सूरतगढ़ के मौजूदा विधायक श्री गंगाजल मील जी के सहयोगियों ने उन्हें ये राय दी कि आपने जो काम करवाये हैं उनकी एक किताब छपवाकर मतदाताओं में बंटवाते हैं !! नगर कि एक प्रमुख प्रिन्टिंग प्रेस के मालिक से ये काम करवाया गया ! उन्होंने मील साहिब को इतने रियायती दर पर ये काम करके दिया कि पूछो मत !! हमें पता चला है कि इसका मैटर बनाने में भी उन्होंने भरपूर मदद दी है , क्योंकि इन्ही कार्यों को दर्शाने हेतु कुछ दिन पहले कई होर्डिंग बनाकर शहर में लगाये गए थे , जो बाद में किसी R.T.I.कार्यकर्त्ता द्वारा सूचना मांगने पर जल्दी ही उतरवा लिए गए थे !! इस तरह से ये पत्रिका कोंग्रेस के कार्यकर्त्ता गली-गली में बाँटकर जनता को ये समझा रहे हैं कि हमने ये ये काम पिछले पांच सालोँ में करवाये हैं जो दूसरी पार्टियां पचास सालों में भी नहीं करवा सकीं !!
आइये आप और हम इस तथाकथित " विकासनामे " पर एक नज़र डालते हैं और परखने कि कोशिश करते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है और कितना झूठ भरा है !!
सबसे पहले इस विकासनामे की टैग लाईन ही गलत है , इन्होने लिखा है कि" 5 साल बनाम 50 साल " , इनके मुताबिक तो जो मील साहिब से पहले कोंग्रेसी विधायक रहे उन्होंने कोई विकास कार्य नहीं किया या कराया क्या ??? फिर इन्होने ये लिखा है कि इन्होने " संवेदनशील , पारदर्शी,जवाबदेह और सुशासन " दिया है !! अगर ये सारे सम्बोधनों जैसा ही इन्होने काम किया होता तो सूरतगढ़ के समाचार पत्रों में कोंग्रेस विरोधी समाचार प्रकाशित होने ही बंद हो जाते , नहीं क्या ??
सबसे पहले इन्होने श्री पृथ्वी मील जी का चित्र लगाया है जो 5 वर्ष पुराना है , कोई ताज़ा राजनितिक घटनाक्रम में श्री पृथ्वी मील इनके साथ चित्रों में क्यों दिखायी नहीं देते , मील साहिब इसका कारण बताने का कष्ट करेंगे ??
उसके बाद विधायक महोदय जी का जनता के प्रति आभार प्रकाशित कियागया है जो कि अति आवश्यक था इसमें उन्होंने आभार के साथ अपने द्वारा कराये गए काम गिनाये है , लेकिन ये नहीं बताया कि उनको मिले बज़ट में से कितना धन वो खर्च नहीं करवा पाये अपने कार्यकाल में ?? और नाही उन्होंने जनता को ये बताया है कि कौन-कौन से काम पूर्ण हो गए और कितने काम " अधूरे " ही रह गए और क्यों ??
विकासनामे में उसके बाद घूम फिरकर उन्हीं बातों को अपने चहेतों पदाधिकारियों , वरिष्ठ पत्रकारों और नगर के बुद्धिजीवियों , ज़नाब इक़बाल मुहम्मद कुरैशी , श्री विनय कुमार तिवारी ,श्री राजिंदर उपाध्याय , श्री नागेंदर सिंह शेखावत ,अनिल यादव और श्री के-के खासपुरिया जी जैसे विद्वानो से बड़ी खूबसूरती से कहलवाया गया है जिसे जनता पढ़-पढ़ कर हँसती ज्यादा है और मानती कम है !! क्योंकि " अतिश्यिक्तियों और झूठी प्रशंसा से भरा है ये कोंग्रेस पार्टी का तथाकथित " विकसनामा " !!!सबसे ज्यादा असरकारक अगर कोई चीज़ है तो वो आखरी पन्ना है जिसमे संक्षिप्त विवरण दिया गया है !! इतना ही बहुत था !!
बाकी कितना रुपया खर्च करके ये छपवाया गया और कितनी संख्या में कितने रुपये देकर इसे बंटवाया गया , ये हमारा नड्डा नहीं ये चुनाव आयोग नामक विभाग का काम है जिसको कोंग्रेस के कई नेता चेलेंज भी कर चुके हैं !! कइयों ने तो इस आयोग को कागज़ी शेर तक कह दिया था !!
मील जी द्वारा गिनाये गए कार्यों में से कइयों का तो बज़ट रिलेप्स हो गया तो कुछ कार्य अधूरे ही पड़े हैं और जो कार्य सम्पूर्ण हुए हैं उनकी " क्वालिटी " जांच का विषय हो गयी है !! लोग पूछ रहे हैं कि शहर के चारों और जितने कब्ज़े हुए हैं , जो लोग लाखों में बेचकर चलता बने क्या उनकी कोई जांच हुई ?? लोग पूछते हैं कि सूरतगढ़ कि आसपास कि भूमि खसरों के अंदर से चलकर मेन रोड पर कैसे पंहुच गयी ??? नगर पालिका के भूतपूर्व कार्यकारी अधिकारीयों , चेयरमैनों और करमचारियों पर जो भ्रष्टाचार के केस चल रहे थे उनका क्या हुआ ?? सरकारी डिपो होल्डरों ने , ग्राम सेवकों ने , पुलिस ने और अन्य डिपार्टमेंट के अधिकारीयों ने अपना काम सही तरीके से किया है क्या ??? पिछले पाच वर्षों में हमारे विधायक जी ने कभी किसी विभाग को अचानक से चेक किया ?? अगर किया तो कितने दोषियों को पकड़ा ??? ऐसे प्रश्नो के उत्तर देता कोई " न्यायनामा " मील साहिब कब प्रकाशित करवाएंगे ??
