आदेश देने वाले चंद ही बचे सभी मेरे देश वासियों और मित्रों को मेरा हार्दिक नमस्कार !!
लोक - तंत्र के सबसे महत्वपूर्ण पद , राष्ट्र पति हेतु नए प्रत्याशियों की चयन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है । सभी पार्टियों में विचार विमर्श शुरू हो चूका है की किसको अगला राष्ट्रपति बनाया जाए ?? जैसा की सबको विदित है की लोकसभा और राज्यसभा में किसी एक पार्टी का शासन नहीं है , और न ही किसी एक गठबंधन की मर्ज़ी इस बाबत चल सकती है इसलिए गहन चिंतन और परामर्श हो रहा है सब राजनितिक दलों में !! और जिनसे नहीं पूछा जा रहा जैसे मिडिया वाले आदि - आदि वो धक्के से अपने तरीके से " सुझाव " देने पर तुले हैं जैसे की हम !!
अब हमारा सुझाव भी आप लोग पढ़ ही लो ...., वो ये है की जितना हम पढ़े हैं राजनीती शास्त्र , तो उसमे यही लिखा है की राष्ट्रपति प्रधान - मंत्री जी को " आदेश " देते हैं , और सभी निर्णय प्रधानमंत्री जी की "सलाह "पर ही करते हैं । देश की वास्तविक बागडोर हमारे राष्ट्रपति जी के पास ही होती है । यंहा तक की प्रधानमंत्री जी की नियुक्ति और सभी सेनाओं के बड़े जनरल उन्ही का आदेश मानते हैं । लेकिन उन्हें अपने आदेश भारतीय संसद में 6. माह में पास करवाना आवश्यक होता है,
अब यंही पर हमारे संविधान की गागर उलटी हो जाती है , वो ऐसे की अब एक अकेले व्यक्ति की इतनी जान- पहचान होती नहीं जो वो सारे सांसदों से पहले संपर्क करे और फिर जीतने लायक मतों के अधिकार वाले सांसद अपने पक्ष में करना बहुत ही कठिन काम है , इसलिए जिस पार्टी का संसद में बहुमत आ जाता है उस पार्टी का मुखिया ही तय करता है की इस अहम् पद का प्रत्याशी कौन हो ????? भारत के इतिहास में ऐसे बहुत ही कम अवसर आये हैं जब किसी राष्ट्रपति ने स्वयं का कोई निर्णय प्रधानमंत्री जी से जबरन या समर्थन के बिना पास करवाया हो !!
बल्कि हमारे पूर्व राष्ट्रपति सरदार ज्ञानी जेल सिंह जी ने तो यंहा तक कहा था की मुझे तो इंदिरा जी कन्हे तो मैं झाड़ू भी लगा सकता हूँ , मौजूदा राष्ट्रपति महोदय जी के बारे में एक कांग्रेसी नेता ने ये कहा था की वे सोनिया जी के घर पर चाय बनातीं थीं इसलिए उन्हें इस पद के काबिल समझा गया हालाँकि उन्हें ये बोलने पर दंड भी दिया गया लेकिन इन बातों से ये पता चलता है की चुना वोही जाता है जो प्रधानमंत्री जी और उस दल के मुखिया जिसका शासन है उनका कहना माने !! अन्यथा नहीं । मतलब ये की हमारे नेताओं ने संविधान को भी अपनी सुविधानुसार तोड़ - मरोड़ लिया है !!
जरा नज़र घुमा कर देखें की जिन महापुरषों का नाम संभावित राष्ट्रपति पद हेतु लिया जा रहा है क्या वो अपने विवेक से कोई निर्णय लेने में सक्षम हैं ???या सिर्फ एक " रबड़ - स्टेम्प " बन कर ही रह जायेंगे !! जैसे मौजूदा राष्ट्रपति जी ने एक कसाब के मुद्दे पर ही इतना टाईम लगा दिया, क्या ऐसे ही आने वाले समय में सारे निर्णय लए जायेंगे ???? जब की देश में जन - लोकपाल , भ्रष्टाचार , कालेधन और अफसरों का काम नहीं करने जैसे मुद्दे विराजमान हैं जिन पर न तो कभी राष्ट्रपति महोदय बोलीं हैं और न ही भविष्य में बन्ने वाला कोई राष्ट्रपति बोलेगा ...??? भारत को एक मजबूत स्वयं के विवेक से निर्णय लेने वाला राष्ट्रपति चाहिए जो आवश्यक कार्य प्रधानमंत्री जी की सलाह से तुरंत करवा सके अगर किसी वजह से प्रधानमंत्री जी आनाकानी करें तो उस अहम् निर्णय को दबाव दाल कर लागू करवाएं या मिडिया और जनता से सुझाव मांगें .....क्यों ....??? जी आप सब मित्रों की इस बारे में क्या राय है ??? आपकी नज़र में कौन वो व्यक्ति है या महिला है जो इस अहम् भूमिका को निभा सकता है ???? कृपया अपने सुझाव अपने तर्कों के साथ हमें लिख भेजें हमारे ब्लॉग और ग्रुप में कमेंट्स लिख कर !! जिसका नाम है " 5th pillar corrouption killer " आज ही लाग आन करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. बोलो जय श्री राम !! धर्म की जय हो , अधर्म का नाश हो , प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो !! हर - हर - महादेव ..!!!
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