मान -सन्मान की चाहत नहीं रखने वाले सभी वास्तविक माननीय मित्रों को सन्मान भरा मेरा नमस्कार !!
जी हाँ मित्रो , ये मान -सन्मान भी बड़ी अजीब चीज़ है ,न तो ये पैसे से खरीदा जा सकता है और ना ही ये मांगने या चाहने से मिलता है !! कहावत तो ये भी है की हर व्यक्ति की इज्जत उसके अपने हाथ में ही होती है !! लेकिन नेता और अमीर इस मान - सन्मान को जनता से जबरदस्ती पाना चाहते हैं !! ना जाने कितने वर्षों पहले से ग्रंथों में लिखा हुआ है की मनुष्य को ऐसे कर्म करने चाहियें , जिस से समाज में उसका एक महत्त्व पूर्ण स्थान हो और मान - सन्मान हो !!परलोक में यही साथ जाना है ! मुकेश जी का एक बहुत ही प्यारा सा गीत याद आ रहा है की , " सजन रे झूठ मत बोलो , खुदा के पास जाना है , ना हाथी है ना घोड़ा है , वंहा पैदल ही जाना है .....!!
मगर आज कल के " नेता " चाहे वो किसी भी पार्टी के हों , चाहे वो छोटा या बड़ा हो , सब पहले ही दिन यानी जब से वो कोई चुनाव जीत जाते हैं तब से ....." पैसा कैसे बनाया जाए " बस यही सोचते हैं !! इसी लिए चुनावों पर लाखों से कम तो खर्चा ही नहीं होता ......????? जितने के बाद शुद्ध व्यपारी की तरह दोगुना - चोगुना वसूलने की चाहत हर नेता के मन में पायी जाती है !! संसद में इसी बात पर बवाल मचा हुआ है की सबको चोर क्यों कहा गया , सबको बलात्कारी क्यों कहा गया और सब को बे-ईमान क्यों कहा गया ????
मैं बताता हूँ क्यों कहा गया ??? सुनिए नेता जी , सबको इस लिए कहा गया , क्योंकि हिसाब का फार्मूला है की अगर 50% से ज्यादा लोग बे-ईमान,भ्रष्टाचारी हैं तो सब ही बोला जाता है !! जनता ने देखा पिछले 15 सालों में कभी एक पार्टी दूसरी पार्टी से समर्थन देने की कीमत में मंत्री पद मांगती है तो कभी सीधे रुपये ....?? पार्टियों के धनि ( अध्यक्ष ) अपने ही कार्यकर्ताओं से "पार्षद ,विधायक, चेयरमेन ,सांसद की टिकट देने हेतु धन लेते हैं "??? निष्ठावान कार्यकर्ता अपना सारा जीवन एक पार्टी में व्यतीत कर देता है , उसे महत्त्व नहीं दिया जाता , और वाचाल,मक्कार,और बे-ईमान आदमी झट से नगर,जिले और प्रान्त का नेता बन जाता है ....और ये तथा-कथित शरीफ होने का ढिंढोरा पीटने वाले नेता उस समय संसद और पार्टियों में बोलते नहीं , विरोध नहीं करते क्यों ......??????उलटा उन्ही चोरों के घर जाकर ये शरीफ नेता अपने गले में माला डलवाते हैं और भोजन करते हैं .....??? क्यों ???
जी हाँ .....शरद यादव , अडवानी जी , सुषमा जी ,जेटली जी , मनमोहन जी , सोनिया जी , कोमरेड नेता, मायावती , मुलायम और लालू जी किन किन का नाम गिनाऊं सब .......सब ......सब उस मान सन्मान के काबिल नहीं हैं जो इन्हें जनता द्वारा दिया जा रहा है !!!!!! जो काम इन तथा कथित शरीफ नेताओं को करना चाहिए था वो .....आम आदमी को करना पड़ता है .......क्या शर्म नहीं आणि चाहिए इन नेताओं को ....??? ना कोई पार्टी अपने फंड का हिसाब देती है ....क्या वो बे-इमानी नहीं ...?? क्या संसद में चुटीले भाषण देना ही देश सेवा है .......कर दो मुझे अन्दर जेल में बंद ....मैं कहता हूँ की सारे नेता चोर है .....??? आपका क्या कहना है मित्रो !!! अपने विचार हमारे ग्रुप और ब्लॉग पर लिखें , जिसका नाम है :-" 5th pillar corrouption killer "जिसे देखने हेतु लग आन करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. ज्यादा जानकारी हेतु मेरी प्रोफाईल पढ़ें !! धन्यवाद !! जय - माता - की !!
