राजनीती के बदलते रंग अब नेताओ के प्रति आस्था कान्हा। । आस्था की जगह ली स्वार्थ ने
बाड़मेर अब जन नेता नहीं धन नेताओ का बोलबाला
बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर कि राजनीती ने भारतीय राजनीती को अनमोल रत्न दिए हें। इन रत्नो ने बाड़मेर कि राजनीती को परवान चढ़ाया। आज राजनीती इन महानुभावो कि कमी महसूस कर रही हें ,यह वो नेता थे जिनके प्रति आज जनता ने आस्था थी उनके प्रति जूनून था। आज का नेता नेता कम दलाल और व्यापारी हो गया हें। नेतागिरी में आते ही सोने के बंगले का ख्वाब पूरा करने में जुट जाता हें। बाड़मेर के लगभग सभी वर्त्तमान जन प्रतिनिधि राजनीती को कुबेर का खज़ाना मान इसससे अपना घर भर रहे हें। कल तक लाखो में खेलने वाले आज करोडो अरबो में खेल रहे। पांच सालमें बेनामी सम्पति बेहताशा बढाती जाती हें। चुनाव जीतने के लिए पैसो का सहारा लेकर उसे पानी कि तरह बहते हें। बाड़मेर के वर्त्तमान नेता जन सेवक कम व्यापारी ज्यादा लगते हें। चुनाव जीतते ही बादशाह बन जाते हें। पहला काम होता हें विरिधियो को ठिकाने लगाना। चुन चुन कर बदला लेते हें। कपड़ो से बहार आने के साथ जमीन छोड़ देते हें जिसका नतीजा कि पांच साल आते आते जनता कि नज़रो से गिर जाते। पैसो कि उगाही अधिकारियो से लेकर योजनाओ तक में वसूली। स्थानांतरण से लेकर विकास कार्यो कि स्वीकृतिओ में दलाली
कोई जमाना था जब बाड़मेर के नेताओ के प्रति जनता कि आस्था थी तो उसकला कारण नेताओ का जमीं से जुड़ा रहना था। आठ आठ चुनाव जीत गए मगर अपने आप को आम जनता के बीच बेहद सहज रखते थे। आज भी उनके घर एक साधारण घर कि तरह हें मगर आज वो मंदिर कि मानिंद हो गए। आज भी जन नेताओ के घर पैसो कि खनक से दूर लगते हें ,बाड़मेर के जन नायको में श्री रामदान चौधरी जिनकी उंगली पकड़ आज जाट समाज तरक्की के रस्ते पर हें। सीमान्त गांधी के नाम से मशहूर रहे श्री अब्दुल हादी सादा उच्च विचार के आदर्श को लेकर राजनीती कि। उन्हें देख कोई न कहता कि राजनीती के मंझे हुए धुरंधर हें। श्री तन सिंह महेचा एक युग पुरुष बन गए क्षत्रिय समाज में जो शिक्षा और संसकारो कि अलख जगाई वो आज भी क्षत्रिय घरों को रोशन कर रही हें। राजनीती के साथ जन सेवक का तमगा नसीब वालो को मिलता हें।
दुसरों की सेवा करना ही धनतेरस है - साध्वी प्रियरजना श्री
सरस्वती महापूजन सम्पन्न
बाड़मेर स्थानीय जिन कानितसागर सूरी आराधना भवन में चातुमासिक विराजित पूज्य साध्वीवर्या मधुरभाषी व्याख्यात्री श्री प्रिय रजंना श्री म.सा. ने आज धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि धन तेरस का अर्थ धन की वर्षा से नहंी है लोग आज के दिन चांदी स्टील आदि के बर्तन खरीदकर धन तेरस मनाते है किन्तु असली धन तेरस है दुखियों के दु:ख दर्द दूर करने का सकल्प लेना। संस्कृत में इसका अर्थ होता है - धऩतेरस -तुम्हारा रसयानी प्राण , मनोभाव धन्य हो जाये, दूसरों की सेवा करके तुम्हारा जीवन रस कृतार्थ हो जाये तो समझों आज धन तेरस हो गर्इ। यदि आज के दिन आपने एक भी दु:खी प्राणी का दु:ख दर्द मिटा दिया । किसी अस्पताल में जाकर रोगियों कि सार संभाल ले ली उन्हें सान्तवना दी और उनकों सुख शांति