तडपते रहने वाले सभी मित्रों को हमदर्दी वाला नमस्कार !! जी हाँ , कोई प्यार में तड़प रहा है तो कोई किसी की ख़ुशी से तड़प रहा है ! कोई वियोग में तड़प रहा है तो कोई अभियोग से !! कोई दुःख से तड़प रहा है तो कोई किसी के सुन्दर मुख को देख कर तड़प रहा है !
लेकिन कई ऐसे विचित्र प्रन्नी भी हैं इस संसार में जो गलत काम क्यों हो रहा है इस लिए दुखी हो कर तड़प रहे हैं !! उनका सोचना ये है की जिसके साथ जो घट रहा है वो उसकी गहराइयों को नहीं समझ रहा ,इस लिए वो शोर मचाता है की ओये भले मानुष उठ तेरा नुक्सान हो रहा है , लेकिन वो अपनी मस्ती में मस्त है !!
ये लोग होते हैं ..." विश्लेषक , पत्रकार , सलाहकार ,प्रवक्ता और कार्यकर्ता !! आज हम सिर्फ "राजनितिक कार्यकर्ताओं " की ही बात करेंगे !! भारत में जितने भी राजनितिक दल हैं उनके नेता सारे कार्यकर्ताओं को एक ही बात कहते हैं की " कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ की हड्डी हैं , कार्यकर्ताओं से ही पार्टी चलती है !! आप निष्ठा पार्टी और उसके असूलों के प्रति बनाये रखिये , आपको कभी न कभी अवश्य मौका मिले गा " ।
ऐसे सब्जबाग दिखाकर हर पार्टी के बड़े नेता उन कार्यकर्ताओं से न केवल अपना और अपनी पार्टी के सारे काम करवाते हैं बल्कि सदस्यता अभियान या और ना जाने किस किस बहाने से उस से चन्दा भी बटोरते रहते हैं । और तो और अपना स्वागत भी करवाते रहते हैं !! चाहे कार्यकर्ता प्रदेश या केंद्रीय कार्यालय जाये , या कोई केंद्रीय या प्रादेशिक नेता कार्यकर्त्ता के शहर में जाए , पैसा तो कार्यकर्ता का ही लगता है !! इसके इलावा कोई बहनजी का जनम - दिन मनाता है , कोई युवराज का , कोई राम मंदिर बनवाता है तो कोई हाथी पार्क !! सभी प्रदेशिक व केंद्रीय नेता कमोबेश इसी तरह से अपना राजनितिक जीवन "आनंद " से व्यतीत कर रहे हैं और बिना कोई काम किये एक नंबर के करोड़ों हर साल कमा लेते हैं ....कैसे ???
दूसरी तरफ अब " निष्ठावान कार्यकर्ता " का जीवन चरित्र देखें ...!! नौजवानी में किसी दल से जुड़ता है , वंहा के किसी पार्टी के वरिष्ठ या कनिष्ठ नेता से उसका संपर्क होता है एक दो साल तो उस से जयादा मेहनत के काम करवाए जाते हैं फिर अगर तो वो अपने नेता की तरह शरीफ या बे-इमां होता है तो उनकी पटरी बैठ जाती है अगर किसी के भी गुण नहीं मिले तो नेता अपना कोई और कार्यकर्त्ता ढूढ़ लेता है और कार्यकर्त्ता कोई दूस्रानेता या पार्टी ढूंढ लेता है । जीवन के दस - पन्द्रह साल तो ऐसे ही गुज़र जाते हैं !! फिर जागती है कार्यकर्ता की "महत्वकांक्षा " !! जो की स्वभाविक सी बात है ! तब असली राजनीति शुरू होती है !