राजनितिक शतरंज के माहिर खिलाड़ी , अपनी-अपनी बिसात बिछाने में लग गए हैं ! कोंग्रेस ने श्री गंगाजल मील , भाजपा ने श्री राजिंदर भादू , बहुजन समाजपार्टी ने श्री डूंगर राम गेधर , जमींदारा पार्टी ने श्री अमित कड़वासरा और सरदार बूटा सिंह कि पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी श्री कुन्नर को बनाया है !! इनके इलावा मुख्य पार्टियों के बागी नेता भी अपने आपको " तोलने " में लगे हैं , जनता का मूड भांपने में लगे हैं , देख रहे हैं कि वो जनता में कितने लोक प्रिय हैं ?? अगर समर्थकों और जनता का मूड उन्हें अपने पक्ष में दिखायी दिया तो वो निर्दलीय परचा भरेंगे अन्यथा किसी और को " बली का बकरा " भी बनाया जा सकता है !!
कार्यकर्ताओं कि पार्टी में कोई " कदर " नहीं है उनसे पूछ कर पार्टी का कोई काम नहीं किया जाता है ! पार्टी के किसी भी निर्णय में कार्यकर्त्ता का महत्त्व दिखायी नहीं देता है ! इसी मुद्दे पर बागी लोग उन्हें अपने साथ जोड़ने में कामयाब हो जाते हैं !! लेकिन जैसे ही बागी उम्मीदवार का " मसला " हल हो जाता है तब वो भी अपने रंग दिखाने लगता है !! इस तरह " निष्ठावान " कार्यकर्त्ता भी बागी " घोषित " हो जाते हैं !!
चतुर , घाग और गिरगिट टाइप के लोग ही आजकल सफलता को चूम रहे हैं !!संगठन में बड़े-बड़े पद पाकर " गुलछर्रे " उड़ाये जा रहे हैं !! 8-10 लोगों का ग्रुप बन जाता है ,अपनी मनमर्ज़ी करना शुरू कर देते हैं छोटी हरकतें थोड़े अंतराल के बाद बड़े घपलों में बदल जाते हैं , उनका अहँकार बोलने लगता है !! ये लोग ना तो चुनावों से पहले कभी जनता कि समस्याओं को उठाते हैं और ना ही जनता के " हक़कों " हेतु कोई लड़ाई लड़ते हैं !! बस अखबार में फोटो खिंचवाकर या कंही भाषण देकर ही अपनी बड़ाई सुनना चाहते हैं !! और ये भी चाहते हैं कि पार्टी के कार्यकर्त्ता और जनता पार्टी कि टिकट ना मिलने पर भी हमारे पीच्छे चलने लग जाएँ !!
इन नेताओं से पूछा जाना चाहिए कि अगर तुम्हें कार्यकर्ताओं से इतना ही प्रेम है तो तुम सब नेता कार्यकर्ताओं हेतु कोई धरना प्रदर्शन क्यों नहीं करते ??? आमरण अनशन पर क्यों नहीं बैठते ??? और किसी कार्यकर्त्ता का नाम लेकर सब एक मत्त क्यों नहीं होते कि हम फलाने कार्यकर्त्ता को इस चुनाव में अपना समर्थन देकर जिताएंगे और पार्टी कि टिकेट वापिस भेज देंगे !! इनकी ऊँगली हमेशां अपने पर ही हमेशां क्यों " अटक " जाती है ????
क्या कलयुग में सिर्फ " बेवकूफ " बनाकर अपना काम निकलवाना वाला ही फार्मूला चलेगा ???? राजनितिक दलों के बड़े नेताओं को कब समय मिलेगा अपने कार्यकर्ताओं का " हाल-चाल " जानने का ??? क्या जातियों-धर्मों के ठेकेदार हर बार चुनाव जीता सकते हैं ??? क्या नेता लोग वास्तव में कार्यकर्ताओं कि " आवश्यकता " ही नहीं है , ऐसा मानने लगे हैं ??? क्या केवल " मिडिया " के आसरे ही जन-जन तक पंहुचा और सफलता प्राप्त कि जा सकती है ???
देखते हैं नेताओं का आडम्बर और नाटक कितने दिन चलता है ??? हे भगवान् !! एक तू ही हमारा रक्षक है !! खैर करना !! क्या कोंग्रेस - क्या भाजपा ,क्या सपा -क्या बसपा क्या u.p.a.-क्या n.d.a. सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं !! अपना मतदान सभी मित्र अवश्य करें लेकिन करें किसी ऐसे नेता को जो आपको निजी तौर पर आकर कि वो अगले पांच वर्षों तलक आपके हितों हेतु ना सिर्फ लड़ेगा बल्कि आपके हितों कि रक्षा भी करेगा !!
BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!
कार्यकर्ताओं कि पार्टी में कोई " कदर " नहीं है उनसे पूछ कर पार्टी का कोई काम नहीं किया जाता है ! पार्टी के किसी भी निर्णय में कार्यकर्त्ता का महत्त्व दिखायी नहीं देता है ! इसी मुद्दे पर बागी लोग उन्हें अपने साथ जोड़ने में कामयाब हो जाते हैं !! लेकिन जैसे ही बागी उम्मीदवार का " मसला " हल हो जाता है तब वो भी अपने रंग दिखाने लगता है !! इस तरह " निष्ठावान " कार्यकर्त्ता भी बागी " घोषित " हो जाते हैं !!
चतुर , घाग और गिरगिट टाइप के लोग ही आजकल सफलता को चूम रहे हैं !!संगठन में बड़े-बड़े पद पाकर " गुलछर्रे " उड़ाये जा रहे हैं !! 8-10 लोगों का ग्रुप बन जाता है ,अपनी मनमर्ज़ी करना शुरू कर देते हैं छोटी हरकतें थोड़े अंतराल के बाद बड़े घपलों में बदल जाते हैं , उनका अहँकार बोलने लगता है !! ये लोग ना तो चुनावों से पहले कभी जनता कि समस्याओं को उठाते हैं और ना ही जनता के " हक़कों " हेतु कोई लड़ाई लड़ते हैं !! बस अखबार में फोटो खिंचवाकर या कंही भाषण देकर ही अपनी बड़ाई सुनना चाहते हैं !! और ये भी चाहते हैं कि पार्टी के कार्यकर्त्ता और जनता पार्टी कि टिकट ना मिलने पर भी हमारे पीच्छे चलने लग जाएँ !!
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