" मांग " पूरी करवाने की कला जानने वाले, सभी मित्रों को मेरा नमस्कार !!
पहले अपनी जायज़ - नाजायज़ मांग को पूरा करवाने की कला छोटे बच्चों को , बूढों को और महिलाओं को ही आती थी !! आजकल तो जिसे देखो वो अपनी मांगो का ज्ञापन ले कर फिरता है और मांग चाहे नाजायज़ हो या जायज़ बस जिद पकड़ लेता है की बस पूरी करो हमारी ये मांग !! पहले तो भिखारी या कमज़ोर लोग ही माँगा करते थे और मांगने को बहुत बुरा समझा जाता था ! पुराने लोग तो मर जाते थे लेकीन मांगते नहीं थे । शान के खिलाफ होता था ये कार्य !! लेकिन आज जिसे देखो ....वो ही कुछ - न कुछ किसी न किसी से मांग ही रहा है !! पता नहीं क्यों .....इतना गिर गए हैं लोग ...??? शायद इसलिए क्योंकि आजकल लोग " नौकरी " करना ज्यादा पसंद करते हैं !! इसी लिए मांगने की आदत सी पद गयी है लोगों को ! कोई राशन मान रहा है तो कोई कपडा , कोई नोट मांग रहा है तो कोई वोट , कोई क़ानून मांग रहा है तो कोई आरक्षण !! जिस प्रकार हम अपनी पत्नी जी की मांग भरते - भरते थक गए हैं और थोड़े - थोड़े बूढ़े से नज़र आने लगे हैं उसी तरह से हमारी सरकार भी मांगें पूरी करती - करती बूढी सी नज़र आने लगी है ! आज कल तो उग्रवादी , माओ वादी और न जाने कौन कौन ससुरा मांगने में लगा है , इतने हट्टे - कटते हैं काम नहीं करते म्हणत नहीं करते और कभी किसी को उठा ले जाते हैं तो कभी किसी को !! अभी कुछ दिन पहले हमारी सोनिया जी के पीहर से दो " सज्जन " घूमने हेतु आये और भारत के मशहूर स्थान घुमते - घुमते पता नहीं कैसे और क्यों हमारे " माओवादी नक्सली " "सज्जनों " से मिल लिए या मिला दिए गए ....राम ही जाने !! लेकिन हमें तो और हमारी सरकार को तब पता चला जब उन जंगल में रहने वाले " क्रान्तिकारों " ने शहरों में रहने वाले अपने " वार्ताकारों " के ज़रिये सम्पर्क साधा !! उन्हों ने मांग रख्खी की जो पुलिस ने म्हणत करके जिन उग्रवादियों को पकड़ा है उन्हें बा - इज्ज़त रिहा करदो नहीं तो इटली से आये नागरिकों को हम स्वर्गवासी बना देंगे !!
इस घटना से कुछ दिन पहले इसी इटली के जहाजी फोजियों ने हमारी समुद्री सीमा में घुसकर हमारे ही मछुआरों को मार डाला था । इस घटना को हमारी सरकार लाख कोशिशों के बावजूद छिपा नहीं पायी थी !! अब मुझे पता नहीं की इन दोनों घटनाओं का एक दुसरे से कोई सम्बन्ध था या नहीं था ??? लेकिन ये " इटली "अवश्य कामन था ? दोनों सरकारों , सारे मीडिया और हमारे देश के चोक्क्न्ने विपक्ष की समझदारी भरे " आचरण " से दोनों इटली के " मामे " रिहा होगये और ख़ुशी - ख़ुशी अपने देश रवाना हो गए !! लेकिन इस घटना क्रम में एक पक्ष तो बेचारा फंसा का फंसा ही रह गया ........वो बेचारा " विधायक " जो अभी तलक उन्ही माओवादी - नक्सली सज्ज्न्नो के अधिकार क्षेत्र में है । उसके लिए भी उन्हों ने दर्जन से ज्यादा कैदियों को रिहा करने की मांग रख्खी है जिसे मानना ही पड़ेगा हमारी सरकार को !! अटल जी के टाइम में तो जो हमारे रक्षा मंत्री जी अफगानिस्तान में उग्रवादियों को छोड़ कर आये थे तो कांग्रेसियों ने आज तलक वो रिकार्ड बजाना नहीं छोड़ा था की देखो अटल जी की सरकार सरेंडर हो गयी ....?? अब जब इटली के मामे फंसे तो ससुरा कोई नहीं बोल रहा है क्यों ...??? ये ससुरे भाजपा वाले भी चुप हैं क्यों ...?? अरे बदला लेने का अवसर आया है तो बोल नहीं रहे हो और जब चुप रहना होता है तो बिना मतलब के बोले ही जाते हो ...!!
