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मोदी जी कि चेन्नई में दी गयी ऐतिहासिक Speech के कुछ अंश -
मोदी जी कि चेन्नई में दी गयी ऐतिहासिक Speech के कुछ अंश -
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मुझे आज तक इस सेकुलरिस्म शब्द का अर्थ समझ में नहीं आया क्योंकि इसका डिक्शनरी में जो अर्थ दिया गया है वो बिलकुल अलग है उससे जो कि हमारे देश में लागू किया जाता है , एक जमाना था जब हमारे देश में लोग सेकुलरिस्म के बारे में बोलते थे तो उनका मतलब होता था कि अगर आप सभी धर्मों के प्रति समान भाव और सम्मान का भाव रखते हैं तो आप सेकुलर हैं ,
धीरे-२ देश में इसका रंग बदला गया कुछ स्वार्थी तत्वों के द्वारा , धीरे-२ सेकुलरिस्म का मतलब होना शुरू हुआ कि अगर आप मुसलमानों के पक्ष में बोलते हो ,हर बात में उनका बचाव करते हो ,उनकी तरफदारी करते हो चाहे बात गलत ही क्यों ना हो तो आप सेकुलर हो
उसके बाद धीरे-२ इसका रंग फिर बदला और सेकुलरिस्म का मतलब हो गया मुसलमानों का तुष्टिकरण करना ,अगर आप उन्हें बराबरी का नहीं बल्कि दुसरे से ज्यादा महत्व देते हो तो आप सेकुलर हो
उसके बाद फिर इसका रंग बदला और आज इसका मतलब हो गया है हिंदू धर्म से नफरत करना , अगर आप हिंदू होकर भी हिंदू धर्म कि बुराई करते हो ,उसे कमजोर करते हो तो आप सेकुलर हो
हर 5 साल में इसका मतलब बदलता है साहब ,तो इसलिए मैंने सोचा कि मुझे भी इसका अर्थ बदलना चाहिए और इसीलिए मैं जिस सेकुलरिस्म में यकीन रखता हूँ वो है इंडिया फर्स्ट और मेरा साफ़ मानना है कि देश में सच्चे सेकुलरिस्म कि नींव अगर रखनी है तो उसका एकमात्र मंत्र है विकास
मैं हैरान हूँ कि जब हमारे देश का प्रधानमंत्री ओन रिकोर्ड ये कहता है कि देश कि संपत्ति और संसाधनों पे पहला हक मुसलमानों का है तो उस पर कोई हो-हल्ला नहीं किया जाता ,मैं उस मीटिंग में मौजूद था जिसमें प्रधानमंत्री ने ये ब्यान दिया था और मैंने अकेले खड़े होकर उनके इस ब्यान का विरोध किया था और कहा था कि प्रधानमंत्री जी आप ऐसा गैर-जिम्मेदाराना ब्यान कैसे दे सकते हैं ,क्या आप ये नहीं कह सकते थे कि देश कि सम्पति और संसाधनों पर पहला हक देश के गरीब से गरीब व्यक्ति का है चाहे वो किसी भी जाती या धर्म का क्यों ना हो ,
आज ये सेकुलरिस्म के ठेकदार मजहबी बजट तक तैयार कर रहे हैं ,ऐसे ठेकेदारों को मैं कहना चाहता हूँ कि तुम किस मुंह से सेकुलरिस्म कि बात करते हो भाई ??, तुम्हारे जैसों को कोई हक ही नहीं बनता सेकुलरिस्म कि बात करने का
जब मैंने गुजरात में कन्या शिक्षा अभियान चलाया तो उसका फायदा किसको मिला ?? उसका फायदा गरीब से गरीब कन्या को मिला चाहे वो किसी भी जाती या धर्म कि क्यों ना हो
और इस सबके बावजूद भी उल्टा मेरे बारे में कहते रहते हैं कि मोदी साम्प्रदायिक है ,मोदी साम्प्रदायिक है ,अरे !! क्या तुम्हें साम्प्रदायिक होने का मतलब भी मालुम है , क्या आतंकवाद के विरुद्ध बोलना साम्प्रदायिक होना है ??, अगर आतंकवाद के विरुद्ध बोलना साम्प्रदायिकता है तो ठीक है मैं हूँ साम्प्रदायिक और मैं रहूँगा साम्प्रदायिक और इसके लिए मुझे जो भी कीमत चुकानी पडेगी मैं तैयार हूँ ''
