किसी न किसी गैंग के सदस्य रह चुके मेरे सभी आदरनीय मित्रों को मेरा सादर " गंगाष्टक " प्रणाम !!
जब हम पैदा हुए तो हमें उस गैंग ने घेर रख्खा था जिन्हें लोग परिवार कहते हैं !!थोडा बड़े हुए तो गली के गैंग ने मुझे अपना सदस्य बना लिया , जिन्हें कई लोग " बाल - टोली कहते थे !! जब हम " टीन " एज में पंहुचे तो हम उस गैंग के सदस्य बने जिन्हें हम " मस्तों का टोला " कहकर बुलाते थे !! इस गैंग में कभी " भगत सिंह - राजगुरु और सहदेव " जैसे देश भक्त सदस्य हुआ करते थे !! फिर हमारे माता -पिता ने सभी गैंग की सदस्यता रद्द करवादी और हमें शादीशुदा नामक गैंग में शामिल कर दिया !! इस गंग में शामिल होने के बाद थोड़े समय तलक तो हमें गहरे आनंद की अनुभूति हुई जी , लेकिन बाद में " आटे - दाल के भाव " का पता चलने लगा !!
लेकिन हमने सभी गैंग के अन्दर रहकर भरपूर आनंद उठाया !! तभी मोबाईल और इटरनेट का जमाना आया , हम अधेड़ों ने इसमें भी जवानों को पीछे छोड़ दिया है !! मेरी इतनी महिला मित्र हैं जितनी किसी हैण्ड-सम युवाओं की भी नहीं होंगीं !!लेकिन सब शालीनता से बातें भी करते हैं , मज़ाक भी करते हैं और शेरो-शायरी भी करते हैं !! कभी-कभी हलके-हलके इश्क - मटक्के भी हो जाते हैं !! कोई बुरा भी नहीं मानता है क्योंकि उन्हें पता है की ये " कागज़ी " शेर और शेरनियां हैं !!
अब उम्र का अर्ध-शतक लगा लेने के पश्चात हम उस गैंग का सदस्य बनना चाहते हैं जिसे लोग सतसंगियों की टोली बोलते हैं !! लेकिन वंहा भी सभी धर्मों के ठेकेदारों ने अपने - अपने गैंग ही तो बना रख्खे हैं ! समाजसेवा कोई करना चाहे तो गैंग , राजनीती में किसी का मन हो काम करने का तो बिना किसी गैंग (पार्टी) का सदस्य बने बिना असम्भव है !! संसद में तो क़ानूनी गैंग बने हुए हैं बकायदा उनमे गैंग - वार भी होती है !!
इसलिए मेरा कहना है कि जब हमें किसी न किसी गैंग का सदस्य बनकर ही अपना जीवन व्यतीत करना है तो अच्छे गैंग के सदस्य बनकर ही जीवन गुजारें नाकि बुरे गैंग का सदस्य बनकर इज्ज़त-धन और मनुष्यता का हनन करते फिरें !! सभी वर्ग के लोग सोचें समझें और अपने संग-संग रहने वालों को भी अच्छे कार्य करते रहने को प्रेरित करें !! चोरी डाके और बलात्कार जैसे कुकृत्यों से हम जितना दूर रह सकें उतना ही अच्छा !! देश के दुश्मनों द्वारा हर जगह " गंद "तो हर जगह हिदुओं के लिए फैला ही रख्खा है जिसमे उनका साथ हमारे ही भाई-बन्धु दे रहे हैं !! भारत का दुर्भाग्य है ये !! " कुल्हाड़ी अकेली पेड़ तब तलक नहीं काट सकती जब तलक उसमे लकड़ी का " हथ्था " नहीं डलता !!
जय श्री राम !! हो गया काम !!
प्रिय बन्धुओ और प्यारी बांध्वियो !!
जब हम पैदा हुए तो हमें उस गैंग ने घेर रख्खा था जिन्हें लोग परिवार कहते हैं !!थोडा बड़े हुए तो गली के गैंग ने मुझे अपना सदस्य बना लिया , जिन्हें कई लोग " बाल - टोली कहते थे !! जब हम " टीन " एज में पंहुचे तो हम उस गैंग के सदस्य बने जिन्हें हम " मस्तों का टोला " कहकर बुलाते थे !! इस गैंग में कभी " भगत सिंह - राजगुरु और सहदेव " जैसे देश भक्त सदस्य हुआ करते थे !! फिर हमारे माता -पिता ने सभी गैंग की सदस्यता रद्द करवादी और हमें शादीशुदा नामक गैंग में शामिल कर दिया !! इस गंग में शामिल होने के बाद थोड़े समय तलक तो हमें गहरे आनंद की अनुभूति हुई जी , लेकिन बाद में " आटे - दाल के भाव " का पता चलने लगा !!
लेकिन हमने सभी गैंग के अन्दर रहकर भरपूर आनंद उठाया !! तभी मोबाईल और इटरनेट का जमाना आया , हम अधेड़ों ने इसमें भी जवानों को पीछे छोड़ दिया है !! मेरी इतनी महिला मित्र हैं जितनी किसी हैण्ड-सम युवाओं की भी नहीं होंगीं !!लेकिन सब शालीनता से बातें भी करते हैं , मज़ाक भी करते हैं और शेरो-शायरी भी करते हैं !! कभी-कभी हलके-हलके इश्क - मटक्के भी हो जाते हैं !! कोई बुरा भी नहीं मानता है क्योंकि उन्हें पता है की ये " कागज़ी " शेर और शेरनियां हैं !!
अब उम्र का अर्ध-शतक लगा लेने के पश्चात हम उस गैंग का सदस्य बनना चाहते हैं जिसे लोग सतसंगियों की टोली बोलते हैं !! लेकिन वंहा भी सभी धर्मों के ठेकेदारों ने अपने - अपने गैंग ही तो बना रख्खे हैं ! समाजसेवा कोई करना चाहे तो गैंग , राजनीती में किसी का मन हो काम करने का तो बिना किसी गैंग (पार्टी) का सदस्य बने बिना असम्भव है !! संसद में तो क़ानूनी गैंग बने हुए हैं बकायदा उनमे गैंग - वार भी होती है !!
इसलिए मेरा कहना है कि जब हमें किसी न किसी गैंग का सदस्य बनकर ही अपना जीवन व्यतीत करना है तो अच्छे गैंग के सदस्य बनकर ही जीवन गुजारें नाकि बुरे गैंग का सदस्य बनकर इज्ज़त-धन और मनुष्यता का हनन करते फिरें !! सभी वर्ग के लोग सोचें समझें और अपने संग-संग रहने वालों को भी अच्छे कार्य करते रहने को प्रेरित करें !! चोरी डाके और बलात्कार जैसे कुकृत्यों से हम जितना दूर रह सकें उतना ही अच्छा !! देश के दुश्मनों द्वारा हर जगह " गंद "तो हर जगह हिदुओं के लिए फैला ही रख्खा है जिसमे उनका साथ हमारे ही भाई-बन्धु दे रहे हैं !! भारत का दुर्भाग्य है ये !! " कुल्हाड़ी अकेली पेड़ तब तलक नहीं काट सकती जब तलक उसमे लकड़ी का " हथ्था " नहीं डलता !!
जय श्री राम !! हो गया काम !!
प्रिय बन्धुओ और प्यारी बांध्वियो !!
BAHUT SUNDAR ABHIVYAKTI
ReplyDeleteसमाज को आयना दिखाने वाला आलेख-------1
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबद