Thursday, June 18, 2015

राजनीती-कूटनीति भारत की दिल्ली में , क्रिकेट की दलदल सहित साभार मनीष जी एवं गगन जी से !

दूध का दूध और पानी का पानी ! आप भी पढ़िए और फिर समझिए मीडिया एवं  नेताओं की "सर्कस" का खेल !
1. पहली बात ललित मोदी न अपराधी हैं और न ही भगोड़ा |

2. ललित मोदी पर मनीलांड्रिंग का चार्ज प्रचारित किया जा रहा है | दरअसल मनिलांड्रिंग का चार्ज केवल ललित मोदी पर नहीं, बल्कि पूरे बीसीसीआई पर है |

3. दक्षिण अफ्रीका में आईपीएल ले जाने समय बिना रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया से आदेश लिए, दक्षिण अफ्रीका में बैंक एकाउंट खोला गया था, जिसमें सारे पैसे जमा कराए गए थे | इसमें पूरा बीसीसीआई एक्‍जक्‍यूटिव कमेटी शामिल है | इसके लिए तत्‍कालीन बीसीसीआई अध्‍यक्ष, कोषाध्‍यक्ष, महासचिव या जो भी पदाधिकारी हैं, वह सभी समान रूप से शामिल हैं | शरद पवार, श्रीनिवासन, अरुण जेटली, शशांक मनोहर, राजीव शुक्‍ला- यानि इसमें से जो भी पदाधिकारी उस वक्‍त थे, उन सभी पर मनी लॉंडिंग का केस दर्ज होना चाहिए था |

4. तो प्रश्न उठाता है कि केवल ललित मोदी का नाम क्‍यों समाने आया | दरअसल ललित मोदी ने कोच्चि टीम में तत्‍कालीनन यूपीए के मंत्री शशि थरूर के शेयर की जानकारी सार्वजनकि कर दी थी | और यह आप जानते हैं कि यदि आपने इस देश के राजनीतिक वर्ग (Political Class) पर हमला किया तो सभी मिलकर आपके दुश्‍मन हो जाएंगे | इस मामले में भी यही हुआ | पूरे बीसीसीआई की जगह ललित मोदी का मीडिया ट्रायल किया गया | इसके लिए उस समय संसद से लेकर मीडिया तक का उपयोग किया गया | तब भी टाइम्‍स नाउ को ही टूल बनाया गया था |

5. शशि थरूर मामले के बाद ललित मोदी ने जब देखा कि बीसीसीआई उसे बली का बकरा बना रही है तो वह लंदन के लिए निकल गया | उस वक्‍त बीसीसीआई में एनसीपी से शरद पवार, भाजपा से अरुण जेटली, कांग्रेस से शशि थरूर व राजीव शुक्‍ला और बिजनस लॉबी से श्रीनिवास का एक साथ सामना करना ललित मोदी को संभव नहीं लगा और उसने देश छोडना ही उचित समझा |

6. सभी दलों ने राहत की सांस ली, क्‍योंकि देश के अंदर ललित मोदी पर कार्रवाई का मतलब बीसीसीआई से जुडे सभी नेता अदालत में खड़े नजर आते | जैसे 2जी में सभी कारपोरेट मालिक सुप्रीम कोर्ट में खड़े नजर आए थे | ललित मोदी ने लंदन भाग कर इन राजनीतिज्ञों की राह आसान कर दी थी |

7. यूपीए सरकार ने इन नेताओं को बचाने के लिए वर्ष 2010 में ब्रिटिश सरकार को यह पत्र लिखा कि हम ललित मोदी को भारत प्रत्‍यारोपित नहीं करना चाहते | ('Manmohan Singh Cabinet Decided Not To Seek Lalit Modi's Extradition'http://www.outlookindia.com/article/manmohan-singh-cabinet-decided-not-to-seek-lalit-modis-extradition/294593) अर्थात आज जो चिदंबरम ने पत्रकार वार्ता कर कहा है कि एनडीए की सरकार ललित मोदी को भारत क्‍यों नहीं लाती, वह चिदंबरम की तत्‍कालीन यूपीए सरकार की ही देन है | यूपीए सरकार ने ब्रिटिश सरकार को को लिखित रूप में यह कहा था कि हम ललित मोदी को भारत नहीं लाना चाहते हैं | आप समझ जाइए कि सभी दल के नेताओं ने अपने बचाव के लिए ललित मोदी को भारत में आने से खुद ही रोका था |