पहुंचार्इ तो समझ लो आपकी धनतेरस वास्तव में धनतेरस हो गर्इ अन्यथा धन की पूजा करके चाहे तेरस मनाओं या चौहदस मनाओं उससे कोर्इ फर्क नहीं पड़ता दिलावली के पंचपर्वो के आरंभ में पहला पर्व धन तेरस का पर्व अपने आप को जीवन में परहित एवं परोपकार की प्ररेणा देता है नि:स्वार्थ और निरपेक्ष भाव से जितना बन सके दुसरों की सेवा सहायता का सकल्प करना और उसके अपनी धन सम्पति का सदुपयोग करना यह लक्ष्मी के आमंत्रण की पूर्व भूमिका है जो परोपकार करेगा लक्ष्मी स्वयं उसके द्वार पर आकर दस्तक देगीं।
महाभारत आदि पुराणों के अनुसार कार्तिक वदी तेरस के दिन धनवन्तरी प्रकट हुए इसलिए यह धन तेरस धनवन्तरी जन्म दिन के रूप में मनार्इ जाती है धन तेरस के दिन नये वस्त्र नये बर्तन, चांदी सिक्के आदि खरीदने की तरह जीवन के लिये कुछ नये सकल्प भी ग्रहण कर लिजियें । इस वर्ष क्या विषेष काम करना है किस शुभ काम में अपनी लक्ष्मी का कितना नियाेंजन करना है इसकी एक कल्पना भी मन में लायेंगें तो धन तेरस आतिमक धन व पुण्य लक्ष्मी कमाने में आपकी सहायता करेगी। धन के स्वामी बनो, दास नहीं।
साध्वी श्री प्रिय दिव्याजना श्री ने उतराध्ययन खुद के अध्ययन का मार्मिक निवेदन करते हुए कहा कि जो विवेकी होता है वह बहुभुत होता है। पांच कारणों से जीव ज्ञान षिक्षा प्राण नहीं कर सकता है 1 अभिमान 2 क्रेाध, 3. प्रमाद 4. रोग 5. आलस्य।
हमारा तप ही ज्योति अर्थात अगिन स्वरूप है जो हमारे कर्म रूपी इर्ंधन को जलाने वाला है आत्मा ही ज्योति कुण्ड है मन,वचन और काया के शुभ योग से होने वाला शुभ व्यापार घी, है दया और विनय रूप है।
साध्वी श्री प्रिय शुभांजना श्री ने कहा जिसमें स्नान कर आत्मा कर्म रूपी मैल को दूर कर सकती है ब्रह्राचर्य शांतितीर्थ है जिसके सेवन से आत्मा राग द्वेष रूप पाप से मुक्त हो सकती है समझदार व्यकित वृहत हंसी मंजाक नहीं करता है। अपनी इनिद्रयों को वष में रखता है किसी की ग्रहा बात को प्रकट करने वाला नहीं होता है। सदाचारों का पालन करने वाला होता है खाने-पिने में अत्यंत आसक्त न हो। बार-बार का्रेध नहीं करता है। कभी झूठ नहीं बोलता है इन गुणों को जीवन में आत्मसात करने वाला ही सम्यक ज्ञान हासिल कर सकता है।
खरतरगछ संघ के अध्यक्ष मांगीलाल मालू एवं उपाध्यक्ष भूरचंद सखलेषा ने बताया कि आज दोहपर में विधा की देवी सरस्वती माता का महापूजन सम्पन्न हुआ जिसमें सैकडों की संख्या में बालक बालिकाओं एवं महिलाओं व पुरूषों ने सफेद वस्त्रों में भाग लिया बाद में पूज्य साध्वी वर्या के द्वारा विभिन्न मंत्रोचार एवं वासक्षेप से महापूजन सम्पन्न हुआ इसी कड़ी में कौन बनेगा सुपर सरस्वती प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें प्रथम कंचन सखलेषा, द्वितीय पूंजा डूंगरवाल, तृतीय जिज्ञासा तातेड़़ रहे। बाद में प्रभावना का वितरण किया गया। आज से छठ तप की आराधना प्रारम्भ होगी। प्रभावना वितरीत की गर्इ एवं रात्रि में भकित संध्या का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मांगीलाल मालू, भूरचंद सखलेषा, सोहनलाल सखलेशा, जगदीष बोथरा,पारसमल मेहता, बाबूलाल तातेड़, मोहनलाल मालू, मेाहनलाल संखलेषा, बषीधर बोथरा, बाबूलाल छाजेड़, मांगीलाल धारीवाल, मांगीलाल छाजेड़,, सम्पतराज संखलेषा, खेतमल तातेड़,, रमेष मालू, नरेष लूणीया, सुनिल छाजेड़, राजेन्द्र वडेरा, सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपसिथत थे।