बच्चों , बीवियों और बजुर्गों की मांगें पूरी करना तो हमारा कर्तव्य है लेकिन इन देश के दुश्मनों के सामने झुकना कन्हा तलक उचित है ...अगर हम अपने सिपाही को शहीद करवाना उचित मानते हैं तो ऐसे मोके पर हमें भी शहीद अगर होना पड़े तो जरूर देश हित में मर जाना चाहिए ...ताकि हमारी सरकार किसी उग्रवादियों के दबाव में ना आने पाए !! और इसी तरह इटली हो या अमेरिका हम उनके लिए देश के दुश्मनों को क्यों रिहा करें ...क्या हमने उन्हें जंगल में जाने हेतु खा था ....????
आप ही बताइये मित्रो ..!! आपकी क्या राय है इस बारे में ??? आज ही , बल्कि अभी अपने विचार हमारे ब्लॉग " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " पर जाइए और अपने अनमोल विचार टाईप कीजिये ! और अगर आपको हमारा ये लेख पसंद आये तो आप इसे अपने मित्रों संग शेयर भी कर सकते हैं , और कंही प्रकाशित करना चाहें तो ख़ुशी से कर सकते हैं हमारी कोई " मांग " नहीं है ! बस विचारों का आदान - प्रदान चाहते हैं बस !! ........धन्यवाद !! बोलो जय श्री राम !!
पहले अपनी जायज़ - नाजायज़ मांग को पूरा करवाने की कला छोटे बच्चों को , बूढों को और महिलाओं को ही आती थी !! आजकल तो जिसे देखो वो अपनी मांगो का ज्ञापन ले कर फिरता है और मांग चाहे नाजायज़ हो या जायज़ बस जिद पकड़ लेता है की बस पूरी करो हमारी ये मांग !! पहले तो भिखारी या कमज़ोर लोग ही माँगा करते थे और मांगने को बहुत बुरा समझा जाता था ! पुराने लोग तो मर जाते थे लेकीन मांगते नहीं थे । शान के खिलाफ होता था ये कार्य !! लेकिन आज जिसे देखो ....वो ही कुछ - न कुछ किसी न किसी से मांग ही रहा है !! पता नहीं क्यों .....इतना गिर गए हैं लोग ...??? शायद इसलिए क्योंकि आजकल लोग " नौकरी " करना ज्यादा पसंद करते हैं !! इसी लिए मांगने की आदत सी पद गयी है लोगों को ! कोई राशन मान रहा है तो कोई कपडा , कोई नोट मांग रहा है तो कोई वोट , कोई क़ानून मांग रहा है तो कोई आरक्षण !! जिस प्रकार हम अपनी पत्नी जी की मांग भरते - भरते थक गए हैं और थोड़े - थोड़े बूढ़े से नज़र आने लगे हैं उसी तरह से हमारी सरकार भी मांगें पूरी करती - करती बूढी सी नज़र आने लगी है ! आज कल तो उग्रवादी , माओ वादी और न जाने कौन कौन ससुरा मांगने में लगा है , इतने हट्टे - कटते हैं काम नहीं करते म्हणत नहीं करते और कभी किसी को उठा ले जाते हैं तो कभी किसी को !! अभी कुछ दिन पहले हमारी सोनिया जी के पीहर से दो " सज्जन " घूमने हेतु आये और भारत के मशहूर स्थान घुमते - घुमते पता नहीं कैसे और क्यों हमारे " माओवादी नक्सली " "सज्जनों " से मिल लिए या मिला दिए गए ....राम ही जाने !! लेकिन हमें तो और हमारी सरकार को तब पता चला जब उन जंगल में रहने वाले " क्रान्तिकारों " ने शहरों में रहने वाले अपने " वार्ताकारों " के ज़रिये सम्पर्क साधा !! उन्हों ने मांग रख्खी की जो पुलिस ने म्हणत करके जिन उग्रवादियों को पकड़ा है उन्हें बा - इज्ज़त रिहा करदो नहीं तो इटली से आये नागरिकों को हम स्वर्गवासी बना देंगे !!