आइये आप और हम इस तथाकथित " विकासनामे " पर एक नज़र डालते हैं और परखने कि कोशिश करते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है और कितना झूठ भरा है !!
सबसे पहले इस विकासनामे की टैग लाईन ही गलत है , इन्होने लिखा है कि" 5 साल बनाम 50 साल " , इनके मुताबिक तो जो मील साहिब से पहले कोंग्रेसी विधायक रहे उन्होंने कोई विकास कार्य नहीं किया या कराया क्या ??? फिर इन्होने ये लिखा है कि इन्होने " संवेदनशील , पारदर्शी,जवाबदेह और सुशासन " दिया है !! अगर ये सारे सम्बोधनों जैसा ही इन्होने काम किया होता तो सूरतगढ़ के समाचार पत्रों में कोंग्रेस विरोधी समाचार प्रकाशित होने ही बंद हो जाते , नहीं क्या ??
सबसे पहले इन्होने श्री पृथ्वी मील जी का चित्र लगाया है जो 5 वर्ष पुराना है , कोई ताज़ा राजनितिक घटनाक्रम में श्री पृथ्वी मील इनके साथ चित्रों में क्यों दिखायी नहीं देते , मील साहिब इसका कारण बताने का कष्ट करेंगे ??
उसके बाद विधायक महोदय जी का जनता के प्रति आभार प्रकाशित कियागया है जो कि अति आवश्यक था इसमें उन्होंने आभार के साथ अपने द्वारा कराये गए काम गिनाये है , लेकिन ये नहीं बताया कि उनको मिले बज़ट में से कितना धन वो खर्च नहीं करवा पाये अपने कार्यकाल में ?? और नाही उन्होंने जनता को ये बताया है कि कौन-कौन से काम पूर्ण हो गए और कितने काम " अधूरे " ही रह गए और क्यों ??
विकासनामे में उसके बाद घूम फिरकर उन्हीं बातों को अपने चहेतों पदाधिकारियों , वरिष्ठ पत्रकारों और नगर के बुद्धिजीवियों , ज़नाब इक़बाल मुहम्मद कुरैशी , श्री विनय कुमार तिवारी ,श्री राजिंदर उपाध्याय , श्री नागेंदर सिंह शेखावत ,अनिल यादव और श्री के-के खासपुरिया जी जैसे विद्वानो से बड़ी खूबसूरती से कहलवाया गया है जिसे जनता पढ़-पढ़ कर हँसती ज्यादा है और मानती कम है !! क्योंकि " अतिश्यिक्तियों और झूठी प्रशंसा से भरा है ये कोंग्रेस पार्टी का तथाकथित " विकसनामा " !!!सबसे ज्यादा असरकारक अगर कोई चीज़ है तो वो आखरी पन्ना है जिसमे संक्षिप्त विवरण दिया गया है !! इतना ही बहुत था !!
बाकी कितना रुपया खर्च करके ये छपवाया गया और कितनी संख्या में कितने रुपये देकर इसे बंटवाया गया , ये हमारा नड्डा नहीं ये चुनाव आयोग नामक विभाग का काम है जिसको कोंग्रेस के कई नेता चेलेंज भी कर चुके हैं !! कइयों ने तो इस आयोग को कागज़ी शेर तक कह दिया था !!
मील जी द्वारा गिनाये गए कार्यों में से कइयों का तो बज़ट रिलेप्स हो गया तो कुछ कार्य अधूरे ही पड़े हैं और जो कार्य सम्पूर्ण हुए हैं उनकी " क्वालिटी " जांच का विषय हो गयी है !! लोग पूछ रहे हैं कि शहर के चारों और जितने कब्ज़े हुए हैं , जो लोग लाखों में बेचकर चलता बने क्या उनकी कोई जांच हुई ?? लोग पूछते हैं कि सूरतगढ़ कि आसपास कि भूमि खसरों के अंदर से चलकर मेन रोड पर कैसे पंहुच गयी ??? नगर पालिका के भूतपूर्व कार्यकारी अधिकारीयों , चेयरमैनों और करमचारियों पर जो भ्रष्टाचार के केस चल रहे थे उनका क्या हुआ ?? सरकारी डिपो होल्डरों ने , ग्राम सेवकों ने , पुलिस ने और अन्य डिपार्टमेंट के अधिकारीयों ने अपना काम सही तरीके से किया है क्या ??? पिछले पाच वर्षों में हमारे विधायक जी ने कभी किसी विभाग को अचानक से चेक किया ?? अगर किया तो कितने दोषियों को पकड़ा ??? ऐसे प्रश्नो के उत्तर देता कोई " न्यायनामा " मील साहिब कब प्रकाशित करवाएंगे ??
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