Monday, May 13, 2013

" बलात्कार - फांसी देने से रुकेंगे या वैश्यालय खोलने से ".....?????

सभी समझदार मित्रों को मेरा नमस्कार !!
              बड़ी ही पुराणी समस्या है ये " बलात्कार " !! कोई सख्त सज़ा देने की वकालत करता है तो कोई मानसिक अध्ययन करने का ज्ञान बघारता है !! लेकिन रोजाना ऐसे समाचार पढने को मिल ही जाते हैं !! इस समस्या का हल खोजने हेतु इसकी जड़ में जाना आवश्यक है !! 
                 सेक्स को इन्सान की भूख कहा गया है जो अलग - अलग व्यक्ति में  अलग - अलग समय पर जागती है !! जिसको मिटाने हेतु अलग - अलग तरीके विश्व में अपनाये जाते हैं जिन्हें किसी देश के क़ानून में उचित समझा जाता है तो उसी तरीके को किसी देश में अत्याचार कहा जाता है !!
                भारत में यही कहा जाता है कि " वासना " इन्सान " को अन्धा बना देती है ,और वो राक्षस बन जाता है !! इस हिसाब से तो बलात्कारी को सज़ा नहीं ,बल्कि उसका इलाज़ कराया जाना चाहिए ....!! लेकिन क्या उसका इलाज़ किसी अस्पताल में होना चाहिए या किसी " वैश्यालय " में ...?
             


वैश्यालय हमारा पुरातन इतिहास है जो आज भी हर शहर में पाए जाते हैं !! कानूनी गैरकानूनी के पचड़े में नहीं पड़ते हुए मैं तो एक प्रश्न आप सब से करना चाहता हूँ और वो ये कि जब सरकार " मदिरालय, बार - डान्सर क्लब,पोस्त-शराब के ठेके " चला सकती है , जुआघर के लायसेंस बाँट सकती है तो जिस प्रकार पेट की भूख मिटाने हेतु देश में " ढाबे,रेस्टोरेंट और थ्री - फाइव स्टार होटल " खुल व चल सकते हैं तो क्या देश में " वयस्कों हेतु शारीरिक भूख " मिटाने  हेतु तीन - चार स्तर के प्वाईंट नहीं बन सकते जिनकी निगरानी सरकार करे और भारी टेक्स द्वारा आमदनी भी कमाए तो कोई बुराई तो नहीं ...??? लोग अपना साथी साथ लायें और अपनी आवश्यकता अनुसार समय व्यतीत कर ख़ुशी-ख़ुशी अपने-अपने घर को जाएँ या एक ही घर में वापिस जाएँ !! बस अपना "व्यस्क प्रमाण पत्र " दिखाएँ ,फीस चुकाकर आनन्द उठाकर जाएँ तो .......क्या इस देश में बलात्कार कम हो सकते हैं या कोई और नयी बीमारी इस देश में पैदा हो जाएगी ????????
            " भगवान रजनीश "जी का भी यही सिद्धान्त था कि पहले इन्सान के तन-मन-से "वासना " को निकाल बाहर फेंको फिर सच्चे मन से परमात्मा की तपस्या करो अवश्य प्रभु के दर्शन होंगे !!!!
             फेस-बुक पर आने के बाद मुझे सेंकडों महिलाओं और पुरुषों ने सेक्सी चेटिंग करने हेतु ,सेक्स करने हेतु प्रस्ताव भेजे , जिन्हें मैंने अन्फ्रैंड करके अपनी इज्जत बचायी !! जिस देश में इतनी सेक्स की भूख़ विद्यमान हो जो सतयुग से चली आ रही प्रथा हो उसे आज 21 वीं सदी के लोग खुले रूप से भला क्यों नहीं मिटा सकते ???? मेरे बच्चे तक मेरे फेसबुक फ्रैंड है सभी रिश्तेदार इस लिस्ट में शामिल हैं , जब मैं इतनी बेबाक अपनी राय प्रकट कर सकता हूँ तो आप क्यों नहीं ???//
            क्यों मित्रो !! आपका क्या कहना है ,इस विषय पर...??
प्रिय मित्रो, ! कृपया आप मेरा ये ब्लाग " 5th pillar corrouption killer " रोजाना पढ़ें , इसे अपने अपने मित्रों संग बाँटें , इसे ज्वाइन करें तथा इसपर अपने अनमोल कोमेन्ट भी लिख्खें !! ताकि हमें होसला मिलता रहे ! इसका लिंक है ये :-www.pitamberduttsharma.blogspot.com.

