षड्यंत्र रचना राजनीती का पहला गुण होता है ! कई लोग इसे अवगुण भी मानते हैं , अवगुण मानने वाले लोग सीधे-साधे होते हैं जो कभी सत्ता सुख नहीं भोग पाते लेकिन सत्ता के आस-पास मंडराते रहते हैं ! चतुर राजनीतिज्ञ ऐसे लोगों को मौखिक रूप से मान - सन्मान देकर प्रसन्न रखते हैं और अपना " लक्ष्य " प्राप्त कर लेते हैं जबकि राजनीती से अनजान लोग इनसे जिद्द कर अपनी सत्ता गवां बैठते हैं !! जैसेकि पहले जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी के नेता लोग ! इसका स्प्ष्ट उदाहरण हैं !
षड्यंत्र रचने का इतिहास वैसे तो बहुत पुराना है लेकिन अंग्रेज़ इस काम में ज्यादा माहिर माने जाते हैं ! अब क्योंकि कोंग्रेस पार्टी और अन्य सेकुलर पार्टियों के नेता अग्रेज़ों कि " रीतियों-नीतियों " पर ही चलती हैं तो सव्भाविक रूप से षड्यंत्र रचने में भी ये लोग बड़े माहिर हो गए हैं !! अब क्योंकि इन राजनितिक दलों के ज्यादातर नेता कई प्रकार के षड्यंत्रों द्वारा घोटाले कर क़ानून के फंदे में फंस चुके हैं , अब चुनावों के समय में कोंग्रेस पार्टी को उन सब नेताओं कि सख्त जरूरत है तो मेरा ऐसा मानना है कि इन्ही लोगों ने एक नया षड्यंत्र रचकर , से गवाहाटी हाईकोर्ट में एक अपील दायर करवायी , फिर ऐसा फैसला करवाया गया कि देश कि C.B.I.की पैदाईश ही गलत है और फिर इन्ही लोगों ने अपने नेताओं से सुप्रीमकोर्ट में पटीशन फाईल करवायी कि हमारे केस वापिस लिए जाएँ !!
इनकी ये चोरी आम आदमी भी बड़ी आसानी से समझ सकता है कि मिडिया को इस निर्णय की जानकारी बाद में मिलती है और विभिन्न फंसे नेताओं को पहले पता लग जाता है कि कोई ऐसा निर्णय हुआ है चलो जल्दी से अपनी पटीशन फाईल करदो !! हद हो गयी हेरा फेरी की ????
अब आते हैं उस सम्भावना पर जो नामुमकिन सी लगती है ! यानि जैसा देश को दिखाया जा रहा है !! इस देश के क्या पक्षी क्या विपक्षी ,सभी नेता क्या इतने बेवकूफ हैं कि इनको पता ही नहीं कि देश में एक विभाग बिना अनुमति के चल रहा है ??? अगर ऐसा सम्भव नहीं है तो क्या फिर सभी पार्टियों के नेताओं ने देश कि जनता को बेवकूफ बनाते रहने हेतु C.B.I. का गठन कर रख्खा था ?? या उस समय के हमारे कोंग्रेस्सी नेताओं ने ही षड्यंत्र रच कर इस कार्य को अधूरा रख छोड़ा था ??
वैसे तो सरकारों को ये भी नहीं पता कि " राष्ट्रपिता , शहीदों की उपाधियों " को कब बांटा गया ?? राष्ट्र पक्षी , राष्ट्र भाषा और राष्ट्रीय पशु कब घोषित किये गए ??? चुनावआयोग ने कब किसी नेता को आचार संहिता के उलंघन करने पर दण्ड दिलाया ??? ऐसे भी कई उदाहरण हमें मिल जायेंगे जब सरकार न्यायालय में अपना " मुंह ताकती " दिखायी पड़ी हो !!
बड़ी ही शर्म से भरी ये घटना है !! हम सभी नेताओं से इस गलती हेतु त्यागपत्र मांगते हैं और सभी जजों से ये मांग करते हैं कि वो सरकार के सभी निर्णयों की बड़ी बारीकी से जांच करे ताकि कोई और ऐसी गलती कंही छिपी हुई ना पड़ी हो जो बाद में देश वासियों को दुःख प्रदान करे !!