बाड़मेर अब जन नेता नहीं धन नेताओ का बोलबाला
बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर कि राजनीती ने भारतीय राजनीती को अनमोल रत्न दिए हें। इन रत्नो ने बाड़मेर कि राजनीती को परवान चढ़ाया। आज राजनीती इन महानुभावो कि कमी महसूस कर रही हें ,यह वो नेता थे जिनके प्रति आज जनता ने आस्था थी उनके प्रति जूनून था। आज का नेता नेता कम दलाल और व्यापारी हो गया हें। नेतागिरी में आते ही सोने के बंगले का ख्वाब पूरा करने में जुट जाता हें। बाड़मेर के लगभग सभी वर्त्तमान जन प्रतिनिधि राजनीती को कुबेर का खज़ाना मान इसससे अपना घर भर रहे हें। कल तक लाखो में खेलने वाले आज करोडो अरबो में खेल रहे। पांच सालमें बेनामी सम्पति बेहताशा बढाती जाती हें। चुनाव जीतने के लिए पैसो का सहारा लेकर उसे पानी कि तरह बहते हें। बाड़मेर के वर्त्तमान नेता जन सेवक कम व्यापारी ज्यादा लगते हें। चुनाव जीतते ही बादशाह बन जाते हें। पहला काम होता हें विरिधियो को ठिकाने लगाना। चुन चुन कर बदला लेते हें। कपड़ो से बहार आने के साथ जमीन छोड़ देते हें जिसका नतीजा कि पांच साल आते आते जनता कि नज़रो से गिर जाते। पैसो कि उगाही अधिकारियो से लेकर योजनाओ तक में वसूली। स्थानांतरण से लेकर विकास कार्यो कि स्वीकृतिओ में दलाली
कोई जमाना था जब बाड़मेर के नेताओ के प्रति जनता कि आस्था थी तो उसकला कारण नेताओ का जमीं से जुड़ा रहना था। आठ आठ चुनाव जीत गए मगर अपने आप को आम जनता के बीच बेहद सहज रखते थे। आज भी उनके घर एक साधारण घर कि तरह हें मगर आज वो मंदिर कि मानिंद हो गए। आज भी जन नेताओ के घर पैसो कि खनक से दूर लगते हें ,बाड़मेर के जन नायको में श्री रामदान चौधरी जिनकी उंगली पकड़ आज जाट समाज तरक्की के रस्ते पर हें। सीमान्त गांधी के नाम से मशहूर रहे श्री अब्दुल हादी सादा उच्च विचार के आदर्श को लेकर राजनीती कि। उन्हें देख कोई न कहता कि राजनीती के मंझे हुए धुरंधर हें। श्री तन सिंह महेचा एक युग पुरुष बन गए क्षत्रिय समाज में जो शिक्षा और संसकारो कि अलख जगाई वो आज भी क्षत्रिय घरों को रोशन कर रही हें। राजनीती के साथ जन सेवक का तमगा नसीब वालो को मिलता हें।
दुसरों की सेवा करना ही धनतेरस है - साध्वी प्रियरजना श्री
सरस्वती महापूजन सम्पन्न
बाड़मेर स्थानीय जिन कानितसागर सूरी आराधना भवन में चातुमासिक विराजित पूज्य साध्वीवर्या मधुरभाषी व्याख्यात्री श्री प्रिय रजंना श्री म.सा. ने आज धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि धन तेरस का अर्थ धन की वर्षा से नहंी है लोग आज के दिन चांदी स्टील आदि के बर्तन खरीदकर धन तेरस मनाते है किन्तु असली धन तेरस है दुखियों के दु:ख दर्द दूर करने का सकल्प लेना। संस्कृत में इसका अर्थ होता है - धऩतेरस -तुम्हारा रसयानी प्राण , मनोभाव धन्य हो जाये, दूसरों की सेवा करके तुम्हारा जीवन रस कृतार्थ हो जाये तो समझों आज धन तेरस हो गर्इ। यदि आज के दिन आपने एक भी दु:खी प्राणी का