" टेढ़ी ऊँगली " से घी निकालने वाले सभी मित्रों को फायदेमंद नमस्कार !! स्वीकार करें जी !!
हमारी ' चालाक " सरकार ने कई बार ये फार्मूला अपनाया है की पहले वस्तुओं के दाम ज्यादा बढ़ादो , जब सभी राजनितिक दल , समाजसेवी, मिडिया और जनता दो - चार दिन रो - रो कर थक जाते हैं तब सरकार इन सबके आंसू पोंछने का नाटक करती है और एक - दो रूपये घटा कर अपनी पीठ खुद थोक लेती है !! इसी तरह से दुसरे राजनितिक दल , मिडिया और तथाकथित समाजसेवी भी अपने नंबर बनाने में लग जाते हैं !!
अगर हम इसी बात का दूसरा पहलु देखें में पता चलेगा की भारत की जनता सरकार को एक रुपया भी टेक्स के रूप में देना नहीं चाहती !! भाषण में चाहे हम कन्हे की अगर सरकार टेक्स कम करदे तो सारी जनता टेक्स अदा करना शुरू कर देगी !! लेकिन सच्चाई यही है की जनता टेक्स की चोरी ही करना चाहती है !! 121. करोड़ के भारत में बड़ी मुश्किल से 20.% लोग ही सही टेक्स अदा करते होंगे !!
तो सवाल पैदा होता है की हमारी सरकार कैसे चले ???? हमारे घरों की तरह सरकार के भी कुछ छिपे हुए खर्चे होते हैं जिन्हें वो कागजों में दिखा नहीं सकती जैसे सुरक्षा सम्बन्धी खर्चे आदि - आदि और इत्यादि - इत्यादि !! यानी की इशारों में ही समझ जाओ तो फायदा है , अगर मैंने विस्तार से वो खर्चे आपको बता दिए तो देश के साथ साथ हमारे नेताओं , मिडिया वालों और सरकार पर आश्रित समाजसेवियों के सारे भेद खुलने का डर है ...????? इसलिए किसी ने ठीक ही लिखा है की " परदे में रहने दो , पर्दा ना उठाओ , पर्दा जो उठ गया तो भेद ....खुल जाएगा....फिर हो जाए गी अल्लाह मेरी तौबा - अल्लाह मेरी तौबा " .???
तो इसलिए भाइयो और बहनों , मित्रो और सहेलियों आप सब धीरज से काम लेंवे अपने मनमोहन सिंह जी पर विश्वास करें उनको देश हित में रुपयों की जरूरत होगी तभी तो उन्हों ने कीमतें बढ़ा कर आपसे रूपये ले लिए जिस प्रकार से अबोध - बालक अपने घर से आवश्यकता पड़ने पर रूपये उठा लेता है !! देश को तोपें चाहियें , गोला बारूद चाहिए , पार्टियों को अपनी पार्टिया चलाने हेतु पैसा चाहिए !! आजकल एक सांसद के चुनाव पर करोड़ों खर्च हो जाता है वो भी बेचारे क्या करें किसी बेचारे को राजा - कलमाड़ी बनना पड़ता है , कभी लालू - मुलायम को अपना अहम् और सन्मान त्याग कर सोनिया जी का समर्थन करना पड़ता है !!नहीं तो सी. बी . आई .तो है ही मनवाने के लिए !!
तो आम लोगो ....ज्यादा ख़ास बन्ने की कोशिश मत करो बड़े आदमियों को पालना आपका फ़र्ज़ है अतः सीधे - सीधे जो माँगा जाता है दे दो मुझे शोले फिल्म का गब्बर सिंह जी वाला कथन याद आरहा है की मेरे आदमी अगर तुम्हारी रक्षा करने के बदले थोडा सा अनाज ले लेते हैं तो क्या बुरा करते हैं ....??? उस समय के लोग उसको भी सरकार कह कर बुलाया करते थे और आज ये हमारी सरकार है ......अंतर क्या है ?????
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यही कह सकते हैं
ReplyDeleteडॉलर अट्टहास करता रहेगा .............
सुना है जब देश आज़ाद हुआ
रुपया डॉलर पौंड का भाव समान था
फिर कौन सी गाज गिरी
क्यों रुपये की ये हालत हुयी
किस किस की जेब भरी
किसने क्या घोटाला किया
क्यों दाल भात को भी
सट्टे की भेंट चढा दिया
जब से कोमोडिटी मे डाला है
तभी से निकला दिवाला है
तभी मंहगाई आसमान छूती है
अब क्यों हाय हाय करते हो
क्यों रुपये की हालत पर हँसते हो
जो बोया था वो ही तो काटना होगा
बबूल के पेड पर आम नही उगा करते
यूँ ही देश आत्मनिर्भर नही बना करते
जब तक ना सच्चाई का बोलबाला हो
भ्रष्टाचार का ना अंत होगा
मल्टी नैशनल कम्पनियां हों या सरकारी दफ्तर
जब तक ना बेहिसाब तनख्वाह का हिसाब होगा
रुपया तो यूँ ही कमजोर होगा
जब तक ना टैक्स का सही सदुपयोग होगा
जब तक ना जनता को बराबर अधिकार मिलेगा
रुपया तो यूँ ही कमजोर होगा
जब तक ना भ्रष्ट शासन से छुटकारा होगा
जब तक ना हर नागरिक वोट के महत्त्व को समझेगा
रुपया तो यूँ ही कमजोर होगा
जब तक ना हर नागरिक अपने कर्तव्यों पर खरा उतरेगा
सिर्फ अधिकारों की ही बात नहीं करेगा
रुपया तो यूँ ही कमजोर होगा
परिवर्तन सृष्टि का नियम है
बाज़ार की दशा भी उसी का आधार है
मगर लालच घोटालों का ही ये परिणाम है
रुपया रोज गिरता रहा
सेठ का पेट भरता रहा
तिजोरियों स्विस बैंकों में
रुपया दबता रहा
फिर अब क्यों हल्ला मचाया है
मंहगाई का डमरू बजाया है
मंहगाई खुद नहीं आई है
हमारे लालच की भेंट ने
मंहगाई को दावत दी और
रूपये की शामत आयी है
फिर कहो कैसे बाहर निकल सकते हो
जब तक खुद को नहीं सच के तराजू पर तोल सकते हो
सरकारें पलटने से ना कुछ होगा
तख्तो ताज बदलने से ना कुछ होगा
जब तक ना खुद को बदलेंगे
लालच को ना बेड़ियों में जकडेंगे
देश और जनता का भला ना सोचेंगे
तब तक रुपया तो यूँ ही गिरता रहेगा
डॉलर के नीचे दबता रहेगा और
डॉलर अट्टहास करता रहेगा .............