- नरेंद्र मोदी
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मुझे आज तक इस सेकुलरिस्म शब्द का अर्थ समझ में नहीं आया क्योंकि इसका डिक्शनरी में जो अर्थ दिया गया है वो बिलकुल अलग है उससे जो कि हमारे देश में लागू किया जाता है , एक जमाना था जब हमारे देश में लोग सेकुलरिस्म के बारे में बोलते थे तो उनका मतलब होता था कि अगर आप सभी धर्मों के प्रति समान भाव और सम्मान का भाव रखते हैं तो आप सेकुलर हैं ,
धीरे-२ देश में इसका रंग बदला गया कुछ स्वार्थी तत्वों के द्वारा , धीरे-२ सेकुलरिस्म का मतलब होना शुरू हुआ कि अगर आप मुसलमानों के पक्ष में बोलते हो ,हर बात में उनका बचाव करते हो ,उनकी तरफदारी करते हो चाहे बात गलत ही क्यों ना हो तो आप सेकुलर हो
उसके बाद धीरे-२ इसका रंग फिर बदला और सेकुलरिस्म का मतलब हो गया मुसलमानों का तुष्टिकरण करना ,अगर आप उन्हें बराबरी का नहीं बल्कि दुसरे से ज्यादा महत्व देते हो तो आप सेकुलर हो
उसके बाद फिर इसका रंग बदला और आज इसका मतलब हो गया है हिंदू धर्म से नफरत करना , अगर आप हिंदू होकर भी हिंदू धर्म कि बुराई करते हो ,उसे कमजोर करते हो तो आप सेकुलर हो
हर 5 साल में इसका मतलब बदलता है साहब ,तो इसलिए मैंने सोचा कि मुझे भी इसका अर्थ बदलना चाहिए और इसीलिए मैं जिस सेकुलरिस्म में यकीन रखता हूँ वो है इंडिया फर्स्ट और मेरा साफ़ मानना है कि देश में सच्चे सेकुलरिस्म कि नींव अगर रखनी है तो उसका एकमात्र मंत्र है विकास
मैं हैरान हूँ कि जब हमारे देश का प्रधानमंत्री ओन रिकोर्ड ये कहता है कि देश कि संपत्ति और संसाधनों पे पहला हक मुसलमानों का है तो उस पर कोई हो-हल्ला नहीं किया जाता ,मैं उस मीटिंग में मौजूद था जिसमें प्रधानमंत्री ने ये ब्यान दिया था और मैंने अकेले खड़े होकर उनके इस ब्यान का विरोध किया था और कहा था कि प्रधानमंत्री जी आप ऐसा गैर-जिम्मेदाराना ब्यान कैसे दे सकते हैं ,क्या आप ये नहीं कह सकते थे कि देश कि सम्पति और संसाधनों पर पहला हक देश के गरीब से गरीब व्यक्ति का है चाहे वो किसी भी जाती या धर्म का क्यों ना हो ,
आज ये सेकुलरिस्म के ठेकदार मजहबी बजट तक तैयार कर रहे हैं ,ऐसे ठेकेदारों को मैं कहना चाहता हूँ कि तुम किस मुंह से सेकुलरिस्म कि बात करते हो भाई ??, तुम्हारे जैसों को कोई हक ही नहीं बनता सेकुलरिस्म कि बात करने का
जब मैंने गुजरात में कन्या शिक्षा अभियान चलाया तो उसका फायदा किसको मिला ?? उसका फायदा गरीब से गरीब कन्या को मिला चाहे वो किसी भी जाती या धर्म कि क्यों ना हो
और इस सबके बावजूद भी उल्टा मेरे बारे में कहते रहते हैं कि मोदी साम्प्रदायिक है ,मोदी साम्प्रदायिक है ,अरे !! क्या तुम्हें साम्प्रदायिक होने का मतलब भी मालुम है , क्या आतंकवाद के विरुद्ध बोलना साम्प्रदायिक होना है ??, अगर आतंकवाद के विरुद्ध बोलना साम्प्रदायिकता है तो ठीक है मैं हूँ साम्प्रदायिक और मैं रहूँगा साम्प्रदायिक और इसके लिए मुझे जो भी कीमत चुकानी पडेगी मैं तैयार हूँ ''
- नरेंद्र मोदी
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