समाचार - माध्यमों से किसी भी प्रकार से जुड़े सभी मित्रों , आपको सादर नमन !!
समाचार को बनाने वाले, उसकी स्क्रिप्ट लिखने, उसको छापने या दिखाने वाले और उस " तैयार " किये गए " स्पाईसी - न्यूज़ " को पढने-देखने और झेलने वाले दीन-हीन भारतीयो !! जैसे जैसे कलयुग के बादल गहरा रहे हैं वैसे-वैसे भ्रष्टाचार का स्वरूप भी बड़ा होता जा रहा है !! कोई ज्यादा पुराणी बात नहीं है जब लोग कहा करते थे कि ये चंद काम हम नहीं करेंगे इनको करने से हमें श्रम आएगी या हमारे परिवार की शान चली जायेगी !! लेकिन आज देखिये ऐसा कोई काम नहीं बचा है जिसमे भ्रष्टाचार करने की गुन्जायिश ना हो !!
शिक्षा , चिकित्सा,पत्रकारिता और धार्मिक ज्ञान देने वाले जैसे चाँद कार्य ऐसे हैं जिनमे अगर भ्रष्टाचार करने का कोई समाचार पढने-देखने को मिलता है तो आज भी हैरानी होती है !! आज हम केवल पत्रकारिता के भ्रष्टाचार की ही बात करेंगे !!
जब से ये इलेक्ट्रोनिक - मिडिया आया है तबसे ख़बरों को " बनाने " का काम ज्यादा चल-निकला है !! मुझे याद हैं वो दिन जब किसी छोटे से मासिक-पाक्षिक या साप्ताहिक समाचार पत्र में अपनी काव्य रचना या कहानी प्रकाशित करवानी होती थी तो संपादक महोदय जो उस समाचार-पत्र के मालिक जी भी हुआ करते थे , कितने नखरों के बाद माना करते थे !! हमें बहुत ही बुरा लगा करता था ! बाद में हम मित्र लोग जब मिला करते थे तो उन महाशय की " वो " वाली बड़ी तारीफ़ किया करते थे ! जिसे सुन कर हमसे बड़े लेखक लोग हमें दन्त भी दिया करते थे !! पैसे देकर कोई रचना प्रकाशित करवाने का तो ना कभी हमने सोचा था और ना ही उन्होंने !!
लेकिन पांच साल पहले तलक ये सुनने में आने लगा कि फलाने पत्रकार ने पांच सौ रूपये लेकर ये समाचार छापा और फलाने मालिक ने पांच हज़ार रूपये लेकर वो लेख अपने अखबार में प्रकाशित करवाया !! इलेक्ट्रोनिक - मिडिया ने आते ही इस काम को नयी " ऊँचाइयों " तलक पंहुचा दिया !! अभी हाल में ही जिंदल साहिब ने " उल्टा " स्टिंग-ओपरेशन " कर डाला !! सजा ना तो जिंदल साहिब को होनी थी और नाही एक बड़े चेनेल ग्रुप के " माननीय " संपादकों को !! क्योंकि भारत का संविधान बना ही इसी प्रकार से है !! अगर आप पांच-दस लाख से कम की हेरा-फेरी करते हो तो पकडे भी जाओगे और सजा भी भुगतोगे , लेकिन अगर आपने यही काम करोड़ों में किया है तो आपका कुछ भी नहीं बिगड़ेगा !! पुलिस जी आपके घर आकर चाय-पानी पीकर कहेगी कि जी आप अपनी " अनुकूलतानुसार " पूछताछ हेतु आ जाना जी !!
