Friday, April 13, 2012

" उडी - बाबा , उडी बाबा - उडी -" बाबा "....??

"बाबाओं " की बात मानने वाले "सहेलियों " व बेलियो " !! सबको मेरा प्रणाम !!
                          भारत देश प्राचीन काल से ऋषियों,मुनियों और बाबाओं की मेहरबानी से चलता आ रहा है । जब भी किसी साधारण मनुष्य या किसी असाधारण व्यक्तित्व पर मुसीबत आती है ,तो वो इन सब में से किसी एक या फिर बारी - बारी से सबके पास जाता था , जाता है और जाता रहेगा ....कोई रोक नहीं सकता ..., चाहे कोई बाबा करोड़ों कमा ले , चाहे कोई बाबा किसी के साथ रजामंदी से या बहला - फुसला कर " आनंद " बाँट ले ...इत्यादि - इत्यादि !! क्योंकि ये आदमी की मनोवृत्ति से जुडी हुई बात है । ये अख़बार और चेनल वाले भी बड़े अजीब हैं पहले तो ऐसे बाबाओं के विज्ञापन प्रकाशित करते हैं और फिर उन्हें ढोंगी कहते हैं !!
                                  अब यंहा किसी बाबा का नाम लेना ठीक नहीं क्योंकि कल ही एक प्रोफ़ेसर ने बंगाल की शेरनी के बारे में कुछ फेसबुक पे लिख दिया था तो बेचारे को जेल जाना पडा और कार्यकर्ताओं से मार भी खानी पड़ी ...उस बेचारे को " ममता की क्षमता " का पता चल गया ?? इस लिए हम तो इशारों - इशारों में ही आपको समझा देंगे । पंजाबी में एक कहावत है जी , वो ये की " किसी को मांह ( उड़द की दाल ) बादि , तो किसी को सवादी " ! यानी जिसे फायदा पंहुच जाता है वो तो किसी नियम को नहीं मानता और जिसे फायदा नहीं पंहुचता वो " बाल की खाल उतारता है ....या केस कर देता है !! बाबा चाहे कोई भी हो किसी को कोई फरक नहीं पड़ता बस यही एक " मापक " होता है की फायदा पंहुचा या नुक्सान ?? 
                                   इसमें कोई शक नहीं की जिस प्रकार किसी सड़क पर जादू का खेल दिखाने वाला खेल दिखाते वक्त कुछ अपने आदमी भी जनता को गुमराह करने हेतु भीड़ में खड़े रखता है उसी तरह ऐसे बाबा लोग भी करते हैं , भारत में तो हर तीसरी गली में ऐसे चमत्कारी लोग मिल जायेंगे । क्योंकि यंहा तो भगवन भी तभी मिलता है जब आप अपनी " तार्किक शक्ति को छोड़ कर पूरी तरह परमात्मा की शरण में नहीं आ जाते !! 
                       गंदगी हर जगह अपने आप ही आ जाती है , कंही से लानी नहीं पड़ती , पुराने से पुराना इतिहास निकाल कर देखलो कोई भी वो व्यक्ति जिसने इश्वर के सच्चे ज्ञान को आम आदमी को उसकी आम भाषा में सच्चे मन से भी समझाने की कोशिश की हो , लेकिन कुछ समय बाद उसके " चेलों " ने ही ऐसे - ऐसे नियम क़ानून उस बेचारे " सच्चे - बाबा " के नाम से ही बना दिए की कुछ सालों के बाद एक सच्चा काम भी आडम्बर बन के रह जाता है .....ज़रा ध्यान से सोचिये ...जो आज , सिख , जैन , बोध , इसाई , मुस्लिम , राधा - स्वामी , निरंकारी , आदि - आदि जो किसी मनुष्य द्वारा चलाये गए धरम या डेरे हैं उनमे वो कितना हो रहा है जो उनके गुरुओं ने कहा था , आप देखेंगे की सब जगह सिर्फ और सिर्फ .." आडम्बर " ही रह गया है ! फ़ालतू के नियम पहरावे और महल धरम के नाम पर बनाए जा रहे हैं और अरबों खरबों रुपया पता नहीं किसके लिए इकठ्ठा किया जा रहा है ?? और कौन उस धन का उपयोग कर रहा है या बेकार ही पडा है कौन जानता है ये सब ?? कोई सच सुनने को तैयार ही नहीं ...!! इसलिए सब सोचते हैं भाई हम क्यों बुरे बने अपने आप परमात्मा इनको सबक सिखाएगा ??? क्योंकि हम तो कोई काम करते नहीं जी !! इसी लिए मैं भी हर लेख के अंत में सबको कहता हूँ की बोलो जय श्री राम !!


                     भगत कबीर जी ने भी कहा है की " कबीरा तेरी झोंपड़ी , गल - KATIYAN के पास ! करेंगे जो भरेंगे , तू क्यों भया उदास !!  तो मित्रो हमेशा की तरह आप हमारे ब्लॉग जिसका नाम है " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " जिसे www.pitamberduttsharma.blogspot.com. लोग - आन करके पढ़ा जा सकता है , कृपया आप सब मित्र इसे पढ़ें , समझें और फिर इसे अपने मित्रों में शेयर करकर अपने अनमोल विचार ब्लाग पर जाकर लेख के निचे टाईप करें , क्योंकि हम आपके अनमोल विचारों को सहेज कर रखना चाहते हैं , ताकि पुस्तक प्रकाशन के समय उनको हम प्रकाशित करवा सकें !!................. धन्यवाद !!

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