दु:ख दर्द मिटा दिया । किसी अस्पताल में जाकर रोगियों कि सार संभाल ले ली उन्हें सान्तवना दी और उनकों सुख शांति पहुंचार्इ तो समझ लो आपकी धनतेरस वास्तव में धनतेरस हो गर्इ अन्यथा धन की पूजा करके चाहे तेरस मनाओं या चौहदस मनाओं उससे कोर्इ फर्क नहीं पड़ता दिलावली के पंचपर्वो के आरंभ में पहला पर्व धन तेरस का पर्व अपने आप को जीवन में परहित एवं परोपकार की प्ररेणा देता है नि:स्वार्थ और निरपेक्ष भाव से जितना बन सके दुसरों की सेवा सहायता का सकल्प करना और उसके अपनी धन सम्पति का सदुपयोग करना यह लक्ष्मी के आमंत्रण की पूर्व भूमिका है जो परोपकार करेगा लक्ष्मी स्वयं उसके द्वार पर आकर दस्तक देगीं।
महाभारत आदि पुराणों के अनुसार कार्तिक वदी तेरस के दिन धनवन्तरी प्रकट हुए इसलिए यह धन तेरस धनवन्तरी जन्म दिन के रूप में मनार्इ जाती है धन तेरस के दिन नये वस्त्र नये बर्तन, चांदी सिक्के आदि खरीदने की तरह जीवन के लिये कुछ नये सकल्प भी ग्रहण कर लिजियें । इस वर्ष क्या विषेष काम करना है किस शुभ काम में अपनी लक्ष्मी का कितना नियाेंजन करना है इसकी एक कल्पना भी मन में लायेंगें तो धन तेरस आतिमक धन व पुण्य लक्ष्मी कमाने में आपकी सहायता करेगी। धन के स्वामी बनो, दास नहीं।
साध्वी श्री प्रिय दिव्याजना श्री ने उतराध्ययन खुद के अध्ययन का मार्मिक निवेदन करते हुए कहा कि जो विवेकी होता है वह बहुभुत होता है। पांच कारणों से जीव ज्ञान षिक्षा प्राण नहीं कर सकता है 1 अभिमान 2 क्रेाध, 3. प्रमाद 4. रोग 5. आलस्य।
हमारा तप ही ज्योति अर्थात अगिन स्वरूप है जो हमारे कर्म रूपी इर्ंधन को जलाने वाला है आत्मा ही ज्योति कुण्ड है मन,वचन और काया के शुभ योग से होने वाला शुभ व्यापार घी, है दया और विनय रूप है।
साध्वी श्री प्रिय शुभांजना श्री ने कहा जिसमें स्नान कर आत्मा कर्म रूपी मैल को दूर कर सकती है ब्रह्राचर्य शांतितीर्थ है जिसके सेवन से आत्मा राग द्वेष रूप पाप से मुक्त हो सकती है समझदार व्यकित वृहत हंसी मंजाक नहीं करता है। अपनी इनिद्रयों को वष में रखता है किसी की ग्रहा बात को प्रकट करने वाला नहीं होता है। सदाचारों का पालन करने वाला होता है खाने-पिने में अत्यंत आसक्त न हो। बार-बार का्रेध नहीं करता है। कभी झूठ नहीं बोलता है इन गुणों को जीवन में आत्मसात करने वाला ही सम्यक ज्ञान हासिल कर सकता है।
खरतरगछ संघ के अध्यक्ष मांगीलाल मालू एवं उपाध्यक्ष भूरचंद सखलेषा ने बताया कि आज दोहपर में विधा की देवी सरस्वती माता का महापूजन सम्पन्न हुआ जिसमें सैकडों की संख्या में बालक बालिकाओं एवं महिलाओं व पुरूषों ने सफेद वस्त्रों में भाग लिया बाद में पूज्य साध्वी वर्या के द्वारा विभिन्न मंत्रोचार एवं वासक्षेप से महापूजन सम्पन्न हुआ इसी कड़ी में कौन बनेगा सुपर सरस्वती प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें प्रथम कंचन सखलेषा, द्वितीय पूंजा डूंगरवाल, तृतीय जिज्ञासा तातेड़़ रहे। बाद में प्रभावना का वितरण किया गया। आज से छठ तप की आराधना प्रारम्भ होगी। प्रभावना वितरीत की गर्इ एवं रात्रि में भकित संध्या का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मांगीलाल मालू, भूरचंद सखलेषा, सोहनलाल सखलेशा, जगदीष बोथरा,पारसमल मेहता, बाबूलाल तातेड़, मोहनलाल मालू, मेाहनलाल संखलेषा, बषीधर बोथरा, बाबूलाल छाजेड़, मांगीलाल धारीवाल, मांगीलाल छाजेड़,, सम्पतराज संखलेषा, खेतमल तातेड़,, रमेष मालू, नरेष लूणीया, सुनिल छाजेड़, राजेन्द्र वडेरा, सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपसिथत थे।