आपका अपना.....पीताम्बर दत्त शर्मा, हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार , आर.सी.पी.रोड , सूरतगढ़ । फोन नंबर - 01509-222768,मोबाईल: 9414657511

4 comments:

  1. मेरे हिसाब से ये बलात्कार घटिया मानवीय सोच का नतीजी है जो मुफ्त में मिल रही अश्लीलता के कारण उत्पन्न हो रही है।हमें इस अश्लीलता पर रोक लगानी होगी,अश्लील साहित्य,फिल्मो को बैन कर दिया जायें जिससे कुछ सुधार होगा।
    फाँसी की सजी होने पर बलात्कार के बाद हत्या के मामले ज्यादा जोर पकड लेगे,जो कि और ज्यादा खतरनाक है।जहाँ तक वैश्वैयालय की बीत करे तो हर शहर में एक रेड लाईट एरिया होता ही है।परन्तु जो लोग ये बलात्कार जैसी घटना को अंजां देते हा उन्हें उनकी अपेक्षा ये सस्ता लगता है।अब आप ही सोचिए जो लोग महज अपनी क्षणिक उत्तेजना को शाने्त करने के लिए गम्भीर अपराध कर देते है तो उन्हें किस बात का डर रहा होगा,कहीं न कहीं उन्हें इस बात का यकीन है कि कानुन उनका कुछ नही कर सकता।
    मेरे हिसाब से कुछ बिन्दुओ को अगर सुधार दिया जायें तो न फाँसी की जरुरत होगी और न वैश्यालय खोलने की।
    1- प्रशासनिक व्यवस्था/कानून व्यवस्था चुस्त की जायें।
    2- फास्ट कोर्ट का निर्माण हो जल्द न्याय के लिए।
    3-अश्लीलता परोशने बाले चैनलो/विज्ञापनो/साईटो/पत्रिकाओ पर प्रतिबन्ध हो।
    4-छेडखानी करने/बलात्कारी चाहे जो हो सबको सजा मिले और जल्द।

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  2. Ban all forms of po.rnography recklessly availaible in India and see the result. It is spoiling minds of weak minded youngsters who start looking at all the women in filthy way and do not hesitate to commit crimes believing the girl is enjoying. Moreover, there is a direct co-relation between po.rnography and percentage of se.xual crimes. In every society there is a certain percentage of male population which is totally uncivilized animal. If you want to give them a release to their sexuality, legalize prostitution but don't spoil their minds with po.rnography, they will target your family sooner or later.

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  3. I am agree with the writer,the legitimate brothel will surely curtail the incidence of eve-teasing as well as rape incidences,these brothel must be licensed,regularized by government and be checked frequently for any sexually transmitted diseases,the use of condoms be made necessary, it all happens in many country controlled by Governments,in theses country sex offenses are least.

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  4. Medically it is proved that you can not prevent any crime by punishment or prohibition alone,the pent-up desire will find it's vent in the form of some sexual-offenses so it is better to let it be open-up in a certain way without harming the social-fabric,the Brothel is the answer ,though me may feel bad by the name of this ,but it is also true that Brothel existed since time-immemorial in the history of human being ,the basic carnal desire is as essential as the food for a human,so it can not be suppressed rather be channelized in a alternate & safer way- in the Brothel.

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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