शरीफ कार्यकर्ता तो यही सोचकर चुप रहता है की नेता जी के मन में अपने आप भावना जागे गी और वो मुझे कोई पार्टी में जिम्मेदारी सोम्पेंगे या कोई चुनाव लड़वाएंगे !! इसी उधेड़ बुन में फिर कुछ साल बीत जाते हैं ! इस दौरान वो शरीफ और निष्ठावान कार्यकर्ता देखता है की कोई उस से बाद में पार्टी में शामिल हुआ और उसी नेता को , कोई लालच दे कर या अपनी जाती का वर्चस्व दिखाकर तुरंत पार्टी में वो स्थान प्राप्त कर लेता है जो " निष्ठावान कार्यकर्त्ता कई साल काम करने से भी नहीं प्राप्त कर सका था !! सरकार द्वारा दिया जा रहा आरक्षण भी " कोढ़ में खाज वाला काम कर रहा है " !! क्योंकि नेताओं ने यंहा भी हेरा फेरी कर राखी है , वो ऐसे की विधान सभा और लोक सभा में तो आरक्षण का चक्कर नहीं चलता , लेकिन नगर - पालिका , जिला परिषद् और पुन्चायत समिति स्टार पर आरक्षण का फेरा लगा रख्खा है ! जिस से स्वर्ण जाती के लोग ज्यादा पीड़ित हैं क्योंकि आरक्षित जातियों के लोग तो हर जगह से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन स्वर्ण जाती के नहीं , इसके साथ " महिला, ओ.बी.सी., एस . सी. फिर जनरल यानी हर पांच साल बाद चुनाव हुए तो स्वर्ण जाती को एक बार मौका नहीं मिला तो उसका नंबर तो अगले बीस सालों तक गया ..! तब तलक वो जिन्दा भी रहता है या नहीं क्या पता क्योंकि आजकल ओसत उम्र भी तो मात्र 60.साल रह गयी है ! बेचारा चालीस का तो हो ही चूका होता है टिकट पाने लायक बन्ने में , अपनि पार्टी में !!
कोई भी पार्टी अपने कार्यकर्त्ता को चंदे का हिसाब कभी भी नहीं देती ...पता नहीं क्यों ??? अप कहोगे की आपने सरे नेताओं को एक ही पलड़े में तोल दिया ...ऐसा थोड़े ही होता है हमारे देश में बहुत से शरीफ नेता हैं ...!! तो मित्रो मैं भी मानता हूँ की सरे नेता चोर या बे - ईमान नहीं हैं लेकिन ये तथा कथित इमानदार नेता जब अन्याय हो रहा होता है किसी कार्यकर्त्ता के साथ तो ये समझदार बन कर अपना मुंह बंद कर लेते हैं ...महाभारत के भीष्म पितामह की तरह और " चीर हरण " होने देते हैं ...?? इस लिए ये बाकी बचे शरीफ नेता भी उतने ही दोषी हैं जितने भ्रष्टाचार करने वाले ...???
अब ताज़ा घटना क्रम ही देखलो ...जी ऐसे शरीफ प्रधान मंत्री जी को क्या हम चाटें ....जो किसी बुरी बात पर बोलता ही नहीं ...??? कभी उसे " गठबंधन - धर्म " रोकता है तो कभी कोई और मजबूरी ......???? तो जनता सबको चोर क्यों नहीं कहे ...बताइये आप ??? सेना के एक इमानदार अफसर के ब्यान से हमारे रक्षा मंत्री जी चित हो गए हैं ... सारा देश कुछ ना कुछ बोल रहा है लेकिन वह रे मेरे मनमोहन " दब्बू - कर्मचारी " की तरह चुप ही मारे बैठा है क्यों ...??
इस देश को चाहे थोड़े वक्त के लिए ही सही लेकिन एक "सच्चा देश भगत ..तानाशाह " चाहिए जो एक या दो साल में सब सिस्टम दुरुस्त कर फिरसे सच्चे लोकतंत्र की स्थापना करे ।। क्यों मित्रो आपका क्या कहना है इस बारे मैं ...हमेशा की तरह आप हमारा ब्लाग या ग्रुप खोलिए , जिसका नाम है :-" 5th pillar corrouption killer " या लाग आन करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. आपके अनमोल विचारों को हम सहेज कर रखना चाहते हैं इस लिए आप हमारे ब्लाग पर जाकर ही लिखें । अगर आपको हमारे लिखे लेख पसंद आते हैं तो इन्हें आप ख़ुशी से प्रिंट भी कर सकते हैं और अपने दोस्तों से शेयर भी । तो आज ही हमारे ब्लाग को ज्वाईन करें ! धन्यवाद !! बोलिए जय माता की !!