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया के सबसे लंबे आदमी के तौर पर दर्ज तुर्की के सुल्तान कोसेन ने रविवार को अपनी प्रेमिका मेरवे डीबो के साथ विवाह रचाया। करीब 8 फुट और 3 इंज के 30 वर्षीय सुल्तान ने कहा कि मेरवे का मेरी जिंदगी में आना किसी चमत्कार से कम नहीं है। उनकी नई दुल्हन 2 फीट 7 इंच छोटी है।
तुर्की के रहने वाले सुल्तान ने शनिवार को 20 साल की अपनी दुल्हन के साथ धूमधाम से ब्याह रचाया। उनकी शादी में कई सारे लोगों के साथ मीडियाकर्मी भी शामिल हुए। डीबो से मुलाकात से पहले कोसेन को अपना जीवन साथी चुनने में दिक्कतें आ रही थी। सुल्तान को जितनी भी लड़कियों से मिलते वे उनके लंबाई काफी छोटी होती थी। शनिवार को सुल्तान ने शादी का सूट और 28 इंज के जूते पहने।
सुल्तान का कहना है कि मैं अपना प्यार पाकर बेहद रोमांचित महसूस कर रहा हूं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि मैं अपने लिए अपनी लंबाई जितनी लड़की नहीं ढ़ंढ पाया था लेकिन अब वह खुश हैं। उनका एक परिवार है। कोजेन दुनिया के उन दस लोगों में हैं, जिनकी लंबाई 8 फुट है। वे बेहद दुर्लभ बीमारी पिच्यूटरी गिगानटिज्म से ग्रस्त हैं। इस बीमारी से शरीर का लगातार विकास होता रहता है।
दस साल की उम्र में उन्हें यह बीमारी लगी, इसके बाद 2009 में वह दुनिया के सबसे लंबे शख्स बन गए। 2011 में उनके शरीर की वृद्धि रूक गई। दुनिया का सबसे लंबा व्यक्ति इलेनोइस निवासी 1940 में रॉबर्ट वल्डो था। उसकी लंबाई 8 फुट 11 इंच थी।
तुर्की के रहने वाले सुल्तान ने शनिवार को 20 साल की अपनी दुल्हन के साथ धूमधाम से ब्याह रचाया। उनकी शादी में कई सारे लोगों के साथ मीडियाकर्मी भी शामिल हुए। डीबो से मुलाकात से पहले कोसेन को अपना जीवन साथी चुनने में दिक्कतें आ रही थी। सुल्तान को जितनी भी लड़कियों से मिलते वे उनके लंबाई काफी छोटी होती थी। शनिवार को सुल्तान ने शादी का सूट और 28 इंज के जूते पहने।
सुल्तान का कहना है कि मैं अपना प्यार पाकर बेहद रोमांचित महसूस कर रहा हूं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि मैं अपने लिए अपनी लंबाई जितनी लड़की नहीं ढ़ंढ पाया था लेकिन अब वह खुश हैं। उनका एक परिवार है। कोजेन दुनिया के उन दस लोगों में हैं, जिनकी लंबाई 8 फुट है। वे बेहद दुर्लभ बीमारी पिच्यूटरी गिगानटिज्म से ग्रस्त हैं। इस बीमारी से शरीर का लगातार विकास होता रहता है।
दस साल की उम्र में उन्हें यह बीमारी लगी, इसके बाद 2009 में वह दुनिया के सबसे लंबे शख्स बन गए। 2011 में उनके शरीर की वृद्धि रूक गई। दुनिया का सबसे लंबा व्यक्ति इलेनोइस निवासी 1940 में रॉबर्ट वल्डो था। उसकी लंबाई 8 फुट 11 इंच थी।