8. ललित मोदी खुद से ही कहीं भारत न आ जाए, इसलिए उसका पासपोर्ट 2011 में यूपीए सरकार ने रदद किया | ललित मोदी ने इसे उच्‍च न्‍यायालय में चुनौती दी और वह वहां से जीत गया और उसका पासपोर्ट बहाल हो गया | मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा ने अदालत में सम्मिट अपनी रिपोर्ट में कहा कि ललित मोदी के खिलाफ कोई जांच नहीं बनता है | इसलिए आज जो चिदंबरम कह रहे हैं कि मोदी सरकार ने उच्‍च न्‍यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती क्‍यों नहीं दी तो उसका कारण मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा की वह रिपोर्ट है, जो उच्‍च न्‍यायालय में जमा है | सुप्रीम कोर्ट में जाने पर भी यह केस नहीं टिकेगा |

9. यूपीए सरकार ललित मोदी के भारत आने से इतनी डरी हुई थी कि उसने ब्रिटेन सरकार को लिखित में दिया कि ललित मोदी को यात्रा के लिए ट्रेवल वीजा न दिया जाए, अन्‍यथा इससे दोनों देशों पर असर पड़ेगा |

10. दिवंगत व उच्चतम न्यायालय के पूर्व  न्यायाधीश उमेश सी बनर्जी ने ललित मोदी के ब्रिटेन में रहने को इस आधार पर सही बताया था कि वो तत्कालीन सरकार (यूपीए सरकार) के कहने पर भारतीय प्रशासन के राजनीतिक शि‍कार बने हैं | उन्‍होंने यह भी कहा था कि इसमें बीसीसीआई का भी हाथ है | न्यायाधीश बनर्जी ने यह भी कहा था कि मोदी भारत में सुरक्ष‍ित नहीं हैं क्योंकि उन्हें दाऊद इब्राहिम से कई धमकियां मिल चुकी हैं, जिसे नजरअंदाज करके तत्कालीन यूपीए सरकार के वक्त गलत तरीके से उनसे पुलिस सुरक्षा वापस ले ली गई थी | बनर्जी उच्चतम न्यायालय से पहले आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशरह चुके थे | (http://aajtak.intoday.in/story/former-supreme-court-judge-umesh-c-banerjee-helped-lalit-modi--1-818022.html)

11. इंटरपोल द्वारा ललित के खिलाफ ब्‍लूकॉनर्र नोटिस जारी होने की बात भी गलत है | चीख चीख कर एक्‍सपोज और ब्रेकिंग न्‍यूज चलाने वाले चैनलों ने एक भी ऐसा दस्‍तावेज नहीं दिखाया है जिसमें ललित मोदी भगोड़ा घोषित हो या फिर उस पर मनी लांड्रिंग का अभियोग दर्ज हो | चैनल केवल सुषमा स्‍वराज के मेल, वसुंधरा की चिटठी आदि को ही दिखा रहे है, जिनका मकसद केवल सुषमा की छवि को खराब करना और मोदी सरकार को भ्रष्‍टाचारी दिखाने की कोशिश करना है |