लेकिन कई ऐसे विचित्र प्रन्नी भी हैं इस संसार में जो गलत काम क्यों हो रहा है इस लिए दुखी हो कर तड़प रहे हैं !! उनका सोचना ये है की जिसके साथ जो घट रहा है वो उसकी गहराइयों को नहीं समझ रहा ,इस लिए वो शोर मचाता है की ओये भले मानुष उठ तेरा नुक्सान हो रहा है , लेकिन वो अपनी मस्ती में मस्त है !!
ये लोग होते हैं ..." विश्लेषक , पत्रकार , सलाहकार ,प्रवक्ता और कार्यकर्ता !! आज हम सिर्फ "राजनितिक कार्यकर्ताओं " की ही बात करेंगे !! भारत में जितने भी राजनितिक दल हैं उनके नेता सारे कार्यकर्ताओं को एक ही बात कहते हैं की " कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ की हड्डी हैं , कार्यकर्ताओं से ही पार्टी चलती है !! आप निष्ठा पार्टी और उसके असूलों के प्रति बनाये रखिये , आपको कभी न कभी अवश्य मौका मिले गा " ।
ऐसे सब्जबाग दिखाकर हर पार्टी के बड़े नेता उन कार्यकर्ताओं से न केवल अपना और अपनी पार्टी के सारे काम करवाते हैं बल्कि सदस्यता अभियान या और ना जाने किस किस बहाने से उस से चन्दा भी बटोरते रहते हैं । और तो और अपना स्वागत भी करवाते रहते हैं !! चाहे कार्यकर्ता प्रदेश या केंद्रीय कार्यालय जाये , या कोई केंद्रीय या प्रादेशिक नेता कार्यकर्त्ता के शहर में जाए , पैसा तो कार्यकर्ता का ही लगता है !! इसके इलावा कोई बहनजी का जनम - दिन मनाता है , कोई युवराज का , कोई राम मंदिर बनवाता है तो कोई हाथी पार्क !! सभी प्रदेशिक व केंद्रीय नेता कमोबेश इसी तरह से अपना राजनितिक जीवन "आनंद " से व्यतीत कर रहे हैं और बिना कोई काम किये एक नंबर के करोड़ों हर साल कमा लेते हैं ....कैसे ???
दूसरी तरफ अब " निष्ठावान कार्यकर्ता " का जीवन चरित्र देखें ...!! नौजवानी में किसी दल से जुड़ता है , वंहा के किसी पार्टी के वरिष्ठ या कनिष्ठ नेता से उसका संपर्क होता है एक दो साल तो उस से जयादा मेहनत के काम करवाए जाते हैं फिर अगर तो वो अपने नेता की तरह शरीफ या बे-इमां होता है तो उनकी पटरी बैठ जाती है अगर किसी के भी गुण नहीं मिले तो नेता अपना कोई और कार्यकर्त्ता ढूढ़ लेता है और कार्यकर्त्ता कोई दूस्रानेता या पार्टी ढूंढ लेता है । जीवन के दस - पन्द्रह साल तो ऐसे ही गुज़र जाते हैं !! फिर जागती है कार्यकर्ता की "महत्वकांक्षा " !! जो की स्वभाविक सी बात है ! तब असली राजनीति शुरू होती है !शरीफ कार्यकर्ता तो यही सोचकर चुप रहता है की नेता जी के मन में अपने आप भावना जागे गी और वो मुझे कोई पार्टी में जिम्मेदारी सोम्पेंगे या कोई चुनाव लड़वाएंगे !! इसी उधेड़ बुन में फिर कुछ साल बीत जाते हैं ! इस दौरान वो शरीफ और निष्ठावान कार्यकर्ता देखता है की कोई उस से बाद में पार्टी में शामिल हुआ और उसी नेता को , कोई लालच दे कर या अपनी जाती का वर्चस्व दिखाकर तुरंत पार्टी में वो स्थान प्राप्त कर लेता है जो " निष्ठावान कार्यकर्त्ता कई साल काम करने से भी नहीं प्राप्त कर सका था !! सरकार