अब आते हैं आज के विषय पर !! आजकल तो क्या प्रिंट और क्या इलेक्ट्रोनिक , बल्कि सोशियल मिडिया तलक पूरा षड्यंत्र रचकर, नेताओं और अफसरों के साथ मिल-बैठकर न केवल समाचार बनाते हैं बल्कि मन माफिक पेनेल बुलाकर उस विषय पर ऐसी बहस भी करवा दी जाती है कि लगे जैसे हमारी सरकार जो कर रही है वो बिलकुल सही कर रही है !! उग्रवादी जो कर रहे हैं , वो मजबूरी में कर रहे हैं !! उनके घरवाले बेचारे अब जीवन यापन कैसे करेंगे ?? आदि - आदि !! विषय - वास्तु अलग - अलग भी हो सकते हैं लेकिन प्रक्रिया काम करवाने की वोही रहती है कि बदले में अब पैसे के साथ-साथ सरकारी इनाम और पद भी देना होगा !! कई पत्रकार तो आजकल फिल्मों के प्रोड्यूसर भी बन गये हैं !!
जाने क्या होगा आगे कि अल्लाह जाने क्या होगा आगे ......!!! गीत वाले हालात हो गये हैं जनाब !! मुझे एक फिल्म का सीन याद आ रहा है जिसमे हमारी माननीय सांसद महोदय श्रीमती हेमामालिनी जी अपने धर्मेन्द्र जी को छोड़ कर श्रीमान प्रेम चोपड़ा जी के साथ एक बाग़ में एक रोमांटिक गीत गाते हैं और टेढ़ी नज़र से हेमाजी धरम जी को भी देखते हैं की वो भी देखकर " जल " रहे हैं !! गीत के बोल थे ..." कितना मज़ा आ रहा है , टायर नज़र चल रहे हैं , अरमाँ निकल रहे हैं , हो.s.s.s...!!
बिलकुल ऐसे ही हालात आज भारत की जनता के हैं लोकतंत्र के " पांच खंबे " ( जी हाँ आजकल तीन से पांच हो गए हैं ) , देश के दुश्मनों के साथ मिलकर षड्यंत्र रुपी " रोमांटिक-गीत " गा रहे हैं और जनता बेचारी देख कर जल-भुन रही है !! अब तो यही बोलना पड़ेगा .....
धर्म की जय हो !! अधर्म का नाश हो ! प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो !!
हर-हर-हर महादेव !!
प्रिय बन्धुओ और प्यारी बांध्वियो !!
समाचार को बनाने वाले, उसकी स्क्रिप्ट लिखने, उसको छापने या दिखाने वाले और उस " तैयार " किये गए " स्पाईसी - न्यूज़ " को पढने-देखने और झेलने वाले दीन-हीन भारतीयो !! जैसे जैसे कलयुग के बादल गहरा रहे हैं वैसे-वैसे भ्रष्टाचार का स्वरूप भी बड़ा होता जा रहा है !! कोई ज्यादा पुराणी बात नहीं है जब लोग कहा करते थे कि ये चंद काम हम नहीं करेंगे इनको करने से हमें श्रम आएगी या हमारे परिवार की शान चली जायेगी !! लेकिन आज देखिये ऐसा कोई काम नहीं बचा है जिसमे भ्रष्टाचार करने की गुन्जायिश ना हो !!
शिक्षा , चिकित्सा,पत्रकारिता और धार्मिक ज्ञान देने वाले जैसे चाँद कार्य ऐसे हैं जिनमे अगर भ्रष्टाचार करने का कोई समाचार पढने-देखने को मिलता है तो आज भी हैरानी होती है !! आज हम केवल पत्रकारिता के भ्रष्टाचार की ही बात करेंगे !!
जब से ये इलेक्ट्रोनिक - मिडिया आया है तबसे ख़बरों को " बनाने " का काम ज्यादा चल-निकला है !! मुझे याद हैं वो दिन जब किसी छोटे से मासिक-पाक्षिक या साप्ताहिक समाचार पत्र में अपनी काव्य रचना या कहानी प्रकाशित करवानी होती थी तो संपादक महोदय जो उस समाचार-पत्र के मालिक जी भी हुआ करते थे , कितने नखरों के बाद माना करते थे !! हमें बहुत ही बुरा लगा करता था ! बाद में हम मित्र लोग जब मिला करते थे तो उन महाशय की " वो " वाली बड़ी तारीफ़ किया करते थे ! जिसे सुन कर हमसे बड़े लेखक लोग हमें दन्त भी दिया करते थे !! पैसे देकर कोई रचना प्रकाशित करवाने का तो ना कभी हमने सोचा था और ना ही उन्होंने !!
