Friday, August 31, 2012

" उल्लू के पठ्ठों की पंचायत "


एक बार एक हंस और एक हंसिनी जंगल
में घूम रहे थे बातों बातों में समय
का पता नहीं चला शाम हो गयी,
वो अपने घर का रास्ता भूल गए और
चलते-चलते एक सुनसान जगह पर एक पेड़
के नीचे जाकर रुक गए .
हंसिनी बोली मैं बहुत थक गयी हूँ
चलो रात यहीं बिताते हैं सुबह होते
ही चलपड़ेंगे. हंस बोला ये बहुत
सुनसान और वीरान जगह लगती है
(----''यहाँ कोई उल्लू
भी नहीं रहता है''-----) चलो कोई
और जगह देखते हैं. उसी पेड़ पर बैठा एक
उल्लू हंस और हंसिनी बातें सुन
रहा थावो बोला आप लोग घबराएँ
नहीं मैं
भी यहीं रहता हूँ ,डरने की कोई बात
नहीं है आप सुबह होते ही चले
जाईयेगा. हंस और हंसिनी उल्लू
की बात मानकर वहीँ ठहर गए .
सुबह हुई हंस और हंसिनी चलने लगे
तो उल्लू ने उन्हें रोक लिया और हंस
से बोला तू हंसिनी को लेकर
नहीं जा सकता ये मेरी पत्नीहै. हंस
बोला भाई ये क्या बात कर रहे
हो तुम जानते
हो कि हंसिनी मेरी पत्नी है. उल्लू
बोला नहीं हंसिनी मेरी पत्नी है तू
इसे लेकर नहीं जा सकता . धीरे-
धीरे झगड़ा बढ गयाऔर तू-तू में-में
होने लगी . उल्लू हंस की बात मानने
को तैयार ही नहीं था .
तभी चतुराई से उल्लू बोला
कि हम पंचों से इस बात
का फैसला करवाएंगे
कि हंसिनी किसकी पत्नी है . हंस के
पास कोई चारा नहीं था . उल्लू
उनको लेकर पास के गाँव में गया और
हंस ने पंचों को अपनी व्यथा सुनाई.
फिर फैसले के लिए पंचायत बुलाई
गयी सभी पंचों ने विचार विमर्श
किया और सोचा कि हंस
तो कहीं बाहर से यहाँ आया है और
उल्लू तो हमारे गाँव में ही रहता है
इसलिए हंसिनी उल्लू को ही दे देते हैं
जिससे हंसिनी हमारे गाँव में
ही रहेगी. पंचों ने
फैसला सुनाया हंस को बोले
कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है
और उसे तुम उसे लेकर नहीं जा सकते
हो. हंस दुखी होकर रोने लगा.
फिर तीनों लोग वापस गाँव सेबाहर
निकल कर उसी पेड़ के पास जाकर
रुके. हंस बहुतदुखी था तभी उल्लू
बोला हंस दुखी मत
हो हंसिनी तेरी ही पत्नी है और तू
ही इसे लेकर यहाँ से जायेगा. लेकिन
मेरी एक नसीहत सुन ----> ''ये जगह
इसलिए इतनी सुनसान और
वीरान नहीं है कि यहाँ उल्लू रहताहै
बल्कि इसलिए सुनसान और वीरान
कि यहाँ ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लू
की बात मान कर फैसले लेते हैं''.

दोस्तों आने वाले समय में हमें ऐसे
पंचों को हटाना है
और ऐसे पंच ढूढने हैं जो उल्लुओं
की बात न मानें तभी हमारा देश
खुशहाल हो सकेगा....
  रोजाना पढ़ें " 5th pillar corrouption killer "
www.pitamberduttsharma.blogspot.com.

2 comments:

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...