नई दिल्ली: मशहूर गायिका रेशमा का लाहौर में निधन हो गया है। साल 1947 में बीकानेर में जन्मीं रेशमा गले के कैंसर से जूझ रही थीं। यूं तो वह पाकिस्तानी नागरिक थीं, लेकिन 3 दशक पहले आई बॉलिवुड फिल्म हीरो के गाने 'लंबी जुदाई' से वह भारत में भी लोकप्रिय हो गईं।
रेशमा ने बेहद कम उम्र से गाना शुरू कर दिया था। जब वह 12 साल की थीं, तब पहली बार उन्होंने रेडियो पाक पर गाना गाया और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पाकिस्तान में एक लोग गायिका के तौर पर वह बेहद लोकप्रिय हो चुकी थीं, लेकिन भारत में उनकी आवाज गूंजी सुभाष घई की फिल्म हीरो के गाने 'लंबी जुदाई' के जरिए। यह गाना 80 के दशक का सुपरहिट गाना रहा।हीरो मूवी का गाना 'चार दिनां दा प्यार हाय रब्बा, बड़ी लम्बी जुदाई... ' गाना एक तरह से रेशमा के लिए भारत से जुदाई का ही ऐलान साबित हुआ था। इस गाने के बारे में रेशमा का कहना था, 'हीरो में गाया हुआ मेरा यह गाना सचमुच मेरे ऊपर फिट हो गया। उस गीत ने मुझे जितनी प्रसिद्धि दिलाई, उसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। इसी की बदौलत मैं रातों-रात स्टार बन गई।'
इसके बाद भी उन्होंने प्लेबैक सिंगिंग के लिए कोशिशें की थीं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। एक इंटरव्यू में इस बारे में बात करते हुए रेशमा ने कहा था,'दरअसल पारिवारिक कारणों से इस गाने के बाद मैं पाकिस्तान चली गई, जबकि उस समय मेरे पास टॉप म्यूजिक डायरेक्टर्स के ऑफर थे।'
रेशमा का कहना था कि भारत और पाकिस्तान उनके लिए दो आंखों की तरह हैं। उनका कहना था कि कलाकारों के लिए देश की सीमाएं कभी बाधा नहीं बनतीं और भारत में उन्हें हमेशा बेहद प्यार और सम्मान मिला है। रेशमा चाहती थीं कि भारत-पाकिस्तान अमन-चैन से रहें।
रविवार सुबह लाहौर के हॉस्पिटल में रेशमा के निधन की खबर आते ही भारत और पाकिस्तान समेत दुनिया भर में उनके प्रशंसक शोक में डूब गए। फिल्म जगत की कई हस्तियों ने उनके निधन पर दुख जाहिर किया है।
न्यूयार्क। सेक्स से संबंधित एक स्टडी उस वक्त चर्चा का विषय बन गई जब उस में शामिल जोड़ों के हाथों पर बैण्ड रीडर बांध कर उनसे आपस में असली में सेक्स करवाया गया।
इस स्टडी को करने वाले कनाडा के वैज्ञानिकों ने अब यह साबित कर दिया है कि सेक्स करना एक्सरसाइज करने से ज्यादा अच्छा है। इन वैज्ञानिकों के अनुसार एक इंसान सेक्स करने के दौरान जितनी "कैलोरी" खर्च करता है वह उसके "वॉक" के दौरान खर्च हुई "कैलोरी" से कहीं ज्यादा होती है।
इस निष्कर्श से यह सामने आया कि जहां 24.7 मिनट की एक सेक्स क्रिया के दौरान एक जवान आदमी 4.2 कैलोरी प्रति मिनट के हिसाब से 104 कैलोरीज खर्च करता है वहीं एक जवान औरत 3.1 कैलोरी प्रति मिनट की दर से 69 कैलोरीज खर्च करती है।
इसलिए इस स्टडी ने "सेक्स" को "वॉक" से बेहतर करार दिया गया है। हालांकि इस में यह बात भी सामने आई कि जागिंग में सेक्स से ज्यादा कैलोरीज खर्च होती है।
मॉन्ट्रियल की युनिवर्सीटी ऑफ क्यूबेक के इन वैज्ञानिकों ने 18 से 35 साल के 21 जवान जोड़ों पर यह स्टडी कर अपने नतीजे निकाले। इस स्टडी के दौरान इन जोड़ों से सेक्स क्रिया से संबंधित सवाल पूछे गए। इन सवालों में मुख्यत: थे
-आप सेक्स के बाद कितना थका हुआ महसूस करते हैं?