द्वारा दिया जा रहा आरक्षण भी " कोढ़ में खाज वाला काम कर रहा है " !! क्योंकि नेताओं ने यंहा भी हेरा फेरी कर राखी है , वो ऐसे की विधान सभा और लोक सभा में तो आरक्षण का चक्कर नहीं चलता , लेकिन नगर - पालिका , जिला परिषद् और पुन्चायत समिति स्टार पर आरक्षण का फेरा लगा रख्खा है ! जिस से स्वर्ण जाती के लोग ज्यादा पीड़ित हैं क्योंकि आरक्षित जातियों के लोग तो हर जगह से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन स्वर्ण जाती के नहीं , इसके साथ " महिला, ओ.बी.सी., एस . सी. फिर जनरल यानी हर पांच साल बाद चुनाव हुए तो स्वर्ण जाती को एक बार मौका नहीं मिला तो उसका नंबर तो अगले बीस सालों तक गया ..! तब तलक वो जिन्दा भी रहता है या नहीं क्या पता क्योंकि आजकल ओसत उम्र भी तो मात्र 60.साल रह गयी है ! बेचारा चालीस का तो हो ही चूका होता है टिकट पाने लायक बन्ने में , अपनि पार्टी में !!
कोई भी पार्टी अपने कार्यकर्त्ता को चंदे का हिसाब कभी भी नहीं देती ...पता नहीं क्यों ??? अप कहोगे की आपने सरे नेताओं को एक ही पलड़े में तोल दिया ...ऐसा थोड़े ही होता है हमारे देश में बहुत से शरीफ नेता हैं ...!! तो मित्रो मैं भी मानता हूँ की सरे नेता चोर या बे - ईमान नहीं हैं लेकिन ये तथा कथित इमानदार नेता जब अन्याय हो रहा होता है किसी कार्यकर्त्ता के साथ तो ये समझदार बन कर अपना मुंह बंद कर लेते हैं ...महाभारत के भीष्म पितामह की तरह और " चीर हरण " होने देते हैं ...?? इस लिए ये बाकी बचे शरीफ नेता भी उतने ही दोषी हैं जितने भ्रष्टाचार करने वाले ...???
अब ताज़ा घटना क्रम ही देखलो ...जी ऐसे शरीफ प्रधान मंत्री जी को क्या हम चाटें ....जो किसी बुरी बात पर बोलता ही नहीं ...??? कभी उसे " गठबंधन - धर्म " रोकता है तो कभी कोई और मजबूरी ......???? तो जनता सबको चोर क्यों नहीं कहे ...बताइये आप ??? सेना के एक इमानदार अफसर के ब्यान से हमारे रक्षा मंत्री जी चित हो गए हैं ... सारा देश कुछ ना कुछ बोल रहा है लेकिन वह रे मेरे मनमोहन " दब्बू - कर्मचारी " की तरह चुप ही मारे बैठा है क्यों ...??
इस देश को चाहे थोड़े वक्त के लिए ही सही लेकिन एक "सच्चा देश भगत ..तानाशाह " चाहिए जो एक या दो साल में सब सिस्टम दुरुस्त कर फिरसे सच्चे लोकतंत्र की स्थापना करे ।। क्यों मित्रो आपका क्या कहना है इस बारे मैं ...हमेशा की तरह आप हमारा ब्लाग या ग्रुप खोलिए , जिसका नाम है :-" 5th pillar corrouption killer " या लाग आन करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. आपके अनमोल विचारों को हम सहेज कर रखना चाहते हैं इस लिए आप हमारे ब्लाग पर जाकर ही लिखें । अगर आपको हमारे लिखे लेख पसंद आते हैं तो इन्हें आप ख़ुशी से प्रिंट भी कर सकते हैं और अपने दोस्तों से शेयर भी । तो आज ही हमारे ब्लाग को ज्वाईन करें ! धन्यवाद !! बोलिए जय माता की !!
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