जी हाँ मित्रो , ये मान -सन्मान भी बड़ी अजीब चीज़ है ,न तो ये पैसे से खरीदा जा सकता है और ना ही ये मांगने या चाहने से मिलता है !! कहावत तो ये भी है की हर व्यक्ति की इज्जत उसके अपने हाथ में ही होती है !! लेकिन नेता और अमीर इस मान - सन्मान को जनता से जबरदस्ती पाना चाहते हैं !! ना जाने कितने वर्षों पहले से ग्रंथों में लिखा हुआ है की मनुष्य को ऐसे कर्म करने चाहियें , जिस से समाज में उसका एक महत्त्व पूर्ण स्थान हो और मान - सन्मान हो !!परलोक में यही साथ जाना है ! मुकेश जी का एक बहुत ही प्यारा सा गीत याद आ रहा है की , " सजन रे झूठ मत बोलो , खुदा के पास जाना है , ना हाथी है ना घोड़ा है , वंहा पैदल ही जाना है .....!!
मगर आज कल के " नेता " चाहे वो किसी भी पार्टी के हों , चाहे वो छोटा या बड़ा हो , सब पहले ही दिन यानी जब से वो कोई चुनाव जीत जाते हैं तब से ....." पैसा कैसे बनाया जाए " बस यही सोचते हैं !! इसी लिए चुनावों पर लाखों से कम तो खर्चा ही नहीं होता ......????? जितने के बाद शुद्ध व्यपारी की तरह दोगुना - चोगुना वसूलने की चाहत हर नेता के मन में पायी जाती है !! संसद में इसी बात पर बवाल मचा हुआ है की सबको चोर क्यों कहा गया , सबको बलात्कारी क्यों कहा गया और सब को बे-ईमान क्यों कहा गया ????
मैं बताता हूँ क्यों कहा गया ??? सुनिए नेता जी , सबको इस लिए कहा गया , क्योंकि हिसाब का फार्मूला है की अगर 50% से ज्यादा लोग बे-ईमान,भ्रष्टाचारी हैं तो सब ही बोला जाता है !! जनता ने देखा पिछले 15 सालों में कभी एक पार्टी दूसरी पार्टी से समर्थन देने की कीमत में मंत्री पद मांगती है तो कभी सीधे रुपये ....?? पार्टियों के धनि ( अध्यक्ष ) अपने ही कार्यकर्ताओं से "पार्षद ,विधायक, चेयरमेन ,सांसद की टिकट देने हेतु धन लेते हैं "??? निष्ठावान कार्यकर्ता अपना सारा जीवन एक पार्टी में व्यतीत कर देता है , उसे महत्त्व नहीं दिया जाता , और वाचाल,मक्कार,और बे-ईमान आदमी झट से नगर,जिले और प्रान्त का नेता बन जाता है ....और ये तथा-कथित शरीफ होने का ढिंढोरा पीटने वाले नेता उस समय संसद और पार्टियों में बोलते नहीं , विरोध नहीं करते क्यों ......??????उलटा उन्ही चोरों के घर जाकर ये शरीफ नेता अपने गले में माला डलवाते हैं और भोजन करते हैं .....??? क्यों ???
जी हाँ .....शरद यादव , अडवानी जी , सुषमा जी ,जेटली जी , मनमोहन जी , सोनिया जी , कोमरेड नेता, मायावती , मुलायम और लालू जी किन किन का नाम गिनाऊं सब .......सब ......सब उस मान सन्मान के काबिल नहीं हैं जो इन्हें जनता द्वारा दिया जा रहा है !!!!!! जो काम इन तथा कथित शरीफ नेताओं को करना चाहिए था वो .....आम आदमी को करना पड़ता है .......क्या शर्म नहीं आणि चाहिए इन नेताओं को ....??? ना कोई पार्टी अपने फंड का हिसाब देती है ....क्या वो बे-इमानी नहीं ...?? क्या संसद में चुटीले भाषण देना ही देश सेवा है .......कर दो मुझे अन्दर जेल में बंद ....मैं कहता हूँ की सारे नेता चोर है .....??? आपका क्या कहना है मित्रो !!! अपने विचार हमारे ग्रुप और ब्लॉग पर लिखें , जिसका नाम है :-" 5th pillar corrouption killer "जिसे देखने हेतु लग आन करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. ज्यादा जानकारी हेतु मेरी प्रोफाईल पढ़ें !! धन्यवाद !! जय - माता - की !!
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