पूरे राजस्थान में सूरतगढ़ विधानसभा का चुनाव अपना एक विशेष महत्त्व रखता है !!क्योंकि यंहा पर चुनावों में राजनीती अपने चरम पर रहती है ! लोगों का कहना है कि मीलों और वसुंधरा जी में श्री राजिन्द्र राठोड़ के कारन 36 का आंकड़ा है ,शायद इसीलिए इसबार पूरे राजस्थान में ये चर्चा का विषय है ! शायद यही कारण था कि यंहा के भाजपा नगर और देहात्मंडल के अध्यक्षों ने श्रीमती वसुंधरा जी को ही आमंत्रित कर डाला वो तो उन्होंने समझदारी से काम लिया कि छोटे झमेले में वो नहीं पड़ीं !
कोंग्रेस पार्टी के प्रत्याशी श्री गंगाजल मील के इलावा यंहा से भाजपा के श्री राजिंदर भादू, बसपा के श्री डूंगर राम गेदर , जमींदारा पार्टी के श्री अमित कड़वासरा , राष्ट्रीय जनता पार्टी के श्री पवन सैनी , शिव सेना के श्री ओम प्रकाश राजपुरोहित , जागो पार्टी से श्री पवन कुमार मिश्र , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से श्री महावीर प्रसाद तिवाड़ी , मेघदेशम् पार्टी के श्री मोहनलाल , राष्ट्रवादी कोंग्रेस पार्टी से जनाब अब्दुल गफ्फार , बहुजन संघर्ष दल से श्री मनसुख , और राजस्थान विकास पार्टी से श्री देवेन्द्र सिंह सहित 7उमीदवार निर्दलिय नेता मैदान में आ गए हैं जिनके नाम ये हैं :- सर्वश्री यशपाल सिंह, श्रवणराम , विक्रम कुमार,प्रिंस सिंह , रेखासोनी उर्फ़ रीता सोनी ,खूबचंद नायक और जनाब इस्लामुद्दीन !!
अभी सबकी निगाहें 16तारीख पर अटकी हुई है क्योंकि वो अपना नामांकन वापिस लेने का अंतिम दिन है !! कुल 20उम्मीदवारो ने अपने 24 नामांकन फार्म दाखिल किये थे जिनमे से श्री शीशपाल का नामांकन रद्द किया गया क्योंकि उनके प्रस्तावक कम थे !वैसे अब किसी के नाम वापिस लेने कि सम्भावना कम ही है क्योंकि 12 प्रत्याशी तो राजनितिक दलों से ही हैं !! लेकिन मुख्य मुकाबला भारत कि दो बड़ी राजनितिक पार्टियों में ही माना जा रहा है ! बाकी अपना वज़ूद कितना है ,यही बता पाएंगे !?
कई मतदाता तो एक दुसरे को " टटोलने " में ही लगे हुए हैं कि कौन किधर है अंदर से ??? सट्टा बाज़ार के खिलाडी तो पूरे राजस्थान का ही आंकलन किये बैठे हैं और छुटभैये नेता और शर्तें लगाने वाले लोग उनसे ही जानकारियां एकत्रित करके अपनी नेतागिरी भी चमका रहे हैं और अपनी जेबें भरने का सपना संजोये बैठे हैं !!
प्रत्याशियों के तूफानी दौरे शुरू हो चुके हैं , मालाएं पहनाईजा रही हैं , वादे किये जा रहे हैं , डोरे डाले जा रहे हैं , कंही पर प्रत्याशियों को केलों से टोला जेन लगा है तो कंही नेताओं को ही धमकाया जा रहा है या यूं कहें कि " यरकाया " जा रहा है ! मज़े कि बात तो ये है कि नातो कंही घोटालों का असर नज़र आ रहा है और नाही कंही मंहगाई और सेक्स स्केंडलों का !! सिर्फ स्थानीय मुद्दे जो केवल नगर पालिका और पंचायत समिति स्तर के ही हैं , वो ही आम जनता के मुख पर आ रहे हैं !! ये भी देखने को आ रहा है कि जनता किसी भी पार्टी को " अछूत " नहीं मान रही है चाहे उस पार्टी के नेताओं ने कितने भी बुरे काम क्यों ना किये हों !!
इन्हीं बातों के सामने आने से बड़े राजनितिक दलों के नेता आज भी अहंकारे घुमते फिर रहे हैं !! जंहाँ तलाक छोटी पार्टियों और निर्दलिय प्रत्याशियों का सवाल है तो जनता समझ रही है कि ये भी देर - सवेर कोंग्रेस के साथ ही चले जायेंगे या फिर " बाहर " से समर्थन देने के नाम पर बिक जायेंगे !! और नहीं तो साम्प्रदायिकता का पुराना बहाना भी काम में लाया जा सकता है !!
अभी तो किसी निर्णय पर पंहुचना जल्द बाज़ी होगी क्योंकि ज़ुमा-ज़ुमा खेल शुरू हुए चार दिन ही तो हुए हैं आप भी इन नेताओं कि पूरी फ़िल्म देखिये और हम भी आंकलन कर-कर के आप को बताते जायेंगे क्योंकि हम भी श्री नारद-मुनि जी के शिष्य हैं !! बोलिये जय श्री राम।
इतना तो मैं बता ही सकता हूँ आपको कि u.p.a. सरकार के दोबारा चुने जाने के वक्त अगर किसी सब्ज़ी का भाव 20/- किलो से ज्यादा होता था तो हैम उसे खरीदने के पक्ष में नहीं होते थे कोई दूसरी सब्जी लेकर अपने घर को आ जाते थे ऐसा ही कई अनाजों के भावों के साथ भी होता था लेकिन आज देखो हम बिना किसी घबराहट के 100/- किलो के हिसाब से प्याज़ और टमाटर तक को खरीदकर अपने घर को विराजते हैं !! उस पर हमारे नेताओं - मन्त्रियों के बयान आग में घी डालने वाले ही होते हैं !