12. जब कोई अपराधी ही नहीं है और अभियुक्‍त में भी एकल उसका नाम नहीं है तो फिर विदेश मंत्री या किसी राज्‍य का मुख्‍यमंत्री उससे क्‍यों नहीं मिल सकता है ? वास्‍तव में अभियुक्‍त तो पूरा बीसीसीआई व उसके पदाधिकारी है और वे लोग बडे आराम से देश के अंदर क्रिकेट श्रृंखला भी करा रहे हैं और संसद के अंदर भी मौजूद हैं | ललित मोदी के बाद आईपीएल सट्टा तिकड़म का पर्दाफाश हुआ, जिसमें धोनी व श्रीनिवास से लेकर सभी बीसीसीआई में शामिल नेताओं के नाम सामने आए, लेकिन सभी देश में ही हैं और किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही बीसीसीआई ही बैन हुई है |

13. अब प्रश्न उठता है कि नरेंद्र मोदी सरकार इस सच्‍चाई से वाकिफ होते हुए भी कांग्रेस नेता चिदंबरम या सुरजेवाला या आम आदमी पार्टी या मीडिया द्वारा परोसी जा रही झूठ का सही जवाब क्‍यों नहीं दे रही है | तो उसकी बडी वजह यह है कि इस झूठ का पर्दाफाश करने में बीसीसीआई में शामिल भाजपा नेता अरुण जेटली, अनुराग ठाकुर सभी झुलस जाएंगे | इसलिए भाजपा या मोदी सरकार इस समाचार के दबने तक वेट एंड वॉच की पॉलिसी अपनाए हुए है | और ईडी जानबूझ कर ललित मोदी को लंबे चौडे नोटिस, इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भेजने की समाचार प्रचारित करवा रही है और दिखावे के लिए शायद भेज भी दे, लेकिन यह टिकेगा नहीं | लेकिन तत्‍काल यह हो जाएगा कि मीडिया से लेकर सरकार तक को चेहरा बचाने का मौका मिल जाएगा |

14. सच कहूँ तो सुषमा नहीं तो जेटली, यही खेल है, जिसमे मोदी सरकार बुरी तरह से उलझ गई है | और कांग्रेस झूठ बोल बोल कर इसी का फायदा उठा कर जनता को गुमराह कर रही है |

15. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह गुजरात से आए हैं और एक वर्ष होने के बावजूद दिल्‍ली की राजनीति के उस चरित्र को शायद ठीक से नहीं समझ पाएं हैं, जिसे आम भाषा में 'पोलिटिकल नेक्‍सस', राममनोहर लोहिया की भाषा में 'नगरवधु' और संघ प्रमुख मोहन भागवत की भाषा में 'चौकड़ी' कहा गया है |

16. सुषमा विवाद भाजपा के अंदरूनी कलह का नतीजा है, यह अब पूरी तरह से साबित होता जा रहा है | इसे आडवाणी जी ने भी अपने दर्द में बयां कर दिया है | उन्‍हें उम्‍मीद हो चला है कि जो चाल वह शिवराज सिंह चौहान और सुषमा स्‍वराज के जरिए नरेंद्र मोदी के विरुद्ध खेला करते थे, वह अब नहीं खेल पाएंगे | शिवराज जी का नाम व्‍यापम घोटाले में और सुषमा जी का नाम #ललितमोदीकांडमें आने के बाद इनके दोनों परम शिष्‍य मोदी को चुनौती देने की स्थिति में अब नहीं रहे हैं | दुखी आडवाणी जी को एकाएक इमरजेंसी की याद आ गई है |
केंद्र में भाजपा की ही सरकार है और पिछले ग्यारह वर्ष से कांग्रेस के पक्ष में लगातार बैटिंग करने वाले इंडियन एक्‍सप्रेस को आडवाणी जी यह साक्षात्‍कार दे रहे हैं कि देश में आपातकाल जैसे हालात बन गए हैं | जबकि दस वर्ष के सोनिया गांधी के शासन में प्रधानमंत्री व राष्‍ट्रपति जैसी संवैधानिक संस्‍था गौण हो चुकी थी और एनएसी के रूप में विदेशी फंडेड एनजीओ सरकार चला रहे थे, तब इन्‍हीं आडवाणी जी को लोकतंत्र फलता-फूलता नजर आ रहा था |
आडवाणी जी के अनुसार, आपातकाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है | लोकतंत्र विरोधी ताकतें मजबूत हैं | उन्होंने कहा, 'संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा-तंत्र के बावजूद, मौजूदा समय में लोकतंत्र को कुचलने वाली ताकतें मजबूत हैं |' आडवाणी जी की वाणी कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाए जा रहे आरोप से मेल खा रही है |