इस घटना से कुछ दिन पहले इसी इटली के जहाजी फोजियों ने हमारी समुद्री सीमा में घुसकर हमारे ही मछुआरों को मार डाला था । इस घटना को हमारी सरकार लाख कोशिशों के बावजूद छिपा नहीं पायी थी !! अब मुझे पता नहीं की इन दोनों घटनाओं का एक दुसरे से कोई सम्बन्ध था या नहीं था ??? लेकिन ये " इटली "अवश्य कामन था ? दोनों सरकारों , सारे मीडिया और हमारे देश के चोक्क्न्ने विपक्ष की समझदारी भरे " आचरण " से दोनों इटली के " मामे " रिहा होगये और ख़ुशी - ख़ुशी अपने देश रवाना हो गए !! लेकिन इस घटना क्रम में एक पक्ष तो बेचारा फंसा का फंसा ही रह गया ........वो बेचारा " विधायक " जो अभी तलक उन्ही माओवादी - नक्सली सज्ज्न्नो के अधिकार क्षेत्र में है । उसके लिए भी उन्हों ने दर्जन से ज्यादा कैदियों को रिहा करने की मांग रख्खी है जिसे मानना ही पड़ेगा हमारी सरकार को !! अटल जी के टाइम में तो जो हमारे रक्षा मंत्री जी अफगानिस्तान में उग्रवादियों को छोड़ कर आये थे तो कांग्रेसियों ने आज तलक वो रिकार्ड बजाना नहीं छोड़ा था की देखो अटल जी की सरकार सरेंडर हो गयी ....?? अब जब इटली के मामे फंसे तो ससुरा कोई नहीं बोल रहा है क्यों ...??? ये ससुरे भाजपा वाले भी चुप हैं क्यों ...?? अरे बदला लेने का अवसर आया है तो बोल नहीं रहे हो और जब चुप रहना होता है तो बिना मतलब के बोले ही जाते हो ...!!
बच्चों , बीवियों और बजुर्गों की मांगें पूरी करना तो हमारा कर्तव्य है लेकिन इन देश के दुश्मनों के सामने झुकना कन्हा तलक उचित है ...अगर हम अपने सिपाही को शहीद करवाना उचित मानते हैं तो ऐसे मोके पर हमें भी शहीद अगर होना पड़े तो जरूर देश हित में मर जाना चाहिए ...ताकि हमारी सरकार किसी उग्रवादियों के दबाव में ना आने पाए !! और इसी तरह इटली हो या अमेरिका हम उनके लिए देश के दुश्मनों को क्यों रिहा करें ...क्या हमने उन्हें जंगल में जाने हेतु खा था ....????
आप ही बताइये मित्रो ..!! आपकी क्या राय है इस बारे में ??? आज ही , बल्कि अभी अपने विचार हमारे ब्लॉग " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " पर जाइए और अपने अनमोल विचार टाईप कीजिये ! और अगर आपको हमारा ये लेख पसंद आये तो आप इसे अपने मित्रों संग शेयर भी कर सकते हैं , और कंही प्रकाशित करना चाहें तो ख़ुशी से कर सकते हैं हमारी कोई " मांग " नहीं है ! बस विचारों का आदान - प्रदान चाहते हैं बस !! ........धन्यवाद !! बोलो जय श्री राम !!
asli manviya aacharan yadi dekhna ho to vahan dekho jahan koi cheez muft main batt rahi ho.sab log apne jeben bharne main lage hote hain.vesa hi haal bharat ka bhi ho chuka hai.mantri janta ki mange puri krne se pahle apni mange puri krvate hain.or janta apni mangon ko mang mang kr mangte ban jate hain.phir 5 saal pure ho jate hain..tab tak janta bikhari ban chuki hoti hai.phir election hote hain or calak mantri bhookhi janta ko lubhane ke liye unki gareebi mitane ke liye unko muft main freej,colortv,nukari main arakshan dilvane ki baat krte hai..gareebi nahi hatate bus gareebon ka muh in cheezon se bhar dete hain taki.gareeb kuch samay ke liye chup ho jaye..netaon ki iss mufti scheme ne hi aaj bharat ki janta ko bhokha bna diya hai.or inmain se kuch bhokhe krantikari ban gye hain or netaon ki chalen samajh gye hain.int ka javab pathar se dene lage hain.vidhayekon ko uttha te hain or mangen manvate hain.lalach ke bura kitanu ne mantriyon se janta tak sabko infected kr diya hai.jis tarah baap yadigalat ho to vo bete ki galti per kuch bol nahi pata ussi tarah aaj sarkaren bhi kuch bolne se katrati hain.unhone maun dharan kr liya hai.or janta kohraam macha rahi hai..
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