खुदा - खैर करे !!
कोंग्रेस पार्टी के प्रत्याशी श्री गंगाजल मील के इलावा यंहा से भाजपा के श्री राजिंदर भादू, बसपा के श्री डूंगर राम गेदर , जमींदारा पार्टी के श्री अमित कड़वासरा , राष्ट्रीय जनता पार्टी के श्री पवन सैनी , शिव सेना के श्री ओम प्रकाश राजपुरोहित , जागो पार्टी से श्री पवन कुमार मिश्र , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से श्री महावीर प्रसाद तिवाड़ी , मेघदेशम् पार्टी के श्री मोहनलाल , राष्ट्रवादी कोंग्रेस पार्टी से जनाब अब्दुल गफ्फार , बहुजन संघर्ष दल से श्री मनसुख , और राजस्थान विकास पार्टी से श्री देवेन्द्र सिंह सहित 7उमीदवार निर्दलिय नेता मैदान में आ गए हैं जिनके नाम ये हैं :- सर्वश्री यशपाल सिंह, श्रवणराम , विक्रम कुमार,प्रिंस सिंह , रेखासोनी उर्फ़ रीता सोनी ,खूबचंद नायक और जनाब इस्लामुद्दीन !!
अभी सबकी निगाहें 16तारीख पर अटकी हुई है क्योंकि वो अपना नामांकन वापिस लेने का अंतिम दिन है !! कुल 20उम्मीदवारो ने अपने 24 नामांकन फार्म दाखिल किये थे जिनमे से श्री शीशपाल का नामांकन रद्द किया गया क्योंकि उनके प्रस्तावक कम थे !वैसे अब किसी के नाम वापिस लेने कि सम्भावना कम ही है क्योंकि 12 प्रत्याशी तो राजनितिक दलों से ही हैं !! लेकिन मुख्य मुकाबला भारत कि दो बड़ी राजनितिक पार्टियों में ही माना जा रहा है ! बाकी अपना वज़ूद कितना है ,यही बता पाएंगे !?
कई मतदाता तो एक दुसरे को " टटोलने " में ही लगे हुए हैं कि कौन किधर है अंदर से ??? सट्टा बाज़ार के खिलाडी तो पूरे राजस्थान का ही आंकलन किये बैठे हैं और छुटभैये नेता और शर्तें लगाने वाले लोग उनसे ही जानकारियां एकत्रित करके अपनी नेतागिरी भी चमका रहे हैं और अपनी जेबें भरने का सपना संजोये बैठे हैं !!
प्रत्याशियों के तूफानी दौरे शुरू हो चुके हैं , मालाएं पहनाईजा रही हैं , वादे किये जा रहे हैं , डोरे डाले जा रहे हैं , कंही पर प्रत्याशियों को केलों से टोला जेन लगा है तो कंही नेताओं को ही धमकाया जा रहा है या यूं कहें कि " यरकाया " जा रहा है ! मज़े कि बात तो ये है कि नातो कंही घोटालों का असर नज़र आ रहा है और नाही कंही मंहगाई और सेक्स स्केंडलों का !! सिर्फ स्थानीय मुद्दे जो केवल नगर पालिका और पंचायत समिति स्तर के ही हैं , वो ही आम जनता के मुख पर आ रहे हैं !! ये भी देखने को आ रहा है कि जनता किसी भी पार्टी को " अछूत " नहीं मान रही है चाहे उस पार्टी के नेताओं ने कितने भी बुरे काम क्यों ना किये हों !!
इन्हीं बातों के सामने आने से बड़े राजनितिक दलों के नेता आज भी अहंकारे घुमते फिर रहे हैं !! जंहाँ तलाक छोटी पार्टियों और निर्दलिय प्रत्याशियों का सवाल है तो जनता समझ रही है कि ये भी देर - सवेर कोंग्रेस के साथ ही चले जायेंगे या फिर " बाहर " से समर्थन देने के नाम पर बिक जायेंगे !! और नहीं तो साम्प्रदायिकता का पुराना बहाना भी काम में लाया जा सकता है !!
अभी तो किसी निर्णय पर पंहुचना जल्द बाज़ी होगी क्योंकि ज़ुमा-ज़ुमा खेल शुरू हुए चार दिन ही तो हुए हैं आप भी इन नेताओं कि पूरी फ़िल्म देखिये और हम भी आंकलन कर-कर के आप को बताते जायेंगे क्योंकि हम भी श्री नारद-मुनि जी के शिष्य हैं !! बोलिये जय श्री राम।
इतना तो मैं बता ही सकता हूँ आपको कि u.p.a. सरकार के दोबारा चुने जाने के वक्त अगर किसी सब्ज़ी का भाव 20/- किलो से ज्यादा होता था तो हैम उसे खरीदने के पक्ष में नहीं होते थे कोई दूसरी सब्जी लेकर अपने घर को आ जाते थे ऐसा ही कई अनाजों के भावों के साथ भी होता था लेकिन आज देखो हम बिना किसी घबराहट के 100/- किलो के हिसाब से प्याज़ और टमाटर तक को खरीदकर अपने घर को विराजते हैं !! उस पर हमारे नेताओं - मन्त्रियों के बयान आग में घी डालने वाले ही होते हैं !
खुदा - खैर करे !!
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