-आप सेक्स क्रिया में अपना कितना योगदान देते हैं?
-आप सेक्स क्रिया में कितना आनंद प्राप्त करते हैं?
इस से पहले इन सभी जोड़ों को ट्रेडमिल पर भी दौड़ाया गया ताकि यह पता किया जा सके कि उन्होने इसमें कितनी कैलोरी बर्न की है। इसके बाद इन नतीजों को सेक्स में कैलोरी बर्न के नतीजों से तुलना कर ये निष्कर्श निकाले गए।
सेक्स करने के दौरान सभी जोड़ों के हाथों पर एक बैण्ड भी बांधा गया जो सारी रीडिंग नोट कर रहा था।
इस सारी प्रक्रिया की एक और सबसे रोचक बात यह रही कि इस दौरान जोड़ों के बीच हुए सेक्स सैशन में से सबसे लम्बा सैशन 57 मिनट का रहा वहीं सबसे छोटा सैशन 10 मिनट ही चल पाया।
इस स्टडी को करने वाले कनाडा के वैज्ञानिकों ने अब यह साबित कर दिया है कि सेक्स करना एक्सरसाइज करने से ज्यादा अच्छा है। इन वैज्ञानिकों के अनुसार एक इंसान सेक्स करने के दौरान जितनी "कैलोरी" खर्च करता है वह उसके "वॉक" के दौरान खर्च हुई "कैलोरी" से कहीं ज्यादा होती है।
इस निष्कर्श से यह सामने आया कि जहां 24.7 मिनट की एक सेक्स क्रिया के दौरान एक जवान आदमी 4.2 कैलोरी प्रति मिनट के हिसाब से 104 कैलोरीज खर्च करता है वहीं एक जवान औरत 3.1 कैलोरी प्रति मिनट की दर से 69 कैलोरीज खर्च करती है।
इसलिए इस स्टडी ने "सेक्स" को "वॉक" से बेहतर करार दिया गया है। हालांकि इस में यह बात भी सामने आई कि जागिंग में सेक्स से ज्यादा कैलोरीज खर्च होती है।
मॉन्ट्रियल की युनिवर्सीटी ऑफ क्यूबेक के इन वैज्ञानिकों ने 18 से 35 साल के 21 जवान जोड़ों पर यह स्टडी कर अपने नतीजे निकाले। इस स्टडी के दौरान इन जोड़ों से सेक्स क्रिया से संबंधित सवाल पूछे गए। इन सवालों में मुख्यत: थे
-आप सेक्स के बाद कितना थका हुआ महसूस करते हैं?
-आप सेक्स क्रिया में अपना कितना योगदान देते हैं?
-आप सेक्स क्रिया में कितना आनंद प्राप्त करते हैं?
इस से पहले इन सभी जोड़ों को ट्रेडमिल पर भी दौड़ाया गया ताकि यह पता किया जा सके कि उन्होने इसमें कितनी कैलोरी बर्न की है। इसके बाद इन नतीजों को सेक्स में कैलोरी बर्न के नतीजों से तुलना कर ये निष्कर्श निकाले गए।
सेक्स करने के दौरान सभी जोड़ों के हाथों पर एक बैण्ड भी बांधा गया जो सारी रीडिंग नोट कर रहा था।
इस सारी प्रक्रिया की एक और सबसे रोचक बात यह रही कि इस दौरान जोड़ों के बीच हुए सेक्स सैशन में से सबसे लम्बा सैशन 57 मिनट का रहा वहीं सबसे छोटा सैशन 10 मिनट ही चल पाया।
सुन्दर प्रस्तुति।
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प्रकाशोत्सव के महापर्व दीपादली की हार्दिक शुभकानाएँ।