सफाई पसंद सभी मित्रों को मेरा नमस्कार !!
आज सब जान गए हैं की हमारा वतन पूरी तरह से गन्दा हो चुका है ! जिसमे हमारा भरपूर हाथ है ! एक पुरानी कहावत है कि " चोर को मारने से पहले, उसकी माँ को मारो" ! इसलिए क्योंकि हम सब ही चोर की "माँ " हैं !! सबसे पहले हमें,अपने-आप को ही मारना पड़ेगा !!?? यानीकि अपनी " इच्छाओं" को मारना पड़ेगा !! इच्छाएं सीमित हो जाएँगी तो भ्रष्टाचार अपने आप कम हो जायेंगी !! क्योंकि धन के पीछे भागना हमारा बंद हो जाएगा !!
फिर हमें " झाड़ू " उठाना पड़ेगा और जंहाँ भ्रष्टाचार हो रहा हो वंहा सफाई करदो !! आप पूछोगे कि वो कैसे ??? तो मित्रो,वो ऐसे कि " सब अपने मोबाईल से हो रहे भ्रष्टाचार की मूवी बनाओ और यू-ट्यूब में लोड करदो " फिर देखना सब भ्रष्टाचारी जैसे-जैसे नंगे होते जायेंगे वैसे वैसे ये कम होते जायेंगे !! अगर फिर भी अगर ऐसा काम हो तो सब मिलकर एक" छित्तर-पार्टी " बनाओ !! जूतों की माला पहनाओ, गधे पर बिठा कर " शोभायात्रा " निकालो !! शर्तिया इलाज है ये !!
जब से हमने ऐसे काम करने बंद कर दिये हैं और चोरों-भ्रष्टाचारियों की हाँ में हाँ मिलानी शुरू कर दी है, तभी से ये बीमारी शुरू हुई है !! अब तो " नेता+व्यपारी+कर्मचारी " का एक " त्रिफला-चूरण " बन गया है !! अब तो कर्मचारी नेताओं और व्यपारी की पसंद की ही योजनायें बनाते हैं और ये तीनों बराबर-बराबर अपना हिस्सा बाँट लेते हैं ! ऐसा हर स्तर पर हो रहा है !!
आपका क्या कहना है ????
अपने विचार आप हमारे ब्लॉग पर जाकर टाईप करें, जिसका नाम है " 5th pillar corrouption killer " जिसका लिंक ये है :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. .....जय- हिंद !!!!!
आज सब जान गए हैं की हमारा वतन पूरी तरह से गन्दा हो चुका है ! जिसमे हमारा भरपूर हाथ है ! एक पुरानी कहावत है कि " चोर को मारने से पहले, उसकी माँ को मारो" ! इसलिए क्योंकि हम सब ही चोर की "माँ " हैं !! सबसे पहले हमें,अपने-आप को ही मारना पड़ेगा !!?? यानीकि अपनी " इच्छाओं" को मारना पड़ेगा !! इच्छाएं सीमित हो जाएँगी तो भ्रष्टाचार अपने आप कम हो जायेंगी !! क्योंकि धन के पीछे भागना हमारा बंद हो जाएगा !!
फिर हमें " झाड़ू " उठाना पड़ेगा और जंहाँ भ्रष्टाचार हो रहा हो वंहा सफाई करदो !! आप पूछोगे कि वो कैसे ??? तो मित्रो,वो ऐसे कि " सब अपने मोबाईल से हो रहे भ्रष्टाचार की मूवी बनाओ और यू-ट्यूब में लोड करदो " फिर देखना सब भ्रष्टाचारी जैसे-जैसे नंगे होते जायेंगे वैसे वैसे ये कम होते जायेंगे !! अगर फिर भी अगर ऐसा काम हो तो सब मिलकर एक" छित्तर-पार्टी " बनाओ !! जूतों की माला पहनाओ, गधे पर बिठा कर " शोभायात्रा " निकालो !! शर्तिया इलाज है ये !!
जब से हमने ऐसे काम करने बंद कर दिये हैं और चोरों-भ्रष्टाचारियों की हाँ में हाँ मिलानी शुरू कर दी है, तभी से ये बीमारी शुरू हुई है !! अब तो " नेता+व्यपारी+कर्मचारी " का एक " त्रिफला-चूरण " बन गया है !! अब तो कर्मचारी नेताओं और व्यपारी की पसंद की ही योजनायें बनाते हैं और ये तीनों बराबर-बराबर अपना हिस्सा बाँट लेते हैं ! ऐसा हर स्तर पर हो रहा है !!
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