लेकिन पांच साल पहले तलक ये सुनने में आने लगा कि फलाने पत्रकार ने पांच सौ रूपये लेकर ये समाचार छापा और फलाने मालिक ने पांच हज़ार रूपये लेकर वो लेख अपने अखबार में प्रकाशित करवाया !! इलेक्ट्रोनिक - मिडिया ने आते ही इस काम को नयी " ऊँचाइयों " तलक पंहुचा दिया !! अभी हाल में ही जिंदल साहिब ने " उल्टा " स्टिंग-ओपरेशन " कर डाला !! सजा ना तो जिंदल साहिब को होनी थी और नाही एक बड़े चेनेल ग्रुप के " माननीय " संपादकों को !! क्योंकि भारत का संविधान बना ही इसी प्रकार से है !! अगर आप पांच-दस लाख से कम की हेरा-फेरी करते हो तो पकडे भी जाओगे और सजा भी भुगतोगे , लेकिन अगर आपने यही काम करोड़ों में किया है तो आपका कुछ भी नहीं बिगड़ेगा !! पुलिस जी आपके घर आकर चाय-पानी पीकर कहेगी कि जी आप अपनी " अनुकूलतानुसार " पूछताछ हेतु आ जाना जी !!
अब आते हैं आज के विषय पर !! आजकल तो क्या प्रिंट और क्या इलेक्ट्रोनिक , बल्कि सोशियल मिडिया तलक पूरा षड्यंत्र रचकर, नेताओं और अफसरों के साथ मिल-बैठकर न केवल समाचार बनाते हैं बल्कि मन माफिक पेनेल बुलाकर उस विषय पर ऐसी बहस भी करवा दी जाती है कि लगे जैसे हमारी सरकार जो कर रही है वो बिलकुल सही कर रही है !! उग्रवादी जो कर रहे हैं , वो मजबूरी में कर रहे हैं !! उनके घरवाले बेचारे अब जीवन यापन कैसे करेंगे ?? आदि - आदि !! विषय - वास्तु अलग - अलग भी हो सकते हैं लेकिन प्रक्रिया काम करवाने की वोही रहती है कि बदले में अब पैसे के साथ-साथ सरकारी इनाम और पद भी देना होगा !! कई पत्रकार तो आजकल फिल्मों के प्रोड्यूसर भी बन गये हैं !!
जाने क्या होगा आगे कि अल्लाह जाने क्या होगा आगे ......!!! गीत वाले हालात हो गये हैं जनाब !! मुझे एक फिल्म का सीन याद आ रहा है जिसमे हमारी माननीय सांसद महोदय श्रीमती हेमामालिनी जी अपने धर्मेन्द्र जी को छोड़ कर श्रीमान प्रेम चोपड़ा जी के साथ एक बाग़ में एक रोमांटिक गीत गाते हैं और टेढ़ी नज़र से हेमाजी धरम जी को भी देखते हैं की वो भी देखकर " जल " रहे हैं !! गीत के बोल थे ..." कितना मज़ा आ रहा है , टायर नज़र चल रहे हैं , अरमाँ निकल रहे हैं , हो.s.s.s...!!
बिलकुल ऐसे ही हालात आज भारत की जनता के हैं लोकतंत्र के " पांच खंबे " ( जी हाँ आजकल तीन से पांच हो गए हैं ) , देश के दुश्मनों के साथ मिलकर षड्यंत्र रुपी " रोमांटिक-गीत " गा रहे हैं और जनता बेचारी देख कर जल-भुन रही है !! अब तो यही बोलना पड़ेगा .....
धर्म की जय हो !! अधर्म का नाश हो ! प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो !!
हर-हर-हर महादेव !!
प्रिय बन्धुओ और प्यारी बांध्वियो !!
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