इस देश में नया" त्रिफला - चूरण " चला है, तभी से कई नयी समस्याएँ पैदा हो
चली हैं ! जी हाँ, भारत के सबसे निचले स्तर की संस्था " नगर- पालिका , पंचायत " से लेकर " संसद " तक ये त्रिफला-चूरन बन चुका है !!!!!! " नेता+कर्मचारी+व्यापारी " ये तीन जने जब मिलकर " हम प्याला - हम निवाला " बन जाते हैं तो " चपडासियों और बाबुओं " तक के घरों से" करोड़ों " मिलने लगते हैं !!
इसकाअसर ये हुआ कि रूपये तो सबके पास बढे ही, लेकिन उससे बड़ा नुक्सान ये हुआ कि सब एक दुसरे के सामने " नंगे " भी हो गए ! इसके असर से अब कोई किसी से डरना तो दूर की बात,कहना भी नहीं मानते !! बस कोई न कोई बहाना बना टरकाते चले जाते हैं!! सामने चाहे फिर कोई मंत्री हो या आम - आदमी, नतीजा " सिफ़र " ही आता है !!??????
अब तो हालात ये हो गए हैं कि " रक्षा-बंधन " में जकड़ कर," मुंह-मीठा " करवाकर और " दक्षिणा " लेकर नहीं, बल्कि देकर कोई काम करवालो तो करवालो अन्यथा आपका क्या अगर हमारे मनमोहन सिंह जी भी क्यों ना किसी कार्यालय पंहुच कर कितने ही जायज़ काम हेतु प्रार्थना पत्र देकर देखलें, आज्मालें , उनका भी काम नहीं होगा , चाहो तो " शर्त " लगालो !! आम- आदमी को तो कई बार इतनी बुरी तरह से धमकाते हैं कि वो बेचारा अपना काम ही भूल जाता है ?????
तो प्यारे मित्रो, प्यार बांटो, रक्षा-बंधन का त्यौहार मनाओ , मिठाइयाँ खाओऔर दक्षिणा देकर अपना काम कराओ, जब तलक यंहां " गठबंधन " की सरकारें हैं और कार्यालयों में " त्रिफला-चूरण" की व्यवस्थाएं हैं !!! भ्रष्टाचार को मारने हेतु हमसे जुड़ें या स्वयं खड़े हो जाएँ इस राक्षस को मारने हेतु !! लिंक :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com.
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