17. एक प्रश्न यह भी है कि नरेंद्र मोदी अरुण जेटली को बर्दाश्‍त क्‍यों कर रहे हैं जबकि अरुण शौरी, जेठमलानी, सुब्रहमनियन स्‍वामी से लेकर जनता तक उनको लेकर सवाल उठा रही है | हाँ, केवल मीडिया ने इस पर कभी प्रश्न नहीं उठाया है |

18. तो गुजरात के अपने करीब तेरह वर्ष के मुख्‍यमंत्रित्‍व काल में नरेंद्र मोदी के लिए दिल्‍ली की मंडली में व भाजपा के अंदर केवल अरुण जेटली ही थे, जिन्‍होंने उनके पक्ष में कानून से लेकर संसद और पार्टी के अंदर तक लड़ाई लड़ी है | अन्‍यथा कांग्रेस, सीबीआई व अदालत के साथ-साथ आडवाणी, सुषमा, अनंत कुमार आदि मोदी को कबका निबटा देते | मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित होते वक्‍त आप देख चुके हैं कि कांग्रेस-सीबीआई-अदालत-अन्‍य विपक्षी दलों के नेताओं से लेकर भाजपा की दिल्‍ली चौकड़ी- सभी एक सुर में मोदी विरोध में लगे थे |

19. मेरा निष्‍कर्ष :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुषमा स्‍वराज और अरुण जेटली दोनों को मंत्रीमंडल से बाहर करें और वसुंधरा राजे से भी मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा लें | वसुंधरा का तो पूरा प्रकरण भ्रष्‍टाचार की कहानी कह रहा है | ललित मोदी की पत्‍नी को खुद पुर्तगाल ले जाना, पुर्तगाल के उस अस्‍पताल को जयपुर में जमीन देना और उनके बेटे की कंपनी में ललित मोदी का पैसा- वसुंधरा राजे को तत्‍काल इस्‍तीफा देना चाहिए |
दूसरी तरफ मैं अरुण जेटली के बारे में इसलिए कह रहा हूँ कि वह या तो बीसीसीआई की राजनीति करें या देश की, इनमें से कोई एक उन्‍हें चुनने के लिए कहना ही चाहिए | बीसीसीआई एक भ्रष्‍ट और जुआरियों की संस्‍था हो चुकी है, जहाँ खिलाड़ी घोड़े की तरह खरीदे-बेचे और उन पर बैट लगाए जाते हैं | वहां कोई ईमानदार होगा, यह मूर्खों व भ्रष्‍टों के अलावा शायद ही कोई सोच सकता है | अरुण जेटली के बारे में जनता में यह परसेप्‍शन भी बनता जा रहा है कि मोदी सरकार के अंदर की सारी लिकेज टाइम्‍स नाउ के अर्णव गोस्‍वामी व नविका कुमार के जरिए वही करा रहे हैं | यह धारणाएं (Perceptions) है, सच्‍चाई मुझे पता नहीं |
लेकिन याद रखिए, सरकार हनक से चलती है और ललित-सुषमा-वसुंधरा विवाद के कारण मोदी सरकार पहली बार अपनी हनक खोती हुई प्रतीत हो रही है | कई घोटाले अदालत में साबित नहीं होते, लेकिन जनता में बने धारणाएं के कारण सरकार पांच वर्ष में जनता की न्यायालय में हार जाती है | यही इस देश की राजनीति का सच है | इतिहास उठाकर देख लीजिए. . .

मनीष जी !! से साभार !
                                       

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