" दुर्र -- फिट्टे - मुंह " सभी नेताओं के !!
षड्यंत्र रचने का इतिहास वैसे तो बहुत पुराना है लेकिन अंग्रेज़ इस काम में ज्यादा माहिर माने जाते हैं ! अब क्योंकि कोंग्रेस पार्टी और अन्य सेकुलर पार्टियों के नेता अग्रेज़ों कि " रीतियों-नीतियों " पर ही चलती हैं तो सव्भाविक रूप से षड्यंत्र रचने में भी ये लोग बड़े माहिर हो गए हैं !! अब क्योंकि इन राजनितिक दलों के ज्यादातर नेता कई प्रकार के षड्यंत्रों द्वारा घोटाले कर क़ानून के फंदे में फंस चुके हैं , अब चुनावों के समय में कोंग्रेस पार्टी को उन सब नेताओं कि सख्त जरूरत है तो मेरा ऐसा मानना है कि इन्ही लोगों ने एक नया षड्यंत्र रचकर , से गवाहाटी हाईकोर्ट में एक अपील दायर करवायी , फिर ऐसा फैसला करवाया गया कि देश कि C.B.I.की पैदाईश ही गलत है और फिर इन्ही लोगों ने अपने नेताओं से सुप्रीमकोर्ट में पटीशन फाईल करवायी कि हमारे केस वापिस लिए जाएँ !!
इनकी ये चोरी आम आदमी भी बड़ी आसानी से समझ सकता है कि मिडिया को इस निर्णय की जानकारी बाद में मिलती है और विभिन्न फंसे नेताओं को पहले पता लग जाता है कि कोई ऐसा निर्णय हुआ है चलो जल्दी से अपनी पटीशन फाईल करदो !! हद हो गयी हेरा फेरी की ????
अब आते हैं उस सम्भावना पर जो नामुमकिन सी लगती है ! यानि जैसा देश को दिखाया जा रहा है !! इस देश के क्या पक्षी क्या विपक्षी ,सभी नेता क्या इतने बेवकूफ हैं कि इनको पता ही नहीं कि देश में एक विभाग बिना अनुमति के चल रहा है ??? अगर ऐसा सम्भव नहीं है तो क्या फिर सभी पार्टियों के नेताओं ने देश कि जनता को बेवकूफ बनाते रहने हेतु C.B.I. का गठन कर रख्खा था ?? या उस समय के हमारे कोंग्रेस्सी नेताओं ने ही षड्यंत्र रच कर इस कार्य को अधूरा रख छोड़ा था ??
वैसे तो सरकारों को ये भी नहीं पता कि " राष्ट्रपिता , शहीदों की उपाधियों " को कब बांटा गया ?? राष्ट्र पक्षी , राष्ट्र भाषा और राष्ट्रीय पशु कब घोषित किये गए ??? चुनावआयोग ने कब किसी नेता को आचार संहिता के उलंघन करने पर दण्ड दिलाया ??? ऐसे भी कई उदाहरण हमें मिल जायेंगे जब सरकार न्यायालय में अपना " मुंह ताकती " दिखायी पड़ी हो !!
बड़ी ही शर्म से भरी ये घटना है !! हम सभी नेताओं से इस गलती हेतु त्यागपत्र मांगते हैं और सभी जजों से ये मांग करते हैं कि वो सरकार के सभी निर्णयों की बड़ी बारीकी से जांच करे ताकि कोई और ऐसी गलती कंही छिपी हुई ना पड़ी हो जो बाद में देश वासियों को दुःख प्रदान करे !!
" दुर्र -- फिट्टे - मुंह " सभी नेताओं के !!
सी वी आई मामला, दे ऊपर अब भेज |
ReplyDeleteअब तक सत्ता ने रखा, हरदम जिसे सहेज |
हरदम जिसे सहेज, हमेशा डंडा थामे |
शत्रु दिखा जो तेज, केस कर उसके नामे |
कह रविकर कविराय, निराशा चहुँदिश छाई ||
भोथर होती धार, करे क्या सी बी आई ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
क्या बात है...
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